
SC-ST hostel, arrangement of God-hosted hostels
रीवा. जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग के एससी-एसटी के छात्रावास भगवान भरोसे चल रहे हैं। अफसरों की नाक के नीचे हॉस्टलों को चौकीदारों के भरोसे छोड़ दिया गया है। पंद्रह अगस्त बीतने के बाद भी हॉस्टलों की व्यवस्था गाइड लाइन के तहत प्रारंभ नहीं हो सकी है। नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के दो माह बाद भी जिम्मेदार व्यवस्था देखने नहीं पहुंचे।
संभागायुक्त कार्यालय के सामने जूनियर हॉस्टल में अधीक्षक गायब
संभागायुक्त कार्यालय के निकट शासकीय कन्या महाविद्यालय परिसर में स्थित शासकीय अनुसूचित जनजाति जूनियर कन्या छात्रावास में दोपहर अधीक्षक नहीं थीं। चौकीदार के भरोसे छोड़ दिया गया है। इस परिसर में अलग-अलग श्रेणी के तीन छात्रावास हैं। ५०-५० सीट के जूनियर छात्रावास हैं। जिसमें कक्षा छह से लेकर १२वीं तक की छात्राएं हैं। इसी परिसर में शासकीय अनुसूचित जाति महाविद्यालीय कन्या छात्रावास है। महाविद्यालयीन कन्या छात्रावास में मेस शुरू नहीं की गई है। छात्राओं की भोजन व्यवस्था चौपट है। इसी तरह जूनियर छात्रावास को चौकीदार और खानासामा के भरोसे छोड़ दिया गया है। कई छात्राओं ने बताया कि शनिवार को अधीक्षक मैडम नहीं आयी हैं। नास्ता भी मेन्यू के अनुसार नहीं दिया जा रहा है। ये कहानी अकेले इस हॉस्टल की नहीं है। बल्कि, जिले के पचास से अधिक हॉस्टलों की है।
जिले के ज्यादातर छात्रावास में नहीं मिल रहा नास्ता
जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावासों में मेन्यू के अनुसार छात्रों को नास्ता नहीं दिया जा रहा है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के ९० से अधिक छात्रावास हैं। शहर में कई छात्रावास किराए के भवन में चल रहे हैं। कुछ छात्रावासों को छोड़ दे तो ज्यादातर छात्रावास में मेन्यू को दरकिनार कर नास्ता और भोजन दिया जा रहा है। सप्ताहभर पहले जिला स्थायी शिक्षा समिति की अध्यक्ष विभा पटले के निरीक्षण के दौरान आधा दर्जन छात्रावास में खामियां मिली थी। भोजन की गुणवत्ता के साथ ही कई छात्रावासों की फर्श टूटी मिली। अधीक्षकों मनमानी रूप से आते जाते हैं। चौकीदार के भरोसे छात्रावास रहता है।
अधूरा छोड़ दिया गया छात्रावासों का रंगरोगन
नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले जिले के सभी छात्रावासों का रंगरोगन किया जाना था। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के कई छात्रावासों में यह कार्य अधूरा छोड़ दिया गया है। जबकि रंगरोगन का भुगतान पूरा कर दिया गया है। शहर के झिरिया सहित नईगढ़ी, मऊगंज, सिरमौर, बैकुंठपुर, डभौरा, मऊगंज और हनुमना क्षेत्र के कई छात्रावासों में रंगरोगन अधूरा छोड़ दिया गया है।
छात्रावासों में गंदगी का अंबार
ग्रामीण क्षेत्र के छात्रावासों में गंदगी का ढेर लगा हुआ है। बैकुंठपुर छात्रावास में साफ-सफाई नहीं होने से बच्चे बाहर नहीं निकल रहे हैं। परिसर में घुंटनेभर घास है। इसी तरह शहर से लेकर गांव तक ज्यादातर छात्रावासों की स्थित है। अधिकारी निरीक्षण तक करने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं।
Updated on:
19 Aug 2018 02:42 pm
Published on:
19 Aug 2018 02:40 pm
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