mp news: मध्यप्रदेश के रतलाम में नगर निगम कार्यालय में उस वक्त हड़कंप मच गया जब दफ्तर के ही सुप्रीटेंडेंट ने लेखापाल के चैंबर के बाहर जहर खाकर खुदकुशी करने की कोशिश की। सुप्रीटेंडेंट ने जहर की डिब्बी खोली और जहरीली गोलियां खाने ही वाले थे की तभी साथी कर्मचारियों ने उन्हें पकड़ लिया और जहर की डिब्बी छुड़ा ली। इस पूरी घटना से दफ्तर में हड़कंप मच गया। खुदकुशी की कोशिश करने वाले सुप्रीटेंडेंट ने लेखापाल पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं।
रतलाम नगर निगम के दफ्तर में प्रभारी कार्यालय अधीक्षक (सुप्रीटेंडेंट) गोपाल झालीवाल अपने हाथों में जहर की डिब्बी लेकर लेखापाल के चेंबर के बाहर धरने पर बैठ गए। उन्होंने आरोप लगाया कि लेखापाल विजय बालोद्रा और स्थापना शाखा ने बिना किसी आदेश के उनका व दर्जनभर कर्मचारियों का दो माह का वेतन काट दिया है। यही नहीं कई अन्य कर्मचारियों की फाइलों को उज्जैन भेजे जाने और इन्हें पास करवाने के बदले रुपए मांगने का भी खुलेआम आरोप सुप्रीटेंडेंट गोपाल झालीवाल ने लगाए हैं।
बताया गया है कि निगम के प्रभारी कार्यालय अधीक्षक झालीवाल सहित एक दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों को चौथे वेतनमान का लाभ पिछले 10 महीनों से वेतन में मिल रहा था। इस पर ऑडिट विभाग ने भी किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं ली थी। दो माह पहले से स्थापना शाखा के साथ ही लेखापाल विजय बालोद्रा ने उनके वेतन से यह बढ़ा हुआ वेतन काटना शुरू कर दिया। इसी को लेकर यह बवाल मचा। सुप्रीटेंडेंट गोपाल झालीवाल ने बताया कि उन्होंने निगम आयुक्त हिमांशु भट्ट को वेतन काटे जाने की बात बताई थी जिसके बाद उन्होंने लिखित में आदेश दिया था कि वेतन नहीं काटा जाए। इसके बाद भी स्थापना शाखा से वेतन काटा हुआ पहुंचाया बिल पहुंचाया गया और लेखापाल ने उसी अनुसार कर्मचारियों के खातों में राशि भी जारी कर दी।
निगम में कार्यालय अधीक्षक के हंगामा खड़ा करने के बाद मचे हड़कंप से हर कोई चौंक गया। बाद में सभी के वेतन में काटी गई राशि फिर से जोड़ दी गई। मीडिया से बात करते हुए प्रभारी कार्यालय अधीक्षक गोपाल झालीवाल ने कहा कि कर्मचारियों को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। शासन के आदेश से हमें चौथा वेतनमान की राशि दी जा रही है तो ये क्यों काट रहे? क्या इनके घर का राज चल रहा है। ये लोग जानबुझकर ऐसा कर रहे हैं। वहीं इस पूरे मामले पर लेखापाल विजय बालोद्रा का कहना है कि स्थापना शाखा से जो वेतन बिल आए हैं उनमें ही इनकी राशि काटकर भेजी गई है। ऑडिट ने आदेश की बात कही थी। इसमें हमारा तरफ से कुछ भी नहीं है।