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4 हजार शिक्षकों में से 553 ही लगा रहे अटेंडेंस, दी गई चेतावनी

MP News: कुछ शिक्षक तो ऐसे भी है, जिन्होंने ऑनलाइन मौजूदगी के लिए एप तो डाउनलोड किया है, लेकिन इस पर नहीं है।

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फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: रतलाम रेंज में रतलाम, मंदसौर और नीमच में कुल 13492 शिक्षक कार्यरत है। इनमें से तीनों जिलों में मिलाकर 3224 शिक्षक ही शासन के आदेश के बाद स्कूल में अपनी मौजूदगी ऑनलाइन पंच कर रहे है। अधिकांश शिक्षकों से लेकर स्कूल प्रधान या प्राचार्य तक ई-अटेंडेंस के पक्ष में नहीं है। कुछ शिक्षक तो ऐसे भी है, जिन्होंने ऑनलाइन मौजूदगी के लिए एप तो डाउनलोड किया है, लेकिन इस पर ई-अटेंडेंस लगाने के पक्ष में नहीं है।

रतलाम, मंदसौर और नीमच में शिक्षा विभाग के आंकड़ों को देखा जाए तो सबसे ज्यादा लापरवाह संस्था प्रधान ही हैं। तीनों जिलों में 61 फीसदी प्राचार्य हाजिरी नहीं लगा रहे हैं। अब जब साहब ई-अटेंडेंस नहीं लगा रहे तो शिक्षक व अतिथि शिक्षकों के तो लगाने का सवाल ही नहीं उठता। ई-अटेंडेंस में ये रोज अनुपस्थित दिखाई दे रहे हैं। रतलाम, मंदसौर और नीमच में ई-अटेंडेंस की कार्यप्रणाली शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को रास नहीं आ रही है।

रतलाम में 13% मात्र

रतलाम में 4270 शिक्षकों में से 553 ही ऑनलाइन हाजिरी लगा रहे हैं। जिनका प्रतिशत सिर्फ 13 है। यहां 155 संस्था प्रधान व 643 अतिथि शिक्षक पंचिंग कर रहे हैं। बाकी सब रजिस्टर में उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। सबसे अंतिम जिले नीमच में 54.6 फीसदी शिक्षक व 57 फीसदी प्राचार्य ई-अटेंडेंस नहीं लगा रहे हैं। नीमच जिले में 8 फीसदी प्राचार्य भी स्वयं की ई-अटेंडेंस नहीं लगा रहे हैं।

पांच हजार में से मात्र 979 लगा रहे

नीमच जिले में 3650 में से 1692 शिक्षक ही पंच कर रहे। जबकि प्राचायों की संख्या तो 401 ही है। यही मंदसौर का भी है। मंदसौर के 979 शिक्षक ऑनलाइन अटेंडेंस के पक्ष में हैं। जबकि जिले में 5 हजार से ज्यादा शिक्षक कार्यरत हैं। खास बात यह है कि कम अटेंडेंस वाले जिलों को विभाग ने अपने चार्ट में रेड श्रेणी में रखा है।

चेतावनी दी है

इसको लेकर स्कूल शिक्षा विभाग ने नाराजगी जताई और कार्रवाई की चेतावनी दी। कुछ जिलों में स्थिति बहुत खराब है। शिक्षा विभाग इसे पूरी तरह लागू करना चाहता है। - अनिता सागर, जिला शिक्षा अधिकारी, रतलाम

एक देश-दो विधान क्यों

एक तरफ शासन एक देश-दो विधान का विरोध करता है, दूसरी तरफ स्वयं दोहरा व्यवहार करता है। शिक्षकों से पूरी तराह से ई-अटेंडेंस चाहने वाले पहले स्वयं विधानसभा व लोकसभा में नियम अनुसार 75 प्रतिशत मौजूदगी तो दर्ज कराए। अंचल में मोबाइल के लिए नेटवर्क दे नहीं रहे, चाहते है ई-अटेंडेंस एप चल जाए। कोई आकर तो देखे तो सहीकिस तरह से एक शिक्षक टूटे-जर्जर भवन में बच्चों को पढ़ा रहा है। - सर्वेश माथुर, जिला सरंक्षक, मप्र शिक्षक संघ