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हिन्दी दिवस : भक्ति काल के प्रमुख कवि हित-हरिवंश ने 16वी शताब्दी में हिंदी में लिखा था ‘कृष्ण साहित्य’

Hindi Diwas इल्म की नगरी कहे जाने देवबंद में हुआ था कवि हित हरिवंश का जन्म। बाल्यकाल में कुए में छलांग लगाकर की थी देवबंद में मंदिर की स्थापन। वृंदावन से भी है गहरा नाता।

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हित-हरिवंश

सहारनपुर। हिंदी साहित्य की बात हाे ताे सहारनपुर की पहचान पद्मश्री कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर के नाम से हाेती है लेकिन बहुत कम लाेग ही इस बात काे जानते हैं कि 16वी शताब्दी में ब्रज भाषा में कृष्ण साहित्य लिखने वाले कवि हित-हरिवंश का जन्म भी सहारनपुर की धरती पर ही हुआ था।

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विक्रमी संवत 1455 और अग्रेजी कलेंडर के अनुसार 1502 में जन्मे हित हरिवंश का देवबंद ( Deoband ) और वृंदावन ( Vrindavan ) से गहरा नाता रहा है। अगर संक्षेप में कहा जाए ताे राधा वल्लभ संप्रदाय के प्रवर्तक महाप्रभु हित हरिवंश गाेंसाई राधा भक्त थे और उनका साहित्य यही संदेश देता है कि कृष्ण ( Krishna ) काे पाने का रास्ता राधा ( radha ) से हाेकर गुजरता है। यानी अगर आपकाे भगवान कृृष्ण काे पाना है ताे पहले राधा काे प्रसन्न करना हाेगा।

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कवि हित-हरिवंश ने करीब 500 साल पहले राधा और कृष्ण की भक्ति काे हिंदी के माेतीनुमा शब्दों का रूप देर हिन्दी साहित्य के धागे में पिराेकर माला तैयार की थी। इसके प्रमाण संस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार की ओर से प्रकाशित सहारनपुर के लेखक राजीव उपाध्याय की पुस्तक में मिलते हैं। राजीव उपाध्याय के ही अनुसार हरिवंश भक्तिकाल में कृष्णश्रयी शाखा के प्रमुख कवियों में से एक थे।


देवबंद में हुआ था जन्म

हित-हरिवंश का जन्म 1502 में देवबंद में हुआ था। इनके पिताजी का नाम व्यास मिश्र था, जाे संस्कृत के विद्वान थे। संस्कृत के साथ-साथ वह ब्रज भाषा के भी अच्छे जानकार थे। बाल्यकाल में हित-हरिवंश ने देवबंद स्थित एक कुए में छलांग लगा दी थी। इस कुए से उन्हे श्रीकृष्ण की प्रतिमा मिली थी। इस प्रतिमा का नाम उन्हाेंने रंगी लला रखा था और देवबंद में ही गर्भगृृह स्थापित करते हुए मंदिर की स्थापना की थी। यह मंदिर आज भी वहां पर माैजूद हैं जिसे नवरंगी लाल मंदिर के नाम से जाता है।

वृंदावन में की थी खाेज

हित-हरिवंश याैवन अवस्था में भक्ति के लिए वृंदावन चले गए थे। यहां उन्हाेंने भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े हुए ऐसे स्थलों की खाेज की थी जाे आक्रमण की त्रासदियों में ध्व्सत हाे गए थे। ऐसे स्थानों काे उजागर करने का श्रेय भी हित-हरिवंश काे जाता है।


ये हैं इनकी प्रमुख कृतिया
हित चाैरासी, राधा सुधा निधि,यमुनाष्टक और स्फुटवाणी