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Vijayadashami 2025: राम-रावण युद्ध की 10 शिक्षाएं जो आज भी हैं बेहद प्रासंगिक

Vijayadashami 2025: राम और रावण की युद्ध कथा यह दर्शाती है कि रावण जैसा महान विद्वान, पराक्रमी और तपस्वी योद्धा भी अपने अहंकार और अधर्म के कारण हार गया। जाते-जाते रावण ने लक्ष्मण को जो शिक्षाएं दीं, वे आज भी उतनी ही प्रासंगिक और प्रेरणादायक हैं।

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भारत

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MEGHA ROY

Sep 28, 2025

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Vijayadashami festival 2025|फोटो सोर्स – Grok

Vijayadashami 2025: विजयादशमी यानी दशहरा (Dussehra 2025) केवल अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन की कई अहम सीखें भी देता है। एक ओर रावण एक महापंडित था उन्हें वेद, ज्योतिष, तंत्र और योग का गहरा ज्ञान था। इतना ही नहीं, वह युद्ध कला और मायावी शक्तियों में भी निपुण था।लेकिन राम और रावण की युद्ध कथा यह दर्शाती है कि रावण जैसा महान विद्वान, पराक्रमी और तपस्वी योद्धा भी अपने अहंकार और अधर्म के कारण हार गया। जाते-जाते रावण ने लक्ष्मण को जो शिक्षाएं दीं, वे आज भी उतनी ही प्रासंगिक और प्रेरणादायक हैं।आइए जानते हैं वे 10 महत्वपूर्ण सीखें, जिन्हें अपनाकर हम अपने जीवन में सफलता की राह पकड़ सकते हैं।

शुभ कार्य में देर न करें

रावण ने लक्ष्मण से कहा कि अच्छे काम को टालना नहीं चाहिए। अगर मैंने समय रहते प्रभु श्रीराम को पहचान लिया होता और शरण ले ली होती तो आज मेरा ये हाल न होता। यानी जीवन में शुभ कार्य जितनी जल्दी हो सके कर लेना चाहिए।

शत्रु को कभी छोटा न समझें

रावण ने अपनी दूसरी सीख में बताया कि प्रतिद्वंद्वी को कभी कमतर नहीं आंकना चाहिए। मैंने वानरों और भालुओं को साधारण समझा, लेकिन उन्होंने मेरी विशाल सेना को परास्त कर दिया।

कोई तुच्छ नहीं होता

उसने स्वीकार किया कि जब अमरता का वरदान मांग रहा था, तब मनुष्य और वानर को कमजोर समझकर उन्हें शामिल नहीं किया। यही मेरी सबसे बड़ी भूल बनी। यानी हर किसी की अहमियत होती है, चाहे वह कितना भी साधारण क्यों न लगे।

शक्ति का महत्व

रावण मानता था कि शक्ति से ही ज्ञान, धन और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। हालांकि उसका घमंड ही उसकी कमजोरी बना। यह सीख देती है कि शक्ति जरूरी है लेकिन अहंकार उसे नष्ट कर देता है।

खोज और नवाचार का महत्व

रावण की जिज्ञासु प्रवृत्ति उसे हमेशा नए आविष्कार की ओर ले जाती थी। वह नए अस्त्र-शस्त्र और यंत्र बनवाता रहता था। उसकी पत्नी मंदोदरी ने शतरंज का अविष्कार किया। इससे यह संदेश मिलता है कि नई सोच और नवाचार हमें आगे बढ़ाते हैं।

तप और संकल्प की शक्ति

रावण ने अपने कठोर तप से वरदान प्राप्त किए। उसका विश्वास था कि संकल्प और व्रत ही तप का आधार हैं। यह हमें सिखाता है कि मेहनत, आत्मनियंत्रण और संकल्प से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

ईश्वर भक्ति

रावण शिवजी का परम भक्त था। यहां तक कि रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापना के समय, पंडित के रूप में रावण को ही आमंत्रित किया गया। इससे सीख मिलती है कि सच्ची आस्था और भक्ति हमें हर परिस्थिति में ताकत देती है।

आयुर्वेद और विज्ञान का ज्ञान

रावण केवल युद्धकला ही नहीं बल्कि आयुर्वेद और रसायन विद्या में भी निपुण था। उसने कई ग्रंथ लिखे और जीवनोपयोगी औषधियों का ज्ञान फैलाया। यह हमें बताता है कि स्वास्थ्य और ज्ञान, दोनों ही जीवन के स्तंभ हैं।

लगन और निष्ठा

रावण किसी भी काम को पूरे जोश और लगन से करता था। इसी समर्पण ने उसे कई विद्याओं का ज्ञाता बनाया। यह हमें सिखाता है कि समर्पण और जुनून से ही सफलता मिलती है।

विद्वत्ता और लेखन

रावण न केवल शिव भक्त था बल्कि महान ग्रंथकार भी। उसने तांडव स्तोत्र समेत कई ग्रंथों की रचना की। यह हमें किताबों के महत्व की ओर इशारा करता है, जो जीवन की सबसे बड़ी गुरु होती हैं।