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satna: चितगढ़ में लुट रहा खनिज का खजाना

खनिज महकमे की मिलीभगत से जारी है खेलजितने की टीपी जारी हो चुकी, खदान में नहीं हुआ उतना खनन

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Illegal mining of precious minerals happening in Chitgarh

Illegal mining of precious minerals happening in Chitgarh

सतना. जिले में खनिज महकमे की मिलीभगत से खनिज का अवैध खनन और परिवहन जोरों पर चल रहा है। पिटपासधारी अपनी जमीनों में खनन न कर अवैध खनन करने वालों को अपनी टीपी बेच रहे हैं। हाल ही में इसका मामला चितगढ़ में सामने आया है। यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि वैधानिक खदान की आड़ में व्यापक पैमाने पर सरकारी और निजी जमीनों पर अवैध खनन हो रहा है। इसकी शिकायत खनिज विभाग से लेकर कलेक्टर तक कर चुके हैं पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। स्थिति यह है कि खनिज महकमे के लोगों द्वारा शिकायत करने वाले की पहचान उजागर कर दी जाती है, जिससे उन्हें धमकियां तक मिलती हैं । मामले में क्षेत्र के खनि निरीक्षक की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं। क्योंकि, जब कभी दबाव बढ़ा या लक्ष्य पूर्ति की स्थिति आई तो खनि निरीक्षक दिखावे की कार्रवाई कर खानापूर्ति कर लेते हैं।
स्थानीय निवासी बालगोपाल सिंह बताते हैं कि उन्होंने चितगढ़ में अवैध खनन की सूचना खनिज विभाग को अप्रैल माह में दी थी। स्पष्ट बताया था कि उनकी निजी आराजी में दबंग अवैध खनन कर रहे हैं। खनन करने वालों के नाम सहित शिकायत की गई थी। पंचायत के एक जनप्रतिनिधि सहित उनके अन्य साथी व्यापक पैमाने पर अवैध खनन करते हैं। इनके द्वारा चितगढ़ के लीज धारी की टीपी खरीद कर अवैध परिवहन में इस्तेमाल की जाती है, लेकिन खनिज महकमे से कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि खनि महकमे को चितगढ़ की वैध खदान के खनित क्षेत्र और यहां से जारी की गई टीपी की जांच करनी चाहिए।

खदानों का नहीं होता सत्यापन

ग्रामीण इन्द्राज, लल्ला, विश्राम, कामता, अभिमान ने लिखित तौर पर खनिज महकमे को बताया कि यहां सर्वाधिक अवैध खनन लीज धारी खदान की आड़ में हो रहा है। इसलिए खदान जब से चालू हुई है तब से उसका मूल्यांकन कराया जाए कितना मटेरियल था और कितना निकाला गया तो अपने आप में सच्चाई सामने आ जाएगी। लेकिन अफसर और कर्मचारी जान बूझ कर ऐसा नहीं कर रहे हैं। इस मामले में सभी की मिलीभगत है।
लेटराइट पर मुरुम की खदान
जिले का खनिज महकमा किस तरीके से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने में लगा है इसका उदाहरण चितगढ़, रखौंधा और केमरी क्षेत्र में दी जाने वाली मुरुम खदानें हैं। खनिज महकमा बिना क्षेत्र का मूल्यांकन और परीक्षण किए बिना बहुमूल्य लेटराइट खनिज पर मुरुम की परमिशन देने में जुटा है। ऐसा नहीं कि इन खदानों में कभी भी आकर देखा जा सकता है कि यहां मुरुम निकल रही है या लेटराइट। खनिज विभाग के नियमों में भी है कि अगर कहीं मेजर मिनरल निकलता है तो उनसी अनुमति उस अनुरूप दी जानी चाहिए। लेकिन अमला अपनी जेबे गरम कर सरकार को चूना लगा रहा है।

आराजी नंबर 62 की गंभीर शिकायत

चितगढ़ की आराजी नंबर 62 में जो खनन लीज दी गई है इस खदान की आड़ में व्यापक पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। इन नंबर के नाम पर आसपास की सरकारी जमीनों पर खनन कर खनिज सीमेंट फैक्ट्रियों में दिया जा रहा है।


" शिकायत मिली है। मामले में खनि निरीक्षकों सहित तहसीलदारों को जांच के लिए लिखा गया है। यहां की जांच कराई जाकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।"
- दीपमाला तिवारी, जिला खनिज अधिकारी