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सहारनपुर। ट्रिपल तलाक कानून बनते ही पति को 8 माह से मायके में रह रही पत्नी और बच्चों की याद आ गई। पति को दिखा कि अब जेल जाना पड़ सकता है तो वह देहरादून से दौड़ा-दौड़ा सहारनपुर यानी पत्नी के मायके पहुंचा और बोला कि चलो घर चलते हैं, तुम्हारे और बच्चों के बगैर मन नहीं लगता।
इस तरह 8 माह बाद सहारनपुर की रहने वाली नसीमा की शनिवार को अपने घर यानी ससुराल में वापसी हुई। इस माैके पर नसीमा की आंखे भर आई और उसने भरी आंखाें से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रिपल तलाक पर बने कानून का धन्यवाद किया। पत्रिका के साथ बातचीत में नसीमा ने कहा कि ट्रिपल तलाक पर कानून बनने के बाद उसे अपनी जिंदगी वापस मिल गई है। नसीमा ने कहा कि हालांकि उनका मामला अभी तलाक नहीं पहुंचा था लेकिन उन्हे ऐसा लगता है कि यह कानून बनने से उनके जीवन में बदलाव आया है।
जानिए पूरा मामला
सहारनपुर के कुतुबशेर थाना क्षेत्र की खूंगर कॉलोनी के रहने वाले हनीफ ने अपनी बेटी नसीमा की शादी 22 अप्रैल 2015 को देहरादून के रहने वाले अब्दुल सलाम के बेटे मोहम्मद अली के साथ की थी। माेहम्मद अली कैब ड्राइवर हैं और इनके पिता का मांस का काराेबार है। नसीमा ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। इसके बाद से ही ससुराल में नसीमा का उत्पीड़न किया जाने लगा।
आरोपों के मुताबिक 20 अप्रैल 2019 को ससुराल पक्ष के लोगों ने नसीमा को मारपीट कर घर से निकाल दिया और वह तभी से सहारनपुर में अपने पिता के यहां रह रही थी। इस बीच मोहम्मद अली ने अपनी पत्नी नसीमा और बच्चों की कोई सुध नहीं ली नसीमा ने दोनों बच्चों का एडमिशन सहारनपुर के ही एक स्कूल में करा दिया। नसीमा के बच्चों का सारा खर्च उसके भाई उठा रहे थे। नसीमा और उनके पति के बीच अब हालात तलाक तक जा पहुंचे थे लेकिन इसी बीच ट्रिपल तलाक को लेकर बना कानून नसीमा की जिंदगी में खुशियां लेकर आया और ट्रिपल तलाक कानून बनते ही मोहम्मद अली को ऐसा लगने लगा कि अब उसे जेल काटनी पड़ सकती है।
शनिवार को मोहम्मद अली सहारनपुर पहुंचा और अपनी ससुराल में आकर उसने नसीमा से कहा कि चलो घर चलो तुम्हारे बिना मन नहीं लगता। पति के यह बाेल सुनकर खुद नसीमा भी हैरान रह गई और उसकी आंखे भर आई। जब नसीमा के परिवार वालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने भी अपने दामाद का स्वागत किया और दोनों परिवारों के सदस्यों के बीच एक सार्वजनिक समझौता भी हुआ जिसमें मोहम्मद अली ने कहा कि पूर्व में जो भी विवाद हुए हैं वह सभी समाप्त हाे गए हैं। अब वह कोर्ट कचहरी में जाना नहीं चाहते इस मामले को आगे बढ़ाना नहीं चाहते और वह अपनी पत्नी को साथ लेने जाना चाहते हैं। इसके बाद नसीमा खुशी-खुशी अपने पति के साथ चली गई।
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता फराह फैज के अनुसार नसीमा लगातार उनके संपर्क में थी और अब यह मामला आगे बढ़ सकता था। फराह कहती हैं कि उन्हे पूरा विश्वास है कि इस कानून के बनने से नसीमा की तरह अन्य महिलाओं की जिंदगी भी बदल जाएगी और मुस्लिम महिलाओं को काफी लाभ होगा।
Published on:
03 Aug 2019 06:36 pm
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