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रीवा। नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा सातवें वेतनमान सहित छह सूत्रीय मांगों को लेकर शुरू की गई अनिश्चिकालीन हड़ताल के कुछ घंटे के भीतर ही सरकार ने मांगे मानने के लिए आदेश जारी कर दिया।
यह प्रदेशव्यापी हड़ताल थी, जिसमें सभी नगरीय निकायों के कर्मचारी शामिल थे। इस वजह से नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा स्वयं कोई निर्णय नहीं लिया गया बल्कि प्रांतीय कार्यकारिणी के निर्देश का इंतजार करते रहे। दोपहर बाद प्रांतीय कार्यकारिणी ने हड़ताल स्थगित करने की घोषणा कर दी। जिसके चलते सफाई, पानी और अन्य व्यवस्था से जुड़े कर्मचारी सायं से काम पर लौट आए। पूरे दिन शहर की सड़कों पर कचरे का ढेर नजर आया। इस बीच कार्यालयीन कार्य पूरी तरह से प्रभावित हुआ। साथ ही सुबह से हड़ताल पर जाने का असर भी दिखा। पूर्व से निर्धारित अनिश्चितकालीन हड़ताल के तहत सुबह कार्यालय खुलने के समय पर सभी कर्मचारी पहुंचे और कार्यालय का ताला नहीं खोला। बाहर बैठकर नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ देर के बाद ही पता चला कि शासन ने सातवें वेतनमान को मानने का आदेश जारी कर दिया है। हालांकि कुछ कर्मचारी इस बात पर अड़े रहे कि अभी दैनिक वेतनभोगियों को स्थाइकर्मी का दर्जा देने, समयमान वेतनमान, कम्प्यूटर ऑपरेटरों का नियमितीकरण सहित छह बिन्दुओं को अन्य मांगों को भी पूरा किया जाए।
प्रांतीय कार्यकारिणी का दोपहर बाद निर्देश आया कि अभी हड़ताल समाप्त नहीं की जा रही है, स्थगित की जा रही है। सरकार ने शेष मांगों का भी आदेश जारी करने का आश्वासन दिया है। इस प्रदर्शन में कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव अच्छेलाल पटेल, जिला अध्यक्ष सुरेन्द सिंह बाघेल, जिला महामंत्री राजेश चतुर्वेदी, निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अरुण शुक्ला, सफाई कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष मुन्नालाल बालमीक, जिला मंत्री बुद्ध सिंह करौसिया, हेमंत त्रिपाठी, रावेन्द्र सिंह, नीलेश चतुर्वेदी, राजेश सिंह, केशव पटेल, सुखेन्द्र चतुर्वेदी, द्वारिका पटेल, ज्ञानेन्द्र द्विवेदी, सुनील चुटेले, मुजीब खान, प्रभुनाथ पांडे, शिवप्रसाद पांडे, रामचन्द्र तिवारी सहित अन्य मौजूद रहे।
एक जनवरी 2016 से मिलेगा लाभ
नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा सातवें वेतनमान के लाभ को लेकर जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि जिस नगरीय निकाय का स्थापना व्यय 65 प्रतिशत की सीमा से ऊपर है, उसे नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 58 के तहत अधिकारी, कर्मचारियों को सातवें वेतनमान और एरियर्स का लाभ एक जनवरी 2016 से लाभ दिया जाएगा।
निगम को स्वयं वहन करना होगा वित्तीय भार
आदेश में यह कहा गया है कि सातवें वेतनमान लागू होने से जो भी वित्तीय भार आएगा, उसे नगरीय निकाय स्वयं के स्त्रोतों से वहन करेगा। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा कोई अनुदान नहीं दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि नगर निगम ने अपने अनुमानित बजट में स्थापन व्यय में इस बात का उल्लेख किया है कि सातवें वेतनमान का लाभ दिए जाने से कितनी राशि अतिरिक्त उसे खर्च करनी होगी।
आनाकानी हुई तो फिर जाएंगे हड़तार पर
नगर निगम के कर्मचारी नेताओं ने बताया है कि यह हड़ताल स्थगित की गई है। प्रांतीय प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन मिला है कि जो मुद्दे रह गए हैं उन्हें कैबिनेट से पास कराया जाएगा। यदि सरकार ने फिर से आनाकानी की तो हड़ताल पर जाने के रास्ते खुले हैं।
Published on:
19 Jun 2018 04:16 pm
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