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एमपी के सरकारी अस्पताल में सोनोग्राफी जांच के लिए पांच माह की वेटिंग

विंध्य के श्यामशाह मेडिकल कॉलेज का हाल, मरीज को दी जा रही दिसंबर की तारीख, मरीज परेशान

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रीवा

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Dilip Patel

Jul 15, 2018

Five-month waiting for sonography investigation in MP's government hospital

Five-month waiting for sonography investigation in MP's government hospital

रीवा। श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के संजय गांधी अस्पताल मेेंं सोनोग्राफी के लिए आ रहे हैं तो जरा ठहरिए...। यहां रेडियोडाग्नोसिस विभाग से मरीजों को दिसंबर की डेट दी जा रही है। इससे पहले सोनोग्राफी करानी है तो इलाज कर रहे चिकित्सक से इमरजेंसी लिखा कर लाना पड़ेगा।
शनिवार को एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है। खैरा निवासी 28 वर्षीय हेमा सेन को पेट में तकलीफ थी। संजय गांधी अस्पताल में सुबह 10.40 बजे पहुंची। गायनी ओपीडी में स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाया। स्त्री रोग विशेषज्ञ ने उसे सोनोग्राफी के लिए रेडियोडाग्नोसिस विभाग भेजा। जहां नर्सिंग स्टॉफ ने रजिस्टर में नाम दर्ज किया और रेडियोलॉजिस्ट की सलाह पर दिसंबर माह की 8 तारीख दे दी। यह देख महिला मरीज दंग रह गई। उसने परेशानी का हवाला दिया तो नर्सिंग स्टॉफ ने तारीख परिवर्तित करते हुए 23 अगस्त को आने की सलाह दी। बकायदा पर्चे के पीछे दोनों तिथियां लिखते हुए सुबह खाली पेट आने के लिए कहा गया। परेशान महिला ने इमरजेंसी की बात कही तो उसे स्त्रीरोग विशेषज्ञ से पर्चे पर इमरजेंसी लिखा कर लाने को कहा गया। महिला मरीज फौरन स्त्रीरोग विशेषज्ञ के पास पहुंची। बताने पर स्त्री रोग विशेषज्ञ ने पर्चे पर इसी महीने की तिथि देने का अनुरोध किया। बावजूद इसके उसे जुलाई माह की तिथि नहीं दी गई। वह निराश होकर बिना सोनोग्रफी कराए लौट गई। महिला मरीज ने कहा कि सोचकर आए थे कि बेहतर उपचार मिलेगा। लेकिन यहां तो सोनोग्राफी जांच के लिए तारीख पर तारीख दी जा रही है।
निजी सेंटरों में जाने को मजबूर मरीज
रेडियोडायग्नोसिस विभाग में सोनोग्राफी की समस्या विकराल है। यहां हर दिन पचास फीसदी मरीजों को बिना सोनोग्राफी के वापस किया जा रहा है। यहां अत्याधुनिक दो मशीनें मौजूद हैं। लेकिन विभाग में तीन रेडियोलॉजिस्ट ही पदस्थ हैं। शेष पद खाली पड़े हैं। पूरे विभाग में नियमित एक ही टेक्नीशियन हैं। यही वजह है कि जांच करने वालों की कमी का हवाला देकर मरीज वापस किए जा रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग की लापरवाही का असर ये है कि अधिकतर मरीज सोनोग्राफी के लिए निजी सेंटरों का रुख करने को मजबूर हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
-मरीजों की संख्या अधिक है। जांच करने वाले कम हैं। इस वजह से चार महीने आगे तक की तारीखें आउटडोर मरीजों को दी जा रही हैं। केवल इमरजेंसी केस और इंडोर मरीज की सोनोग्राफी हो रही है।
डॉ. राहुल मिश्रा, विभागाध्यक्ष रेडियोडाग्नोसिस विभाग।