
उज्जैन के शासकीय पानदरीबा स्कूल में दो दिन पहले हुई घटना के बाद एक बार फिर से ये चिंता सताने लगी है ।
शाजापुर. उज्जैन के शासकीय पानदरीबा स्कूल में दो दिन पहले हुई घटना के बाद एक बार फिर से ये चिंता सताने लगी है कि जिले में जो शासकीय स्कूल जर्जर हो रहे वहां पर कभी-भी गंभीर हादसा हो सकता है। इस बारे में जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर सभी को जानकारी है फिर भी अनदेखा किया जा रहा है। इससे ये लापरवाही किसी भी दिन भारी पड़ सकती है।
उज्जैन में स्थित शासकीय कन्या मावि पानदरीबा की छत की गैलरी की दीवार 2 जुलाई को भरभराकर गिर गई थी। इस हादसे में छत पर खेल रही 5 छात्राएं घायल हो गई थीं। हादसे के बाद शाजापुर जिले में जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत को लेकर विभागीय लापरवाही सामने आती दिखाई दे रही है। जिला मुख्यालय पर स्थित स्कूल भवन वर्षों जर्जर हो रहे हैं। इन पर जर्जर भवन का नोटिस भी लगा दिया गया, लेकिन फिर भी कोई सुध नहीं ले रहा।
शहर में तालाब की पाल पर स्थित शासकीय कन्या प्रावि सोमवारिया का एक कक्ष बनने के बाद से ट्रैक्टर की टक्कर से जर्जर स्थिति में आ गया। धीरे-धीरे स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो गई कि एक कक्ष की छत और दीवार पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। भवन की स्थिति देखकर ही इसके खतरनाक होकर कभी-भी गिरने का अंदाजा लगाया जा सकता है। करीब 6 -7 साल से ये भवन इसी खतरनाक स्थिति में बना हुआ है। इस स्कूल भवन की जर्जरता को देखते हुए यहां पर नोटिस लगाकर इसके जर्जर होने की सूचना भी दी गई है, लेकिन स्कूल की मजबूरी है कि इसके लिए कोई अन्य व्यवस्था नहीं हो पा रही है। लगातार गुहार लगाने के बाद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इसके चलते स्कूल के एक मात्र अतिरिक्त कक्ष में ही कक्षा 1 से लेकर 5 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है। इससे खासी परेशानियां भी आती है। खास बात यह है कि जिस एक मात्र कक्ष में सभी 5 कक्षाएं लगाई जा रही है उसका भी फर्श पूरी तरह से खराब हो चुका है। ऊबड़-खाबड़ होने के बाद भी इसी बेकार हो चुके फर्श पर बैठाकर बच्चों को पढ़ाना मजबूरी बना हुआ है। यदि जल्द ही इस पर ध्यान देकर इसकी मरम्मत नहीं कराई गई तो यहां पर कभी-भी गंभीर हादसा हो सकता है।
शहर के किला परिसर में स्थित बरसों पुराने एक भवन में शासकीय कन्या प्रावि मीरकलां का संचालन होता है। ये भवन इतना पुराना है कि इसकी दीवारें और छत बरसों पहले की मिट्टी-चूने से बनी हुई है। छत पर सीसी या गाडर-फर्शी की जगह कवेलू ही डले हैं। भवन में बारिश के समय सबसे ज्यादा परेशानी होती है। इसके बाद भी इस स्कूल की ओर कोई ध्यान नहीं देता है। किला परिसर के अंदर ही करीब आधा दर्जन स्कूल भवन संचालित होते हैं। इनमें अधिकांश के पास पर्याप्त कक्ष की संख्या हैं, लेकिन शासकीय कन्या प्रावि मीरकलां के पास पक्का भवन ही नहीं है। जल्द ही इस भवन पर ध्यान देना जरूरी है, इसके बाद भी अधिकारी इसे देखकर अनदेखा कर रहे हैं।
उज्जैन की घटना के बाद जिले के सभी शासकीय स्कूलों के प्रधानाध्यापकों की बैठक कर निर्देश दिए हैं कि किसी भी जर्जर स्कूल में बच्चों को नहीं बैठाएं। जहां पर परेशानी है उसकी मरम्मत कराई जाएगी। जिला मुख्यालय पर जो स्कूल जर्जर हो रहे हैं उनकी भी व्यवस्था की जाकर सुधार कार्य कराया जाएगा।
संतोष राठौर, एपीसी-शाजापुर
Published on:
05 Jul 2018 07:00 am
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