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‘जो कहते हो वो करो’, वाटर रेसिस्टेंट मोबाइल में घुसा पानी तो कोर्ट ने लगाया 1.88 लाख का जुर्माना

संतकबीर नगर में एक कस्टमर के वाटरप्रूफ मोबाइल में पानी चला गया। उसने कंपनी के सर्विस सेंटर में मोबाइल को रिपेयरिंग के लिए दिया। इसके बाद भी मोबाइल सही नहीं हुआ। उपभोक्ता फोरम में क्लेम के बाद अब कोर्ट ने कंपनी को ब्याज समेत रकम लौटाने का आदेश दिया है।

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कंपनी ग्राहक को देगी 1.88 लाख रुपए, कोर्ट ने दिया आदेश, PC- X

संतकबीरनगर : कंपनी के दावों पर भरोसा करके खरीदा वाटरप्रूफ मोबाइल, लेकिन हल्की बारिश में ही फोन खराब। सर्विस सेंटर से कोई हल न निकलने पर ग्राहक ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने सैमसंग कंपनी पर जुर्माना लगाते हुए ग्राहक को मूल कीमत के साथ ब्याज लौटाने का आदेश दिया है। उपभोक्ता को कुल 1.88 लाख रुपए लौटाने के कोर्ट ने आदेश दिए।

दो साल पहले खरीदा था फोन

संतकबीर नगर के निवासी शक्ति विकास पांडेय ने दिसंबर 2022 में खलीलाबाद के अग्रवाल टेलीकॉम से सैमसंग का फोल्ड 4 मॉडल खरीदा था। फोन की कीमत करीब 1 लाख 57 हजार 998 रुपये थी। कंपनी के सेल्समैन ने दावा किया था कि यह फोन पूरी तरह वाटर रेसिस्टेंट है और बारिश या पानी में गिरने पर भी बिल्कुल सुरक्षित रहेगा। ग्राहक ने इसी भरोसे पर महंगा फोन लिया।

लेकिन दो साल बाद, 26 सितंबर 2024 को खलीलाबाद के गोला बाजार में हल्की फुहार पड़ते ही फोन खराब हो गया। ग्राहक शक्ति पांडेय ने बताया कि, 'मात्र कुछ बूंदें गिरीं और अचानक फोन बंद हो गया। स्क्रीन काम नहीं कर रही थी।' उन्होंने तुरंत कंपनी के सर्विस सेंटर में फोन भेजा, लेकिन कई दिनों तक इंतजार के बाद भी कोई सुधार न हुआ। बार-बार शिकायतें कीं, मगर कंपनी ने सुनवाई नहीं की। आखिरकार, पांडेय ने कंसल्टेंसी फर्म की मदद से जिला उपभोक्ता आयोग में केस दायर किया।

60 दिनों में लौटाओ पैसे, वरना…

जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार सिंह और महिला सदस्य संतोष देवी ने दोनों पक्षों के तर्क सुने। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सैमसंग कंपनी और विक्रेता ने गलत दावा किया था, जिससे ग्राहक को नुकसान हुआ। इसलिए एक लाख 57 हजार 998 रुपये फोन की कीमत और 10 प्रतिशत ब्याज के हिसाब से 30 हजार रुपए अतिरिक्त कुल 1.88 लाख रुपए देने होंगे।

कोर्ट ने स्पष्ट कहा, 'कंपनी को अपने उत्पादों के दावों पर जिम्मेदारी निभानी चाहिए। ग्राहक का भरोसा तोड़ना उचित नहीं।' यह फैसला उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत आता है, जो ऐसी धोखाधड़ी पर सख्ती करता है।