
special secrets with miracles of Raksha Sutra
सनातन धर्म में बहुधा जातक हाथ पर मौली, कलावा, रक्षासूत्र या पवित्र बंधन बांधते हैं, यह रक्षासूत्र होता है जो जातक को उसकी राशि और ईष्ट देवता के अनुसार बांधा जाता है।
हिन्दू धर्म में रक्षासूत्र यानि कलावा/मौली ( Raksha Sutra ) का अपना विशेष महत्व ( miracles of Raksha Sutra ) है। जहां एक ओर आज के दौर में कुछ लोग इसके पीछे छिपे कारणों को जागरुकता के अभाव में नकार देते हैं। वहीं दूसरी ओर तकरीबन सभी धार्मिक अनुष्ठानों में इसे विशेष महत्व ( miracles of Raksha Sutra ) दिया जाता है।
माना जाता है कि यह अक्सर जातकों के ऊपर आने वाली कठिनाइयों और पीड़ाओं का शमन ( amazing miracles ) भी करता है, साथ ही भयंकर संकटों से भी बचाता है।
उदाहरण स्वरूप : बच्चों के हाथों या गले में काला धागा बांधा जाता है जो उन्हें बुरी नजर से बचाता है। उसी प्रकार अन्य रंग के सूत्र भी कई प्रकार की बाधाओं और मुसीबतों से रक्षा करते हैं, परंतु हर जातक को अपने ईष्ट देव, ग्रह-नक्षत्र के अनुसार ही रंग का चयन करना चाहिए।
जानकारों के अनुसार सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते समय या नई वस्तु खरीदने पर हम कलावा ज़रूर बांधते हैं, ताकि वह हमारे जीवन में शुभता ( amazing miracles ) प्रदान करें।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसर रक्षासूत्र यानि कलावा संकल्प, रक्षा एवं विश्वास ( miracles of Raksha Sutra ) का प्रतीक माना जाता है। धर्म ग्रंथों की मान्यता के अनुसार कलावा बांधने से त्रिदेव - ब्रह्मा, विष्णु व महेश एवं त्रिदेवियां - लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की असीम कृपा ( miracles of Raksha Sutra ) प्राप्त होती है।
शर्मा के अनुसार सनातन धर्म में कलावा बांधने की प्रथा तबसे चली आ रही है, जब दानवीर राजा बली की अमरता के लिए श्री विष्णु भगवान के अवतार वामन भगवान ने उनकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था। आज भी विद्वान लोग कलावा बांधते वक्त इस मंत्र का उच्चारण करते हैं -
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
इस मंत्र का है कि दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता ( miracles of Raksha Sutra ) हूं। हे रक्षे!(रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो। धर्मशास्त्र के विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहत अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं।
इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र ( Raksha Sutra ) से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित व प्रयुक्त करना है।
शास्त्रों के अनुरूप पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए एवं विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का विधान है। कलावा ( Raksha Sutra ) बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी को बंद रखकर दूसरा हाथ सिर पर रखना चाहिए। कलावे का बांधा जाना हमें अपने संकल्प ( amazing miracles ) को याद करते रहना और उसकी पूर्ति के लिए प्रयास करते रहना सिखाता है।
शरीर विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो कलावा बांधने से स्वास्थ्य उत्तम रहता है। त्रिदोष -वात, पित्त तथा कफ का शरीर में संतुलन बना रहता है।
हर देवता का विशेष रक्षासूत्र: जानिए कौन से रंग का धागा ( miracles to solve problems ) आपके लिए है शुभ...
जानकारों के अनुसार हर जातक को अपने ईष्ट देव, ग्रह-नक्षत्र के अनुसार ही रंग का चयन करना चाहिए। यानि कौन-सी राशि या देवता के लिए किस रंग का धागा/रक्षासूत्र बांधा जाना चाहिए, यह समझना अतिआवश्यक है...
: शनि की कृपा के लिए नीले रंग का सूती धागा बांधना चाहिए।
: बुध के लिए हरे रंग का सॉफ्ट धागा बांधना चाहिए।
: गुरु और विष्णु के लिए हाथ में पीले रंग का रेशमी धागा बांधना चाहिए।
: शुक्र या लक्ष्मी की कृपा के लिए सफेद रेशमी धागा बांधना चाहिए।
: चंद्र और शिव को प्रसन्न करने हेतु शिव की कृपा या चंद्र के अच्छे प्रभाव के लिए भी सफेद धागा बांधना चाहिए।
: राहु-केतु और भैरव को मनाने के लिए और इनकी कृपा के लिए काले रंग का धागा बांधना चाहिए।
: मंगल और हनुमान- भगवान हनुमान या मंगल ग्रह की कृपा के लिए लाल रंग का धागा हाथ में बांधना चाहिए।
वैज्ञानिक कारण:
जानकारों के अनुसार आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह धागा हमारी कलाई की नसों को दुरुस्त रखने में मदद करता है। मौली का धागा ( Raksha Sutra ) बांधने से कलाई की नसों में रक्त का प्रवाह नियमित बना रहता है, जिसके कारण आपको रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से खतरा बहुत ही कम होता है।
मौली बांधने के वैज्ञानिक कारणों के अनुसार मौली एवं वह स्थान जहाँ मौली बांधते है अर्थात कलाई, इसका एक खास संबंध होता है। क्योंकि हमारे शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें हमारी कलाई से ही होकर गुजरती हैं। इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि इन नसों में रक्त का प्रवाह नियमित होता रहे। मौली को हाथ में बांधने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
Published on:
26 May 2020 11:13 am
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