आसमा ने बताया कि मैं बहुत डर गई थी और ट्रेन के सीसे फूट गए थे चारों और खून ही खून पढ़ा था और लोग चिल्ला रहे थे। सभी गांव वाले मदद के लिए आ गए थे लेकिन सब लोग इस तरह से चिल्ला रहे थे कि पहले हमको निकालिए, पहले हमको निकालिए। आसमा के मुताबिक दुर्घटना के करीब 10 मिनट बाद वह बोगी से बाहर निकल गए थे लेकिन दहशत में उनसे कुछ भी बोला नहीं जा रहा था आसमां और उसमा दोनों के पैरों में चोट आई है और इनका छोटा बेटा भी दुर्घटना के बाद से डर रहा है।
आगरा से सहारनपुर आ रहा था परिवार आसमा ने बताया कि वह आगरा से उत्कल एक्सप्रेस में सवार हुए थे हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर कुछ देर के लिए ट्रेन रुकी तो उन्होंने वहां पर खाना खाया था और जब ट्रेन मेरठ स्टेशन पहुंची तो इसके बाद वह अपनी अपनी सीट पर लेट गए थे. अभी उनकी आंख लगे कुछ मिनट ही हुई थी कि इस हादसे ने उनको हिलाकर रख दिया। असम की खाना करिश्मा का शव दोपहर बाद जब मेहंदी सराय पहुंचा तो पूरा मोहल्ला फफक फफक कर रो पड़ा। बोलने वालों के मुताबिक करिश्मा एक विधवा महिला थी उनकी उम्र करीब 70 वर्ष थी और नमाजी महिला थी उनकी मौत पर आज पूरा मोहल्ला आंसू बहा रहा है।