29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

21 महीनों से ट्रेन के इंतजार में हैं यात्री, 120 रुपए अधिक चुकाकर सफर करना बनी मजबूरी

21 महीनों से ट्रेन चलने के इंतजार में हैं जिले के यात्री। 120 रुपए खर्च करके जाना पड़ रहा मंदसौर। पहले दिन में 2 डेमू थी, अब एक ही चलाई जा रही। रेलवे कर रहा सुलभ यात्रा का दावा।

2 min read
Google source verification
News

21 महीनों से ट्रेन के इंतजार में हैं यात्री, 120 रुपए अधिक चुकाकर सफर करना बनी मजबूरी

रतलाम. रेलवे का दावा है कि, वो कोरोना काल से बाहर आ गया है। 85 फीसदी यात्री ट्रेन को पटरी पर ले आया है। लेकिन, हकीकत ये है कि, करीब 21 महीनों से जो जरूरी यात्री ट्रेन पटरी पर सरपट दौड़ रही थी, वो अब भी नदारत है। ऐसे में रतलाम से मंदसौर जाने के लिए यात्रियों को प्रति टिकट 120 रुपए का व्यय करना पड़ रहा है। इसकी वजह ये है कि, पहले दिन में दो बार डेमू ट्रेन 45 रुपए में ले जाती थी, जो अबतक नहीं चल पाई है। ऐसे में प्रति यात्री 75 रुपए अतिरिक्त हर यात्री को खर्च करना पड़ रहे है।

पहले रतलाम से मंदसौर के बीच दो डेमू ट्रेन चलती थी, अब 24 घंटे में सिर्फ एक ट्रेन शाम को 6.30 बजे चलती है। बड़ी बात ये है कि, यात्रियों की पीड़ा को समझकर रेल मंडल ने ट्रेन नंबर 79303/79304 रतलाम - चित्तौड़गढ़ डेमू ट्रेन को चलाने का प्रस्ताव 27 जुलाई को पत्र क्रमांक C-436/2 से भेजा, लेकिन अबतक इसको इच्छा शक्ति के अभाव में चलवाने में हमारे होनहार अधिकारी सफल नहीं हो पाए हैं।

पढ़ें ये खास खबर- ये हो सकते हैं भोपाल और इंदौर के पहले पुलिस कमिश्नर और ज्वाइंट कमिश्नर


सैकेंड सिटिंग के लगते इतने रुपए

-ट्रेन नंबर - 19345 - 45 रुपए


बस से यात्रा करना बनी मजबूरी

असल में रतलाम से मंदसौर के बीच पूर्व में सुबह 10 बजे के अलावा शाम को 6.30 बजे डेमू ट्रेन थी। शाम की ट्रेन तो अब भी चल रही है, लेकिन सुबह की ट्रेन का प्रस्ताव जुलाई में भेजा जो अब तक मंजूर नहीं हो पाया। ऐसे में यात्रियों को अन्य ट्रेन की सुविधा नहीं होने से बस से यात्रा करने की मजबूरी है। उदाहरण के लिए सुबह 6.30 बजे जो इंदौर - जोधपुर ट्रेन रतलाम से चलती है, वो मंदसौर तो रुकती है, लेकिन रास्ते के छोटे स्टेशन पर ठहराव नहीं करती। ऐसे में सुबह अपडाउनर्स को बस से यात्रा की मजबूरी है।

पढ़ें ये खास खबर- अतिक्रमण- अवैध खनन से घुटने लगा जीवनदायिनी का दम

बस ऑपरेटर्स को लाभ पहुंचा रहे

रेलवे एक्टिविस्ट प्रमोद भंडारी का कहा है कि, 'कभी-कभी लगता है कि, ट्रेन को जान करके नहीं चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य बस ऑपरेटर्स को लाभ पहुंचाना नजर आता है। जुलाई में भेजे गए प्रस्ताव को अगर मंजूर नहीं करवा पाए तो फिर अन्य बड़ी योजनाओं को किस तरह समय पर पूरा किया जा सकेगा।


प्रस्ताव भेजा गया है

मंडल रेल प्रवक्ता खेमराज मीणा ने बताया कि, रेल मंडल ने रतलाम चित्तौड़गढ़ डेमू व रतलाम मथुरा मेमू का प्रस्ताव भेजा है। मुख्यालय से मंजूरी मिलते ही इन ट्रेन को चलाया जाएगा।

पुलिस आरक्षक ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, देखें वीडियो