
Chitrakoot mela: 25 lakh devotees did 'Deepdan' at Maa Mandakini
सतना. भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में दिवाली पर दीपदान करने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। देशभर से करीब 25 लाख लोग यहां पहुंचे और मां मंदाकिनी में दीपदान किया। इससे पहले कामदगिरि भगवान की परिक्रमा की। दीपावली के दिन सुबह से श्रद्धालुओं का रेला पहुंचना शुरू हो गया था। रात तक तो यहां सड़क पर सिर्फ सिर ही सिर नजर आ रहे थे। पुण्य सलिला मां मंदाकिनी नदी में दीपक ही दीपक नजर आ रहे थे।पांच दिनी तक लगने वाले मेले को सुरक्षा के लिहाज से 9 जोन में बांटा गया है। इस दौरान व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मेले का समापन 29 अक्टूबर को होगा।
पैर रखने तक की जगह नहीं
दीपावली के दिन परिक्रमा पथ पर स्थिति यह थी कि पीछे वालों के धक्के से लोग अपने आप आगे बढ़ते जा रहे थे। कामतानाथ के प्रथम मुखारबिंद में पैर रखने तक की जगह नहीं थी। लोगों का रेला अपने आप आगे बढ़ता जा रहा था। इस दौरान काफी संख्या में लोग लेट कर भी परिक्रमा करते नजर आए।
200 से ज्यादा बिछड़े लोगों को मिलाया
मेला के दौरान कंट्रोल रूम लगातार सजग रहा। यहां स्थापित खोया पाया केंद्र ने लगभग 200 बिछड़े लोगों को अपनों से मिलाया। एएसपी गौतम सोलंकी ने बताया कि कहीं भी कोई अप्रिय स्थिति नहीं बनी। कलेक्टर सतेन्द्र सिंह, एसपी रियाज इकबाल, मेला प्रभारी ऋजु बाफना मेला प्रक्षेत्र का लगातार दौरा करते रहे।
लट्मार दिवारी नृत्य पर झूमते रहे यदुवंशी
दीपावली के दूसरे दिन चित्रकूट की गलियों में दिवारी नृत्य की छटा देखते ही बनी। परम्परानुसार गांवखेड़े से दिवारी नृत्य खेलने वालों का समूह राजमहल पहुंचा। वहां परम्परागत स्वागत के उपरांत चित्रकूट की गलियों में अपनी कला का प्रदर्शन करते घूम रहे थे। यह नृत्य यहां दीपावली से लेकर डिठवन एकादशी तक खेला जाता है। यह खेल लोक परम्परा का हिस्सा है। एक समूह में 25-30 लोग होते हैं। खेल-खेल मे एक दूसरे को मारते हैं और बचाव भी करते हैं। यह चित्रकूट का बहुत प्रसिद्ध खेल है। धर्मनगरी चित्रकूट में आसपास के जिलों के लोग भी अपनी-अपनी कला लाठियों पर प्रस्तुत करते हैं। लट्ठमार दिवारी मूल रूप से यदुवंशी लोग ही खेलते हैं।
आस्था ऐसी कि ट्रेनों की छतों पर बैठ कर पहुंचे
दीपावली मेले में पहुंचने के लिए काफी संख्या में लोग ट्रेन की छतों पर यात्रा करते नजर आए। हालांकि पुलिस बल इन्हें उतारने की तमाम कोशिश कर रहा था पर भीड़ के दबाव के आगे उनकी नहीं चल पा रही थी।
राम सैया में दंगल
परिक्रमा मार्ग से दो किलोमीटर दूर रामसैया नामक स्थल पर दंगल का आयोजन किया गया। आजादी के पहले से अनवरत हो रहे इस आयोजन को देखने हजारों की संख्या में कुश्ती प्रेमी पहुंचेञ दंगल का आयोजन बिहारा के ग्रामवासियों के सहयोग से होता है। व्यवस्था में बिहारा के प्रधान पति चुनकावन प्रसाद पांडे, हरदेव प्रसाद शुक्ला, विवेक चौबे, अशोक मिश्रा का योगदान रहा।
Published on:
28 Oct 2019 10:48 pm
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