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Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्व पितृ अमावस्या पर लग रहा है सूर्य ग्रहण, जानें श्राद्ध करने का शुभ मुहूर्त

Sarva Pitru Amavasya 2025 पर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व है। जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूर्वजों की शांति हेतु धार्मिक मान्यताएं।

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भारत

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Manoj Vashisth

Sep 20, 2025

Sarva Pitru Amavasya 2025 Date and Time

Sarva Pitru Amavasya : सर्व पितृ अमावस्या 2025 तिथि और समय (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Surya Grahan onSarva Pitru Amavasya 2025 : सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह वह काल है जब हमारे पूर्वज, अपने वंशजों की पुकार से प्रसन्न होकर, इस धरती पर लौटते हैं और तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान के माध्यम से तृप्ति प्राप्त करते हैं। पितृ पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या को होता है, जिसे पितरों के प्रस्थान का दिन माना जाता है।

इस दिन अपने ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के मोक्ष, उनकी आत्मा की शांति और ईश्वर की कृपा हेतु श्राद्ध, तर्पण और दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

सर्व पितृ अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त | Sarva Pitru Amavasya 2025 date and time

2025 में, सर्व पितृ अमावस्या रविवार, 21 सितंबर को मनाई जाएगी। और इसी दिन सूर्य ग्रहण भी हो रहा है। अमावस्या तिथि 21 सितंबर को प्रातः 12:16 बजे शुरू होगी और 22 सितंबर को प्रातः 1:23 बजे तक रहेगी। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करके पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।

इस दिन श्राद्ध के लिए सर्वोत्तम समय सुबह 11:50 बजे से दोपहर 1:27 बजे तक है। इस समय विधि-विधान से पितरों का तर्पण करने से आत्मा तृप्त होती है और परिवार का आशीर्वाद निरंतर बना रहता है।

सर्व पितृ अमावस्या का महत्व | Pitru Paksha 2025 significance

धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्माएं अपने वंशजों के पास आती हैं और उनकी भक्ति और सेवा से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती हैं। श्राद्ध और तर्पण के बिना पितरों की आत्माएँ अधूरी रहती हैं, इसलिए सर्व पितृ अमावस्या पर उनका स्मरण करना अत्यंत आवश्यक है।

पुराणों में कहा गया है कि—

येन पितृगणः त्रिप्तः तेन देवः प्रसन्नः

अर्थात् जब पितरों की कृपा होती है, तभी देवता प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।

पितरों को तर्पण करने से आध्यात्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। विशेष रूप से जिनके परिजनों की अकाल मृत्यु हुई हो, उनके लिए इस दिन तर्पण और श्राद्ध करने से उन्हें सांसारिक मोह-माया से मुक्ति मिलती है और परमधाम की प्राप्ति होती है।

सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण | Pitru Paksha solar eclipse 2025

इस वर्ष सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025) भी लग रहा है। यह ग्रहण 21 सितंबर को रात्रि 10:59 बजे शुरू होगा और 22 सितंबर को प्रातः 3:23 बजे तक रहेगा। यह घटना भारत में दिखाई नहीं देगी क्योंकि यह रात्रि में घटित होगी। इसलिए सूतक काल का कोई प्रभाव नहीं होगा। इसलिए, पितरों की पूजा, तर्पण और पिंडदान पूरे दिन बिना किसी रुकावट के किया जा सकता है।

दान का महत्व

हिंदू धर्म में दान को सर्वोच्च पुण्य माना गया है। इस परंपरा का वर्णन हमारे ऋषियों और धार्मिक ग्रंथों में बार-बार मिलता है। दान करने से न केवल पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है, बल्कि दानकर्ता को भी अपार पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

ऐसा शास्त्रों में कहा गया है

दानेन भूतानि वशी भवन्ति दानेन वैराण्यपि यान्ति नाशम्।

(दानेन भूतानि वशी भवन्ति दानेन वैरण्यपि यान्ति नाशम्।)

परोऽपि बन्धुत्वमुपैति दानेर दानं हि सर्व्यासनाननि हन्ति॥
(परोऽपि बंध्यत्वमुपैति दानेर दानं हि सर्वव्यासनानानि हन्ति॥)

अर्थात दान से प्राणी वश में होते हैं, शत्रुता नष्ट होती है, शत्रु भी मित्र बन जाता है और जीवन के सभी कष्ट दान से ही दूर होते हैं।

सर्व पितृ अमावस्या के दिन विशेष रूप से अन्न दान, गौ दान और वस्त्र दान का महत्व बताया गया है। ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना, गुड़, चावल, गेहूं और घी का दान करना और गरीबों की सेवा करने से पितर तृप्त होते हैं।

सर्व पितृ अमावस्या पर इन चीजों का करें दान

सर्व पितृ अमावस्या पर अन्न और भोजन का दान करना सर्वोत्तम होता है। इसलिए इस पावन अवसर पर अपने पितरों के लिए तर्पण करें।