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BA, BSC, Bcom में एडमिशन न मिलने पर न हो निराश, होम साइंस में बनाएं करियर, जिन्दगी में भी आएगी बहार

BA, BSC, Bcom में एडमिशन न मिलने पर न हो निराश, होम साइंस में बनाएं करियर, जिन्दगी में भी आएगी बहार

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Graduation and Career in home science

Graduation and Career in home science

सतना। प्रदेश सहित विंध्य की कॉलेजों में यूजी की सीएलसी के दो राउंड पूरे हो चुके है। फिर भी कई कॉलेज की छात्राएं बीए, बीएससी और बीकाम में एडमिशन से वंचित हो रही है। लेकिन अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है। शासकीय कन्या महाविद्यालय सतना की होम साइंस डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. सुचिता तिवारी ने बताया कि होम साइंस एक ऐसी पढ़ाई है। जिसके माध्यम से सरकारी नौकरी तो मिलेगी साथ ही आप प्राइवेट सेक्टर में भी आसानी से जॉब पा सकते है।

विगत कुछ वर्षों से गृह विज्ञान का क्षेत्र एवं पाठयक्रम अधिक चर्चित हुआ है, जिसमें खाद्य प्रसंस्करण एवं ट्रेनिंग, क्लोदिंग एवं टेक्सटाइल तथा इंटीरियर डेकोरेशन आदि को शामिल किया जाता है। जो लड़कियों के लिए यह क्षेत्र काफी सुकूनदायक एवं रोजगारपरक है। अगर छात्राएं सीएलसी के दो राउंड पूरे होने के बाद च्वाइस फीलिंग में भी एडमिशन न मिलने का खतरा है। तो वह छात्राएं च्वाइस फीलिंग में अपना सब्जेक्ट कोड चेंज कर सीधे बीएचएससी प्लेन होम साइंस में एडमिशन पा सकती है।

क्या है खास
होम साइंस से बीएचएससी सतना गर्ल्स कॉलेज में 3 साल के ग्रेजुएशन डिग्री के रूप में शामिल है। इसके अलावा मुख्य विषयों में विकास संचार और एक्सटेंशन, कपड़ा और परिधान विज्ञान, खाद्य और पोषण, मानव विकास और संसाधन प्रबंधन, एक उद्यमिता, पारिवारिक जीवन शिक्षा, सूक्ष्म जीव विज्ञान, व्यक्तित्व विकास, खाद्य संरक्षण, फैशन डिजाइनिंग आदि है।

फिर कर सकते है ये सब
होम साइंस में ग्रेजुएशन स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद होम साइंस में पोस्ट-ग्रेजुएशन, फैशन डिजाइनिंग, डायटेटिक्स, परामर्श, बीएड, सामाजिक कार्य, विकास अध्ययन, उद्यमशीलता, मास कम्युनिकेशन, कैटरिंग टेक्नोलॉजी आदि जैसे पाठ्यक्रमों से पोस्ट-ग्रेजुएशन किया जा सकता हैं।

कहां मिल सकती है अच्छी नौकरी
- हेल्थ केयर: डाइटिशन हॉस्पिटल और क्लीनिक में काम कर सकते है।
- सोशल वेलफेयर: न्यूट्रिशनिस्ट का वेलफेयर प्रोग्राम में बहुत जरुरी हिस्सा होता है।
- इंस्टिट्यूशनल केटरिंग: न्यूट्रिशन और अच्छे खाने को तैयार करने के लिए डाइटिशन की जरूरत होती है।
- फूड सर्विस: प्रॉडक्ट डेवलपमेंट, प्लैनिंग और प्रोमोशन कर सकते है।
- मास मीडिया: टेलिविजन प्रोग्राम और कुक-बुक की मदद से हमे हेल्थ कॉन्शियस होने की जानकारी मिलती है।
- रिसर्च और डेवल्पमेंट: आप फूड इंडस्ट्री में जाकर डाइटिशन या न्यूट्रिशनिस्ट बन सकते हैं।

इन पदों पर मिलता है काम
- इंटीरियर डेकोरटर
- ड्रेस डिजाइनर
- डायटीशियन
- न्यूट्रीशनिस्ट
- महिला बाल विकास अधिकारी
- शिक्षिका
- टीवी या रेडियो कलाकार
- नर्सरी स्कूल संचालिका
- प्रसार कार्यकर्ती
- फूड टेक्नोलॉजिस्ट
- प्रसार अधिकारी
- प्रबंधक

यहां से कर सकते हैं पीएचडी
- लेडी इर्विन कॉलेज, नई दिल्ली
- दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
- एनजी रंगा एग्रीकल्चरल विवि, हैदराबाद
- एसएनडीटी वुमेन विश्वविद्यालय, मुंबई
- बनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान
- देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
- बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल
- जाधवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता
- रानी दुर्गावती विवि, जबलपुर

- - अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा