जिसने प्रेम किया है, वही विरह और मिलन के सच को जान सकता है : डॉ. प्रणव पंड्या
उसके बाद स्वामी विवेकानंद ने उसी शिष्य को आगे बुलाया जिसने कल प्रश्न किया था। स्वमी जी ने निर्देश दिया- पुत्र, ये लो इस डंडी से मछली पकड़ो। शिष्य ने डंडी से बंधे कांटे में आंटा लगाया और पानी में डाल दिया। फ़ौरन ही एक बड़ी मछली कांटे में आ फंसी… स्वामी जी बोले- जल्दी… पूरी ताकत से बाहर की ओर खींचो। शिष्य ने ऐसा ही किया, उधर मछली ने भी पूरी ताकत से भागने की कोशिश की… फलतः डंडी टूट गयी। स्वामी विवेकानंद जी बोले- “कोई बात नहीं; ये दूसरी डंडी लो और पुनः प्रयास करो…। शिष्य ने फिर से मछली पकड़ने के लिए कांटा पानी में डाला। इस बार जैसे ही मछली फंसी, स्वामी जी बोले, “आराम से… एकदम हल्के हाथ से डंडी को खींचो। शिष्य ने ऐसा ही किया, पर मछली ने इतनी जोर से झटका दिया कि डंडी हाथ से छूट गयी।
अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तुम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए : स्वामी विवेकानन्द
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा, “ओह्हो, लगता है मछली बच निकली, चलो इस आखिरी डंडी से एक बार फिर से प्रयत्न करो। शिष्य ने फिर वही किया। पर इस बार जैसे ही मछली फंसी स्वामी जी बोले, सावधान! इस बार न अधिक जोर लगाओ न कम.. बस जितनी शक्ति से मछली खुद को अंदर की ओर खींचे उतनी ही शक्ति से तुम डंडी को बाहर की ओर खींचो.. कुछ ही देर में मछली थक जायेगी और तब तुम आसानी से उसे बाहर निकाल सकते हो। शिष्य ने ऐसा ही किया और इस बार मछली पकड़ में आ गयी।
जीवन का रस उन्होंने ही चखा है, जिनके रास्ते में बड़ी-बड़ी कठिनाइयां आई है : आचार्य श्रीराम शर्मा
क्या समझे आप लोग? स्वामी विवेकानंद जी ने बोलना शुरू किया, ये मछलियां उस समाज के समान हैं जो आपके कुछ करने पर आपका विरोध करता है। यदि आप इनके खिलाफ अधिक शक्ति का प्रयोग करेंगे तो आप टूट जायेंगे, यदि आप कम शक्ति का प्रयोग करेंगे तो भी वे आपको या आपकी योजनाओं को नष्ट कर देंगे… लेकिन यदि आप उतने ही बल का प्रयोग करेंगे जितने बल से वे आपका विरोध करते हैं तो धीरे-धीरे वे थक जाएंगे… हार मान लेंगे… और तब आप जीत जायेंगे… इसलिए कुछ उचित करने में जब ये समाज आपका विरोध करे तो समान बल प्रयोग का सिद्धांत अपनाइये और अपने लक्ष्य को प्राप्त कीजिये।
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