
विचार मंथन : कमजोर ना बनें, शक्तिशाली बनें और यह विश्वास रखें की भगवान हमेशा आपके साथ है- बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के जनक, उग्र विचारधारा के समर्थक बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को रत्नागिरि जिले के चिकल गांव तालुका में पिता गंगाधर रामचन्द्र पंत व माता पार्वती बाई गंगाधर के घर हुआ था। संस्कृत और गणित के प्रकांड पंडित थे लोकमान्य तिलक। उन्होंने स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा और स्वराज्य की सबसे पहले की घोषणा की थी। बाल गंगाधर तिलक पहले भारतीय नेता थे जिन्होंने यह कहा, "स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है" और मैं इसे लेकर रहूंगा।
बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक के ये विचार आज भी हजारों लोगों के पथ प्रदर्शक है-
- कमजोर ना बनें, शक्तिशाली बनें और यह विश्वास रखें की भगवान हमेशा आपके साथ है।
- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।
- आलसी व्यक्तियों के लिए भगवान अवतार नहीं लेते, वह मेहनती व्यक्तियों के लिए ही अवतरित होते हैं, इसलिए कार्य करना आरम्भ करें।
- मानव स्वभाव ही ऐसा है कि हम बिना उत्सवों के नहीं रह सकते, उत्सव प्रिय होना मानव स्वभाव है। हमारे त्यौहार होने ही चाहिए।
- आप मुश्किल समय में खतरों और असफलताओं के डर से बचने का प्रयास मत कीजिये। वे तो निश्चित रूप से आपके मार्ग में आयेंगे ही।
- प्रातः काल में उदय होने के लिए ही सूरज संध्या काल के अंधकार में डूब जाता है और अंधकार में जाए बिना प्रकाश प्राप्त नहीं हो सकता।
- धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाये देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है।
- यदि हम किसी भी देश के इतिहास को अतीत में जाएं, तो हम अंत में मिथकों और परम्पराओं के काल में पहुंच जाते हैं जो आखिरकार अभेद्य अन्धकार में खो जाता है।
- ये सच है कि बारिश की कमी के कारण अकाल पड़ता है लेकिन ये भी सच है कि भारत के लोगों में इस बुराई से लड़ने की शक्ति नहीं है।
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Published on:
23 Jul 2019 05:45 pm
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