
अगस्त 2024 के शासनादेश के मुताबिक, कक्षा 9 से 12 तक में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जानी अनिवार्य हैं। शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही अभिभावकों ने शिकायत की थी कि कई स्कूल एनसीईआरटी की जगह निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने का दबाव बना रहे हैं। डीएम के निर्देश पर एसडीएम डॉ. वंदना मिश्रा और डीआईओएस श्यामा कुमार ने सैंट मैरी स्कूल पर छापा मारा। इस दौरान शिक्षक कई राज्यों की किताबों से पढ़ाई कराते मिले। इसके बाद जनपदीय शुल्क नियामक समिति ने सभी स्कूलों की जांच कराने का फैसला लिया।
12 अप्रैल को डीएम ने सभी सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों की किताबों की जांच के लिए अधिकारी नियुक्त किए थे। जांच में सामने आया कि कई स्कूूलों में एनसीईआरटी की जगह निजी प्रकाशकों की किताबों को पढ़ाया जा रहा है। अभिभावकों को चुनिंदा दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
जांच रिपोर्ट पर 17 अप्रैल को हुई जिला शुल्क नियामक समिति की बैठक में चर्चा हुई। समिति ने इसे अधिनियम की धारा 8 की उपधारा 10 (ए) का उल्लंघन माना। इसके तहत पहली बार नियम तोड़ने पर एक लाख रुपये का जुर्माना निर्धारित है। इस पर डीएम ने 33 नामी स्कूलों पर जुर्माना लगाया। साथ ही स्पष्ट निर्देश दिए कि जुर्माने की धनराशि एक सप्ताह के भीतर डीएफआरसी (जिला शुल्क नियामक समिति) के खाते में जमा करा दी जाए और संबंधित रसीद जिला विद्यालय निरीक्षक को सौंप दी जाए।
डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि संभल के 33 स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अगर स्कूल नहीं सुधरे और दोबारा निजी प्रकाशकों की किताबें मिलीं या छात्रों को किसी खास पुस्तक विक्रेता से किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया गया तो संबंधित स्कूल के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
Updated on:
06 May 2025 01:46 pm
Published on:
06 May 2025 01:14 pm
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