Sambhal News: यूपी के संभल में सावन के पहले सोमवार को शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने पातालेश्वर, सूर्यकुंड, प्रकेटेश्वर सहित प्रमुख शिवालयों में जलाभिषेक और पूजा-अर्चना की।
First Monday of Sawan in sambhal: सावन माह का आरंभ होते ही देशभर में भगवान शिव की भक्ति का माहौल बन गया है। सावन के पहले सोमवार पर संभल की कल्कि नगरी शिवभक्ति से सराबोर रही। सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। भक्तों ने भोलेनाथ का जलाभिषेक कर विशेष पूजा-अर्चना की और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की।
सावन के इस शुभ अवसर पर जिले के प्रमुख शिवालयों श्री पातालेश्वर महादेव मंदिर, सिद्धपीठ श्री पातालेश्वर महादेव मंदिर, सूर्यकुंड मंदिर, श्री प्रकेटेश्वर महादेव मंदिर और गुमसानी स्थित शिव मंदिर में भारी भीड़ उमड़ी। हर मंदिर में सुबह से ही लंबी कतारें देखी गईं और भक्तों ने “ॐ नमः शिवाय” और “हर-हर महादेव” के जयघोषों से माहौल को भक्तिमय बना दिया।
श्री पातालेश्वर महादेव मंदिर के महंत जुगल किशोर मिश्रा ने सावन माह का पौराणिक महत्व बताते हुए कहा कि यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। समुद्र मंथन के दौरान निकले कालकूट विष को भगवान शिव ने इसी माह में अपने कंठ में धारण किया था, जिससे उनका गला नीला हो गया और वे “नीलकंठ” कहलाए। महंत के अनुसार, श्रद्धालु जलाभिषेक करके भगवान शिव के कंठ की शांति और कृपा की कामना करते हैं।
श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन भी पूरी तरह मुस्तैद नजर आया। मंदिरों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर क्यू मैनेजमेंट सिस्टम, बैरिकेडिंग और सुरक्षा गश्त की व्यवस्था की गई है।
संभल प्रशासन के अनुसार, किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासनिक अधिकारी, मेडिकल टीम, फायर ब्रिगेड और QRT टीमें भी मौके पर अलर्ट पर हैं।
सावन सोमवार की शुरुआत के साथ ही कई श्रद्धालु शिवरात्रि के जलाभिषेक के लिए हरिद्वार, गंगोत्री और काशी जैसे तीर्थस्थलों की ओर भी रवाना हो चुके हैं। स्थानीय कांवड़ यात्रियों का उत्साह देखते ही बन रहा है। कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लेकर पैदल यात्रा पर निकले हैं, जो शिवरात्रि पर अपने क्षेत्रीय शिवालयों में जलाभिषेक करेंगे।
कल्कि नगरी के शिवालयों में आज का दिन पूर्णतः शिवमय रहा, जहां भक्तों की भीड़, जयकारों की गूंज और आस्था की शक्ति एकजुट होकर सावन की महिमा को और अधिक निखार रही थी।