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यहां बन रहा है विश्व का सबसे बड़ा मंदिर, राज्य को मिलेगी विश्वस्तरीय पहचान, कारीगरी कर देगी हैरान

मध्य प्रदेश के सागर में विश्व का सबसे बड़ा चतुर्मुखी जिनालय बन रहा है। सागर में निर्मित किया जाने वाला ये जैन मंदिर कई मायनों में खास होगा। जानिए इसकी खूबियां।

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यहां बन रहा है विश्व का सबसे बड़ा मंदिर, राज्य को मिलेगी विश्वस्तरीय पहचान, कारीगरी कर देगी हैरान

सागर. देश का दिल कहा जाने वाला राज्य यानी मध्य प्रदेश जल्द ही विश्वभर में एक बार फिर कीर्तिमान रचने की तैयारी कर रहा है। इसकी वजह ये है कि, मध्य प्रदेश के सागर में विश्व का सबसे बड़ा चतुर्मुखी जिनालय बन रहा है। सागर में निर्मित किया जाने वाला ये जैन मंदिर कई मायनों में खास होगा। दरअसल खुरई रोड पर होने वाले भाग्योदय तीर्थ में बन रहे इस मंदिर के निर्माण लाल पत्थर से किया जा रहा है। वही, इस मंदिर में नक्काशी के जरिए जैन मंदिर के इतिहास को दर्शाया जाएगा। मंदिर के निर्माण कार्य में जुटी टीम की मानें तो साल 2025 तक इस मंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा।


इस विश्व प्रसिद्ध जैन मंदिर के निर्माण में गुजरात के भुज के पीला पत्थर और राजस्थान में बनने वाला लाल पत्थर इस्तेमाल किया जा रहा है। मंदिर की तीन मंजिला इमारत के हर एक खंड में 108 मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा। मंदिर में डेढ़ लाख क्यूबिक फीट पत्थर लगने का अनुमान है। खास बात ये है कि, मंदिर निर्माण में इस्तेमाल होने वाले भारी भरकम पतथरों को उनकी जगह पर स्थापित करने के बाद उनपर कारीगरी भी की जा रही है।

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एक नजर में जाने मंदिर की खूबियां

-मंदिर के हर हिस्से पर 168 खंबे होंगे।

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पत्थरों पर तराशा जाएगा जैन धर्म का इतिहास

मंदिर के चारों ओर की सीमा पर 240 पत्थर लगाए जाएंगे। इन पत्थरों पर तराशा जाएगा जैन धर्म का इतिहास। इसके साथ ही जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों का परिचय और आचार्य श्री के संबंध में जानकारी दिखाई जाएगी। इसका काम शुरू कर दिया गया है। सागर के भाग्योदय तीर्थ में बन रहे चतुरमुखी जिनालय के निर्माण में डेढ़ लाख क्यूबिक फीट पत्थर का उपयोग किया जा रहा है। बड़े मंदिर का आकलन पत्थर की ऊंचाई, क्षेत्रफल और उपयोग को देखकर किया जाता है।

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