8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Kanwad Yatra: इस पेड़ के नीचे से निकलने पर शिवभक्‍तों की पूजा हो जाती है खंडित

कांवड़ यात्रा काे देखते हुए उत्‍तर प्रदेश पुलिस को दिए गए ऐसे पेड़ों को काटने-छांटने के निर्देश

2 min read
Google source verification
kanwad yatra

Kanwad Yatra: इस पेड़ के नीचे से निकलने पर शिवभक्‍तों की पूजा हो जाती है खंडित

सहारनपुर। कांवड़ यात्रा काे देखते हुए उत्‍तर प्रदेश पुलिस भांग के पेड़ के अलावा कुछ और पेड़ों की भी तलाश रहे हैं। माना जाता है कि इस पेड़ के नीचे से निकलने से ही शिवभक्‍तों की पूजा खंडित हो जाती है। इस वजह से पुलिस को भी इन पेड़ों को काटने के निर्देश दिए गए हैं।

यह भी पढ़ें:अजब-गजब: यूपी पुलिस तलाश रही भांग, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप- देखें वीडियो

गूलर के पेड़ों की कटाई-छंटाई के निर्देश

कांवड़ यात्रा को देखते हुए यूपी पुलिस को गूलर के पेड़ों को काटने-छांटने के निर्देश दिए गए हैं। एसपी देहात विद्यासागर का कहना है क‍ि भांग के साथ ही गूलर के पेड़ों को भी चिन्हित कराया जा रहा है। उनकी भी छंटाई-कटाई कराई जाएगी, ताकि गूलर के पेड़ के नीचे से कोई कांवड़ियां ना निकले।

यह भी पढ़ें:इन 5 पत्तों को शिवलिंग पर अर्पित करने से भगवान शिव होंगे प्रसन्न, दूर हो जाएंगे सभी कष्ट

पहले हो चुकी हैं घटनाएं

दरअसल, कांवड़िए गूलर के पेड़ को धार्मिक रूप से अनुचित मानते हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर कांवड़ियां गंगाजल लेकर गूलर के पेड़ के नीचे से निकल जाए तो वह जल खंडित हो जाता है। इससे उसकी कांवड़ यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है। पूर्व के वर्षों में कुछ इस तरह की घटनाएं हुई हैं। जाने-अनजाने में कावड़िए गूलर के पेड़ के नीचे से निकल गए और उसके बाद उन्‍होंने हंगामा किया। इसके बाद स्थानीय पुलिस -प्रशासन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने गूलर के पेड़ को चिन्हित नहीं किया था।

यह भी पढ़ें:Good News: कांवड़ यात्रा के दौरान अगले साल से नहीं बंद होगा दिल्‍ली-देहरादून हाईवे, शासन करेगा यह इंतजाम

प्रदेश में चिह्रनत किए जा रहे पेड़

इस वजह से पूरे उत्तर प्रदेश में सभी कांवड़ मार्गों पर पड़ने वाले गूलर के पेड़ों को चिन्हित कराया जाएगा। इनकी शाखाओं की छंटनी कराए जाने के बाद इन पेड़ों पर लाल झंडी लगाई जाएंगी, ताकि कांवड़िए दूर से ही यह जान लें कि आगे गूलर का पेड़ है।

यह भी पढ़ें: कांवड़ यात्रा की वजह से यह नेशनल हाइवे इस तारीख से पूरी तरह बंद होने जा रहा

यह है वजह

आचार्य रोहित वशिष्‍ठ का कहना है क‍ि गूलर के पेड़ों के बारे में ऐसी मान्‍यता बर्नाइ गई है कि इसके नीचे से निकलने के कारण कांवडि़यों का जल खंडित हो जाता है। दरअसल, सावन में गूलर के फल में कई सारे जीव पैदा हो जाते हैं। इनसे कई नीचे भी गिर जाते हैं। कांवडि़यों के पैरों के नीचे आने से इनकी मौत हो जाती है, जो जीव हत्‍या मानी जाएगी। इससे भगवान शिव की पूजा खंडित हो जाती है। इस वजह से सड़क पर पड़ने वाली गूलर की शाखाओं को छांट दिया जाता है।

यह भी पढ़ें: कांवड़ यात्रा 2018: शिवभक्त लाठी आैर त्रिशूल अपने साथ ले जा सकेंगे, योगी सरकार के ये अफसर बता नहीं पाए