
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी
पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
सहारनपुर। असम सरकार की स्टेट को-ऑर्डिनेटर की अधिसूचना के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने आस्तीनें चढ़ा ली हैं। अधिसूचना के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद के ( मदनी ) गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। जमीयत के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने नवनियुक्त राज्य समन्वयक नुसरत जहां का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि एनआरसी को लेकर पहले ही नुसरत विवादित बयान दे चुकी हैं ऐसे में उनकी नियुक्ति तर्कसंगत नहीं है।
मौलाना अरशद मदनी ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए इस मुद्दे पर वह चुप बैठने वाले नहीं है। असम में एनआरसी की प्रक्रिया विफल होने के बाद अब एक बार फिर से राज्य सरकार वहां भय का माहौल बनाना चाहती है। असम सरकार की इस मंशा को जमीयत उलेमा-ए-हिंद बिल्कुल भी कामयाब नहीं होने देगी और इसके खिलाफ सुप्रीम हम कोर्ट जाएंगे । उन्होंने यह भी कहा कि असम सरकार एक नए राज्य समन्वयक की नई कहानी के साथ सामने आ रही है। इसका भी जमीयत उलेमा-ए-हिंद खुला विराेध करती है।
मौलाना मदनी ने कहा कि जिस नई तैयारी के साथ असम सरकार आई है उससे साफ है कि वहां की सरकार की नीयत ठीक नहीं है। इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि एनआरसी में शामिल हुए लोगों को एक बार फिर से बाहर करने का षड्यंत्र असम सरकार रच रही है लेकिन जमीयत इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके खिलाफ जमकर आवाज उठाएगी।
Published on:
26 Oct 2020 06:52 pm
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