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मैहर संगीत घराने ‘सेनिया’ के जनक उस्ताद अलाउद्दीन खां के पूर्वज थे हिन्दू, इतना कहर बरपा कि बने मुस्लिम

बाबा की परपोती ने अपनी किताब 'बोरो बाबा: उस्ताद अलाउद्दीन खान' में किया खुलासा

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allauddin khan

सतना। ख्यातिलब्ध संगीतकार और हिन्दुस्तान के प्रसिद्ध मैहर संगीत घराने 'सेनिया' के जनक पद्म विभूषण बाबा अलाउद्दीन खान के पूर्वज हिन्दू थे। यह खुलासा उनकी परपोती सहाना गुप्ता नी खान ने अपनी किताब 'बोरो बाबा- उस्ताद अलाउद्दीन खां' में किया है। बाबा अलाउद्दीन की बांग्ला भाषा में लिखी किताब 'आमरकथा' और इसकी पाण्डुलिपि के हवाले से तैयार की गई वंशावली में उन्होंने बताया कि बाबा की चार पीढ़ी पहले के पूर्वज हिन्दू थे, जिनका नाम था दीनानाथ देवशर्मा। इनके बेटे ने अंग्रेज संरक्षित नवाबों के कहर से बचने के लिए इस्लाम धर्म अपना लिया था। बोरो बाबा में सहाना बाबा की पाण्डुलिपि का हवाला देते हुए बताती हैं कि 'उनके दादा का नाम मदार हुसैन खान था और उनके पूर्वज हिंदू थे''। इसके बाद वे अपने पूर्वज दीनानाथ देब शर्मा को "महान विद्वान व्यक्ति" बताते हुए लिखती हैं कि उन्होंने "धार्मिक तपस्या करने के लिए भौतिक संसार को त्याग दिया"। सहाना ने लिखा है कि दीनानाथ देव शर्मा अखंड भारत के कोमिल्ला जिला के ग्राम शिवपुर (वर्तमान बांग्लादेश) के मूल निवासी थे। बाद में त्रिपुरा आ गए। यहां उन्हें त्रिपुरा राजा से शाही सम्मान भी प्राप्त हुआ। बोरो बाबा (अलाउद्दीन खां) ने आत्मकथा में लिखा है कि दीनानाथ देव यहां शांताय नामक पहाड़ी पर निर्मित एक काली मंदिर में रहने लगे थे। यहां उन्होंने ध्यान और तंत्र विद्या का अभ्यास किया।

ऐसे मुस्लिम बना हिन्दू परिवार

पाण्डु लिपि के हवाले से बाबा की परपोती सहाना ने लिखा कि दीनानाथ के बेटे सिराजूप्लासी युद्ध के वक्त अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहे थे। उस दौरान अंग्रेज परस्त नवाब इन लोगों के खिलाफ थे। सिराजू अपने दल के साथ छापामार युद्ध लड़ रहे थे, लेकिन उनके दल को नुकसान पहुंचा। इस बिखराव के बाद नवाबों की सेना ने इन लोगों पर दबाव बनाना शुरू किया। तब खुद को सुरक्षित रखने के लिए अपनी हिन्दू पहचान त्याग दी और अपने आपको शम्स फकीर बना लिया। इसके बाद से आगे की पीढि़यां मुस्लिम नामों से पहचानी जाने लगीं।

बाबा के पोते ने नाम में जोड़ा देव शर्मा

सहाना की ही तरह उस्ताद अलाउद्दीन खां के पोते आशीष खां ने तो अपने पूर्वजों की हिन्दू पहचान को स्वीकार करते हुए अपने नाम के आगे देव शर्मा जोड़ लिया। अब सार्वजनिक रूप ने अपना पूरा नाम आशीष खां देव शर्मा लिखते हैं। वे बाबा द्वारा शिक्षित इकलौते जीवित शिष्य हैं जो अमरीका में निवास कर रहे हैं।

बांग्लादेश ने जारी किया था डाक टिकट

उस्ताद अलाउद्दीन खां पर शोध कर रहे अतुल गर्ग बताते हैं कि बांग्लादेश गठन के बाद वहां के पहले राष्ट्राध्यक्ष मुजीबुर्रहमान ने बाबा अलाउद्दीन खां के सम्मान में उनके नाम से डाक टिकट जारी किया था। ठीक उसी वक्त भारत सरकार ने बाबा अलाउद्दीन खां को पद्म विभूषण का सम्मान प्रदान किया था। बाबा ने अपने पांचों नातियों के हिन्दू नाम रखे थे। उनके नाम आशीष, ध्यानेश, राजेश, प्राणेश और अमरेश रखे थे इसी तरह बेटियों के नाम सरोजनी, अन्नपूर्णा रखा था।