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यहां मासूमाें की माैत भी नहीं ताेड़ पाई सिस्टम की नींद, राम भराेसे है बच्चाें की सुरक्षा, देखे वीडियाे

सहारनपुर में बैट्री रिक्शा से स्कूल जा रहे दाे बच्चाें की माैत हाे जाने के बाद भी अभिभावक आैर स्कूल बच्चाें की सुरक्षा काे लेकर गंभीर नहीं

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सहारनपुर।

सहारनपुर के लाेगाें का जिगर बहुत बड़ा है। इसका सहज अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। जिले में दाे दिन पहले हाईवे पर हुई दिल दहला देने वाली वह घटना का भी यहां के लाेगाें पर काेई असर दिखाई नहीं दिया। सिर्फ अाम जनता ही नहीं सिस्टम ने भी उस घटना काे गंभीरता से नहीं लिया जिसमें दाे मासूमाें की दर्दनाक माैत हाे गई आैर चार से अधिक बच्चे घायल हाे गए थे। इन बच्चाें की हालत देखकर इनके अभिभावकाें का कलेजा फट पड़ा हाेगा लेकिन इस तरह की दिल दहला देने वाली एेसी दुर्घटना की पुनरावृत्ति ना हाे इसके लिए ना ताे काेई प्लान बनाया गया है आैर ना ही काेई अभियान चलाया गया है।

जानिए क्या हुआ था दाे दिन पहले

फतेहपुर थाना क्षेत्र में छुटमलपुर कस्बे के पास राेडवेज बस ने बैट्री रिक्शा काे टक्कर मार दी थी। इस बैट्री रिक्शा काे स्कूली वाहन के रूप में प्रयाेग किया जा रहा था। यह दुर्घटना इतनी भयंकर थी कि दाे स्कूली बच्चाें की माैके हाे गई आैर चार गंभीर रूप से घायल हाे गए। इन बच्चाें काे बैट्री रिक्शा में ले जाया जा रहा था लेकिन इस पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। इन बच्चाें की माैत हाे जाने के बाद यही कहा गया कि यदि समय रहते ध्यान दे दिया जाता ताे शायद बच्चाें की जान बच सकती थी। इस दुर्घटना के बाद अफसाेस ताे किया गया लेकिन एेसी दिल दहला देने वाली दुर्घटना की पुनरावृत्ति ना हाे इसके लिए ना ताे काेई ठाेस याेजना बनाई गई, आैर ना ही इसके लिए काेई अभियान चलाया गया। यह अलग बात है इस दुर्घटना के अगले दिन कुछ कागजी अभियान जरूर चले लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।

जानिए जमीनी हकीकत

फतेहपुर में छुटमलपुर के पास हुई इस दिल दहला देने वाली दुर्घटना के बाद लाेग कितने जागरूक हुए ? प्रशासन के अभियान का क्या असर हुआ ? आखिर जमीनी हकीकत क्या है ? क्या सहारनपुर में इस दुर्घटना के बाद भी बच्चाें काे बैट्री रिक्शा से ही लाया आैर ले जाया जा रहा है ? इन सभी सवालाें के जवाब जानने के लिए हम सहारनपुर के बीचाे-बीच विश्वकर्मा चाैक पर पहुंचे। यहां हमने बैट्री रिक्शा में स्कूली बच्चे आते हुए देखे ताे इन रिक्शा चालकाें से बात करने की काेशिश की। दाे रिक्शा वालाें ने ताे कैमरे के आगे बाेलने से साफ इंकार कर दिया। तीसरे ने कैमरा देखकर रिक्शा काे दाैड़ाने की काेशिश की। यह देख हम पीछे हट गए क्याेंकि अब मामला बच्चाें की सुरक्षा से जुड़ा हाे गया था। इसके बाद हमने जाम में फंसे एक रिक्शा चालक से बात की ताे उसने बताया कि वह लंबे समय से इसी तरह से बच्चाें काे रिक्शा में ले जा रहा है। बताया कि स्कूल की आेर से या फिर अभिभावकाें की आेर से कभी काेई आपत्ति नहीं की गई। सवाल यह है कि आखिर शहर की सड़काें पर जुगाड़ वाहनाें में खुलेआम बच्चाें काे ढाेया जाता है लेकिन ट्रैफिक पुलिस या सिटी पुलिस कभी भी इन्हे राेकना ताे दूर टाेकती तक नहीं है।

निर्देश ताे दिए लेकिन पालन काैन करेगा ?

इस अव्यवस्था पर हमने एसपी देहात विद्या सागर से बात की। दरअसल छुटमलपुर में हुई दुर्घटना के बाद एसपी देहात ही माैके पर पहुंचे थे। उन्हाेंने बताया कि सभी थाना प्रभारियाें काे निर्देशित किया गया है कि परिवहन विभाग के अफसराें से मिलकर अपने-अपने क्षेत्र में अभियान चलाएं आैर यह सुनिश्चित करें कि काेई भी स्कूली बच्चा अनाधिकृत वाहन में ना ले जाया जाए। सवाल यह है कि निर्देश ताे जारी कर दिए लेकिन इन निर्देशाें का क्या कभी पालन हाे सकेगा ?

बैट्रियाें में भरा हाेता घातक तेजाब

बैट्री रिक्शा सुरक्षा के लिहाज से भी सुरक्षित नहीं है। दरअसल एक बैट्री रिक्शा में कम से कम चार बड़ी बैट्री हाेती हैं। इन बैट्री में घातक तेजाब भरा हुआ हाेता है। अगर सामान्य दुर्घटना में भी बैट्री रिक्शा पलट जाए ताे बैट्री से निकलने वाला तेजाब भी किसी दिल दहला देने वाली दुर्घटना का कारण बन सकता है।