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पांच दिनी दीप महोत्सव का 5 नवंबर से आगाज, धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज को होगा खत्म

उजाले का उल्लास: पांच दिनी दीपोत्सव और महालक्ष्मी का आगमन, दीप देंगे रोशनी का संदेश

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Five Days deepdan full story in hindi

Five Days deepdan full story in hindi

सतना। जीवन में उजियारे का उत्सव उल्लास के साथ मनाया जाएगा। भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से लौटने की खुशी में अयोध्या वासियों ने दीपों की पंक्तियां लगाकर दीपोत्सव मनाया था और शहर में उजाला किया था। उसे आज दीपावली के रूप में देशभर में मनाया जाने लगा है। दशरथ परिवार की लक्ष्मी अर्थात माता सीता की पूजा कर जिस तरह से अगवानी हुई, उसे महालक्ष्मी पूजन के रूप में अब घर-घर में किया जा रहा है।

उजाले और लक्ष्मी के पांच दिनी महोत्सव सोमवार को धनतेरस के साथ शुरू होगा। दीपोत्सव की दमक भाईदूज तक कायम रहेगी। छोटा सा दीपक अमावस्या की रात में लड़ेगा और अंधेरे को पराजित कर साम्राज्य कायम करेगा। घर-आंगन से लेकर शहर से रोशनी का महारास होगा।

5 नवंबर: धनतेरस
दीप पर्व की शुरुआत धनतेरस से होगी। इसी दिन महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। घर की समृद्धि के लिए घरों में 13 दीप कुबेर देवता के लिए जलाए जाते हैं। मध्यकाल में आरोग्य देवता धन्वंतरि की पूजन किया जाता है। प्रचलित कथा के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी पर समुद्र मंथन में धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
मंत्र : यक्षाय कुबेराय वैश्रवणआय धन्य धान्य अधिपतये, धन्य-धान्य समृद्धि में देही दापय स्वाहा।

6 नवंबर: रूप चौदस
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी को रूप चौदस या नरक चौदस कहा जाता है। इस दिन श्रीकष्ण की पूजा करने के साथ व्रत रखा जाता है। प्राचीन कथा के अनुसार हिरण्यगर्भ नामक नगर के योगीराज जब कड़ी साधना कर रहे थे, तो उनके शरीर में कीड़े पड़ गए। नारदजी ने उन्हें कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी पर व्रत करने की सलाह दी इससे उन्हें वापस सुंदर रूप मिला। तभी से रूप चौदस मनाई जाती है।
मंत्र : कृंकृष्णाय नम:

7 नवंबर: दीपावली
लक्ष्मी पूजा की रात्रि को सुख रात्रि कहा जाता है। इस दिन महालक्ष्मी के साथ श्री गणेश, महासरस्वती का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम वनवास से लौटे थे और लक्ष्मी माता ने अयोध्या में राम-सीता की अगवानी की थी।
मंत्र : या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवने स्वलक्ष्मी: , पापात्मनां कृर्ताधया ह्दयेषु बुद्धि:।
श्रद्धा सतां कुलजन प्रभवस्य लज्जा, तां त्वां नता: स्म परिपालय देषि विश्वम।।

8 नवंबर: गोवर्धन पूजा
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर गोवर्धन पूजा की जाती है। ब्रज के साक्षात देवता गिरीराज भगवान (पर्वत) को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। यह प्रथा द्वापर युग से चली आ रही है। पहले इंद्र देवता की पूजा होती थी लेकिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र के कोप से गांव वालों की रक्षा की।
मंत्र : लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता,घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं न्यपोहतु।

9 नवंबर: भाई दूज
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को जो बहन भाई को खाना खिलाकर टीका करती है उसे यम का भय नहीं रहता है। कथा है कि सूर्यदेव की पत्नी छाया के पुत्र यमराज व पुत्री यमुना थी। यमुना भाई को हमेशा बुलाती, लेकिन वे नहीं आते। कार्तिक शुक्ल की द्वितीया को अचानक यमराज यमुना के घर पहुंचे। बहन ने उनका सत्कार कर खाना खिलाया था।
मंत्र : भृतसतबा ग्रजाताहां भुंकसा भक्तामीडम शुवां, प्रीटाए यामा राजस्य अमुनाह विशेषत।

धन तेरस पर खरीदारी के मुहूर्त
- अमृत : सुबह 6.34 से 7.58 बजे तक
- शुभ : सुबह 9.21 से 10.44 बजे तक
- चर : दोपहर 1.31 से 2.54 बजे तक
- लाभ : दोपहर 2.55 से 4.17 बजे तक
- अमृत : शाम 4.18 से 5.40 बजे तक
- चर : शाम 5.41 से 7.17 बजे तक
- सर्वश्रेष्ठ पूजा का मुहूतज़् : 6.21 से 7.50 बजे तक

चौघड़िया
- लाभ : सुबह 6.36 से 7.59 बजे तक
- अमृत : 7.59 से 9.22 बजे तक
- शुभ : सुबह 10.44 से दोपहर 12.07 बजे तक
- चर : दोपहर 2.53 से 4.16 बजे तक
- लाभ : शाम 4.17 से 5.39 बजे तक
- शुभ : शाम 7.16 से 8.54 बजे तक
- अमृत : रात 8.55 से 10.31 बजे तक
- चर : रात 10.31 से 12.08 बजे तक
- लाभ : रात 3.22 से 4.59 बजे तक