पं. कश्यप ने कहा कि पुराणों का सार शिव महापुराण है। कलियुग में मनुष्य को चाहिए कि सदा सत्संग और संतों के सानिध्य में रहे। पंचाक्षर मंत्र का जाप करने वाला कभी भटकता नहीं और जब-जब मन भटकने लगे जयश्री महाकाल कहकर पंचाक्षर मंत्र का जाप कर लेना चाहिए।
निकली पोथी कलश यात्रा
संगीतमय शिव महापुराण के प्रथम दिन आचार्य पंडित देवेंद्र कश्यप की निश्रा में कथा के पूर्व अम्बेमाता मंदिर अलकापुरी से पोथी कलश यात्रा निकाली गई, जो प्रमुख मार्गो से होते हुए कथा स्थल पहुंची। पोथी धारण करने का लाभ यजमान तारा हरिशचंद्र मोड़़ ने लिया। कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शामिल होकर धर्मलाभ लिया। शाम को आरती के बाद प्रसादी का वितरण किया गया।
मन भटके तो जयश्री महाकाल का जाप करो
पं. कश्यप ने कथा में आगे बताया कि ओम नमो शिवाय मंत्र का जाप निरंतर करते रहे, कथा कानो से सुनते रहो और मन में ओम नम: शिवाय का जाप रहना चाहिए। तिलक लगाओ तो भगवान शिव स्वयं सिर पर विराजमान हो जाते हैं, कल से हर कोई घर से तिलक लगाकर आए।