पत्रिका इंपैक्ट- शहर की सड़कों से हटाया गया अतिक्रमण विशेष अधिकार हथकड़ी नहीं लगाई जा सकती
18 वर्ष से कम आयु के किशोरों और बच्चों को पुलिस हथकड़ी नहीं लगा सकती है। अगर उन पर कोई आरोप है तो पुलिस उनसे सख्ती से पेश नहीं आएगी और न्यायालय के समक्ष ले जाते समय पुलिस उन्हें हथकड़ी और बेड़ियां नहीं लगा सकती है।
18 वर्ष से कम आयु के किशोरों और बच्चों को पुलिस हथकड़ी नहीं लगा सकती है। अगर उन पर कोई आरोप है तो पुलिस उनसे सख्ती से पेश नहीं आएगी और न्यायालय के समक्ष ले जाते समय पुलिस उन्हें हथकड़ी और बेड़ियां नहीं लगा सकती है।
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अगर पुलिस को किसी गंभीर या सामान्य मामले में किसी किशोर या बच्चे से पूछताछ करनी है तो उसके लिए भी कानून है। पुलिस इन बच्चों से वर्दी में पूछताछ नहीं कर सकती। दरअसल, बच्चों के मन को बेहद कोमल और दिमाग को विकासशील माना जाता है और यही कारण है कि पुलिस इन बच्चों से सख्ती से पेश नहीं आ सकती।
अगर पुलिस को किसी गंभीर या सामान्य मामले में किसी किशोर या बच्चे से पूछताछ करनी है तो उसके लिए भी कानून है। पुलिस इन बच्चों से वर्दी में पूछताछ नहीं कर सकती। दरअसल, बच्चों के मन को बेहद कोमल और दिमाग को विकासशील माना जाता है और यही कारण है कि पुलिस इन बच्चों से सख्ती से पेश नहीं आ सकती।
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बच्चों के अधिकारों का पुलिस थानों में हनन ना हो, उन्हें उनके अधिकार मिले, इसके लिए प्रत्येक थाने में एक बाल किशोर अधिकारी की नियुक्ति की गई है। यह बाल किशोर अधिकारी सिविल ड्रेस में होते हैं और अगर बच्चों से कोई पूछताछ करनी होती है तो वह जिम्मेदारी इन्हीं बाल किशोर अधिकारियों को दी जाती है। इन बाल किशोर अधिकारी को बच्चों के अधिकारों और कानूनों की पूरी जानकारी होती है और उसी के तहत यह बच्चों के साथ पूछताछ और व्यवहार करते हैं।
बच्चों के अधिकारों का पुलिस थानों में हनन ना हो, उन्हें उनके अधिकार मिले, इसके लिए प्रत्येक थाने में एक बाल किशोर अधिकारी की नियुक्ति की गई है। यह बाल किशोर अधिकारी सिविल ड्रेस में होते हैं और अगर बच्चों से कोई पूछताछ करनी होती है तो वह जिम्मेदारी इन्हीं बाल किशोर अधिकारियों को दी जाती है। इन बाल किशोर अधिकारी को बच्चों के अधिकारों और कानूनों की पूरी जानकारी होती है और उसी के तहत यह बच्चों के साथ पूछताछ और व्यवहार करते हैं।
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अगर किसी किशोर या बच्चे पर आरोप है तो उसको आरोपी नहीं बल्कि अपचारी कहा जाता है। ऐसे बच्चों की पहचान और उनका नाम भी सार्वजनिक नहीं किया जाता। पुलिस भी इनके नाम और इनकी पहचान को सार्वजनिक नहीं कर सकती। जब तक किसी बच्चे या किशोर पर आरोप सिद्ध नहीं हो जाता, तब तक उसको जेल में नहीं बल्कि बाल सुधार गृह में रखा जाता है।
अगर किसी किशोर या बच्चे पर आरोप है तो उसको आरोपी नहीं बल्कि अपचारी कहा जाता है। ऐसे बच्चों की पहचान और उनका नाम भी सार्वजनिक नहीं किया जाता। पुलिस भी इनके नाम और इनकी पहचान को सार्वजनिक नहीं कर सकती। जब तक किसी बच्चे या किशोर पर आरोप सिद्ध नहीं हो जाता, तब तक उसको जेल में नहीं बल्कि बाल सुधार गृह में रखा जाता है।
यहां पर करें शिकायत
एसपी ट्रैफिक सहारनपुर विनीत भटनागर सहारनपुर जिले में बाल किशोर अधिकारियों के नोडल अफसर हैं। हमने उनसे बच्चों के अधिकारों के बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि बच्चों को आरोपी नहीं कहा जा सकता है। उनकी पहचान भी सार्वजनिक नहीं की जाती है। बच्चों से पूछताछ करते वक्त उनके माता-पिता का साथ होना जरूरी होता है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर बच्चों के अधिकारों का हनन होता है तो इसकी शिकायत थाने पर मौजूद बाल किशोर अधिकारी या फिर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से कर सकते हैं।
एसपी ट्रैफिक सहारनपुर विनीत भटनागर सहारनपुर जिले में बाल किशोर अधिकारियों के नोडल अफसर हैं। हमने उनसे बच्चों के अधिकारों के बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि बच्चों को आरोपी नहीं कहा जा सकता है। उनकी पहचान भी सार्वजनिक नहीं की जाती है। बच्चों से पूछताछ करते वक्त उनके माता-पिता का साथ होना जरूरी होता है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर बच्चों के अधिकारों का हनन होता है तो इसकी शिकायत थाने पर मौजूद बाल किशोर अधिकारी या फिर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से कर सकते हैं।