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यूपी के इस अस्पताल में डॉक्टराें से ज्यादा मरीजाें काे रहता है पवन का इंतजार, जानिए काैन है पवन

आखिर काैन है ये पवन का नाम शख्स जाे पिछले चार साल से हर राेज सुबह मरीजाें काे खाना खिलाने के लिए पहुंच जाता है अस्पताल

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pawan saharanpur

सहारनपुर। जिला अस्पताल की एमरजेंसी आैर ट्रामा सेंटर के बेड पर पड़े गंभीर राेगियाें काे किसका इंतजार हाेता है ? इस सवाल का सीधा सा जवाब है डॉक्टर का, लेकिन आपकाे यह जानकर हैरानी हाेगी कि सहारनपुर जिला अस्पताल की एमरजेंसी आैर ट्रामा सेंटर समेत बर्न से लेकर आईसाेलेशन वार्ड के बेड पर पड़े मरीजाें काे डॉक्टर के अलावा पवन का इंतजार भी रहता है। पवन से हमारा मतबल हवा से नहीं है बल्कि पवन एक एेसा शख्स है जाे पिछले करीब चार सालाें से राेजाना जिला अस्पताल की एमरजेंसी में पड़े एेसे मरीज जिनके साथ काेई तिमारदार नहीं हाेता उनकी सेवा करता है।
साधारण से कपड़े मुंह पर लगा हरे रंग का मास्क, एक हाथ में बिस्किट से भरा थैला आैर दूसरे हाथ में चाय की केतलियाें से भरा थैला। यही पहचान है पवन की। सुई की घड़ियां आठ नहीं बजाती आैर नुमाईश कैंप के रहने वाले पवन की साईकिल जिला अस्पताल पहुंच जाती है। वह राेजाना नुमाईश कैंप से मरीजाें का नाश्ता लेकर साईकिल से जिला अस्पताल पहुंचते हैं। जिला अस्पताल आने के बाद वह एक वार्ड में जाते हैं। बर्न वार्ड से लेकर आईसाेलेशन वार्ड, एमरजेंसी, ट्रामा सेंटर आैर कभी-कभी सामान्य वार्डाें में भी। पवन काे अस्पताल के बेड पर लेटे एेसे मरीजाें की तलाश रहती है जिनके साथ काेई तिमारदार नहीं हाेता या फिर जिनकी खुद भी पहचान नहीं हाे पाती। एेसे मरीजाें के पास जाकर पवन उन्हे बड़े प्रेम से चाय आैर बिस्टिक देते हैं। रविवार हाे या शनिवार धूंप हाे या बरसात यह सिलसिला एेसे ही चलता रहता है।

कपड़े की दुकान पर नाैकरी करते हैं पवन
नुमाईश कैंप के रहने वाले पवन कुमार का एक बेटा है जाे इंटर की पढ़ाई कर रहा है। खुद पवन शहर के एक प्रमुख कपड़ा व्यापारी की दुकान पर नाैकरी करते हैं। वह सुबह जल्दी उठकर इन मरीजाें की सेवा करते हैं आैर फिर कपड़ा व्यापारी के प्रतिष्ठान पर जाकर दिनभर अपनी नाैकरी करते हैं। पवन का पूरा काम उनकी पुरानी साईकिल से ही हाे जाता है। खुद पवन कहते हैं कि उनकी राेजाना की भागदाैड़ की साथी उनकी पुरानी साईकिल ही है जाे सारे काम कराती है आैर उन्हे स्वस्थ भी रखती है।


सारा श्रेय संस्था काे देते हैं पवन
मन में सेवा भाव हाेने के बाद भी पवन इस सेवा का सारा श्रेय अपनी संस्था काे देते हैं। उनका कहना है कि वह नवजीवन केंद्र संस्था से जुड़े हैं। यह सेवा का कार्य उन्हे वहीं से करने काे मिलता है आैर संस्था के बल पर ही वह यह सब सेवा कर पा रहे हैं। पवन बताते हैं कि उनकी संस्था के आैर भी सदस्य भी है जाे अलग-अलग जगहाें पर जाकर इसी तरह से लाेगाें की सेवा करते हैं।