अदालत ने ग्लोबरेना टेक्नोलॉजीज को भी नोटिस जारी किया, जो एक आईटी कंपनी है जिसने परिणामों को तैयार किया है और जिस पर नतीजों को बनाने की प्रक्रिया में लापरवाही का आरोप लगा है। न्यायालय ने छह जून तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी। बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन, ‘बाला हक्कुला संघम’ ने अदालत में याचिका दायर की है जिसमें उसने अंक देने में भयावह गड़बडिय़ों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
याचिकाकर्ता के वकील दामोदर रेड्डी ने संवाददाताओं से कहा कि इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं को रखने पर सहमति जताई है। इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड ने 18 अप्रैल को इंटरमीडिएट के नतीजों की घोषणा की थी। फरवरी-मार्च में आयोजित कक्षा 11 और 12 की परीक्षा में कुल 9.74 लाख विद्यार्थियों शामिल हुए थे, जिनमें से 3.28 लाख विद्यार्थी पास अंक प्राप्त करने में असफल रहे।
जांच में पता चला था कि उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के लिए बोर्ड ने एक आईटी कंपनी को किराए पर रखा था जिसने अपने काम में बहुत बड़े पैमाने पर लापरवाही की जिसकी वजह से विद्यार्थियों में बेचैनी और अशांति पैदा हो गई। कम से कम 22 छात्रों ने खुदकुशी कर ली। इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। छात्र निकायों और अभिभावकों ने उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में गड़बड़ी और अंकतालिकाओं के प्रसंस्करण और सारणीकरण में गलतियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद राज्य सरकार ने 24 अप्रैल को उन सभी 3.28 लाख छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं के पुन: सत्यापन की घोषणा की जो परीक्षा पास नहीं कर सके थे।