23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कुर्बानी का शरीयत में कोई विकल्प नहीं, दिखावे और हुड़दंग से बचें, मौलाना का दुष्प्रचार करने वालों को करारा जवाब

देवबंदी उलेमा व जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा ने ईद-उल-अजहा के मौके पर अहम अपील की है। उन्‍होंने मुसलमानों को कुर्बानी के असली मकसद की याद दिलाई है। साथ ही उन्होंने उन लोगों को भी करारा जवाब दिया है जो सोशल मीडिया पर कुर्बानी के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं।

2 min read
Google source verification
devaband News, saharanpur news, up news, hindi news

मौलाना कारी इसहाक गोरा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि कुर्बानी का शरीयत में कोई विकल्प नहीं, दिखावे और हुड़दंग से बचें। फोटो: IANS

मौलाना कारी इसहाक गोरा ने साफ कहा कि जो लोग यह कहते हैं कि जानवर की कुर्बानी की जगह कुछ और किया जाए, यानी केक काटें तो उन्हें यह समझना चाहिए कि शरीयत में ईद-उल-अजहा की कुर्बानी का कोई विकल्प नहीं है। यह एक इबादत है, रस्म नहीं। अल्लाह की इबादत को अपने जाती ख्यालात और सुविधाओं से नहीं तोला जा सकता।

'कुर्बानी पर ज्ञान बांटने वाले अपने घर में झांके'

मौलाना ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग जानवर की कुर्बानी के खिलाफ ज्ञान बांट रहे हैं, उन्हें पहले अपने घर के फ्रिज में झांककर देखना चाहिए कि उसमें कितना मांस रखा हुआ है।

मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने दो टूक कहा कि किसी भी धर्म विशेष की धार्मिक परंपराओं को निशाना बनाना सामाजिक सौहार्द के लिए खतरनाक है। हमें चाहिए कि हम अपने गिरेबान में झांके और दूसरों के धर्म का सम्मान करें।

मौलाना ने वीडियो संदेश जारी किया

अपने वीडियो संदेश में उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि कुर्बानी करने वाले हर मुसलमान को यह याद रखना चाहिए कि कुर्बानी वाजिब है, लेकिन साथ ही साफ-सफाई और सामाजिक जिम्मेदारी का भी ध्‍यान रखें। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जानवरों की तस्वीरें और वीडियो डालना, सड़कों पर जानवरों को घुमा-घुमाकर हुड़दंग मचाना शरीयत और तहजीब दोनों के खिलाफ है। कुर्बानी अल्लाह के लिए होती है, इंसानों को दिखाने के लिए नहीं।

कारी साहब ने ताकीद की कि कुर्बानी किसी प्रतिबंधित जानवर की न की जाए, और न ही खुले स्थान पर बिना इजाज़त कुर्बानी की जाए। इसके अलावा, कुर्बानी के बाद जानवरों के अवशेष नगरपालिका या नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थान पर ही फेंके जाएं ताकि शहर की साफ-सफाई बनी रहे।

यह भी पढ़ें: अमरोहा में पूर्व बसपा जिलाध्यक्ष के इकलौते बेटे ने की आत्महत्या, सिर में मारी गोली, मां शव देखकर हुई बेहोश

अंत में उन्होंने कहा कि ईद-उल-अज़हा का पैग़ाम त्याग, सादगी और अल्लाह की राह में सब कुछ कुर्बान कर देने का है। इस मौके पर हर मुसलमान को अपने अमल से यह साबित करना चाहिए कि इस्लाम मोहब्बत, सफाई, शालीनता और इंसाफ़ का मजहब है।