
Malnutrition spread such that the skin stuck to the bones of the girl
सतना। आदिवासी बाहुल्य इलाके मझगवां में कुपोषण का दंश आज भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हो पाया है। एक दशक से लगातार चल रहे प्रयासों के बाद भी जमीनी हालात में अपेक्षित बदलाव नजर नहीं आ रहे हैं। इसकी बड़ी वजह है यहां पर संबंधित विभाग के मैदानी प्रयास गंभीरता से नहीं किये जा रहे हैं। इसकी जीती जागती मिसाल है चित्रकूट से लगे सुरंगी गांव की 7 वर्षीय बच्ची सोमवती मवासी। पोषण और इलाज के अभाव में उसकी चमड़ी हडि़्डयों से चिपक गई है। हाथ पांव सूख चुके हैं। आंखे धंस चुकी है। इस बच्ची का वीडियो वायरल हुआ तो बात सीएम तक पहुंच गई। सीएम ने बच्ची के इलाज के निर्देश दिए हैं और उसके पालन पोषण की व्यवस्था का भरोसा दिलाया है। सीएम के निर्देश के बाद आनन फानन में विभागीय अधिकारी सक्रिय हुए और बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मिली जानकारी के अनुसार आदिवासी बाहुल्य गांव सुरंगी गांव निवासी 7 वर्षीय बालिका सोमवती मवासी अपने नाना के यहां रहती है। परिवार काफी गरीब है। रोज काम करने पर चूल्हा जलता है। ऐसे में इस बालिका का बड़ा सहारा महिला बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी है। सोमवती के परिवार के लोग कहते हैं कि आंगनबाड़ी से कोई पोषण आहार नहीं मिलता है। कुपोषण की वजह से 7 साल बाद भी उसका वजन साढ़े 7 किलो है जबकि इस उम्र के बच्चों का वजन 20 किलो होता है।
विभागीय लापरवाही भी एक वजह
मझगवां में कुपोषण एक दशक से बड़ी समस्या बना हुआ है। लेकिन यहां जिम्मेदार अधिकारियों की पदस्थापना नहीं की गई। अभी जो सीडीपीओ पदस्थ हैं उनका अपने क्षेत्र में आना-जाना कम है। वे मुख्यालय में भी नहीं रहती हैं। इस कुपोषण बाहुल्य इलाके में आज भी सुपरवाइजर के पद खाली हैं।
मुख्यमंत्री ने मामले को लिया संज्ञान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मामले को पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता से लिया है। ट्वीट करके बताया है कि कलेक्टर सतना को सोमवती के इलाज की पूरी व्यवस्था के निर्देश दे दिए गए हैं। सीएम के निर्देश के बाद अस्पताल में सोमवती के उचित इलाज की व्यवस्था कराई गई है। सीएम ने कहा है कि सोमवती को संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ दिया जाएगा और उसके उचित पालन पोषण की व्यवस्था भी होगी।
एसीएस ने बोल दिया था सबको करो निलंबित
राजधानी के सूत्रों का कहना है कि मामला जैसे ही मुख्यमंत्री के संज्ञान में आया तो उन्होंने इस संबंध में सीएस से बात की। जहां से आनन फानन में एसीएस अशोक शाह तक मामला पहुंचा। उन्होंने वीडियो देखकर सीधे कहा कि डीपीओ से लेकर नीचे तक सभी को निलंबित कर दो। लेकिन इसके कुछ ही देर बाद कलेक्टर की रिपोर्ट उन तक पहुंच गई। जिसमें बताया गया था कि बच्ची सात साल की है और स्कूल जाने की उम्र में है। इसका दो बार एनआरसी में इलाज भी कराया गया है। जिसके बाद एसीएस का गुस्सा कम हुआ। लेकिन उन्होंने एडिशनल डायरेक्टर महिला बाल विकास राजपाल कौर के नेतृत्व में चार सदस्यीय जांच टीम गठित की है। जो सोमवार को सतना पहुंच गई है।
जिला अस्पताल में भर्ती कराई गई बच्ची
मामला तूल पकड़ता देख महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी सक्रिय हो गये। आनन फानन में बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। बच्ची का वजन काफी कम पाया गया। अपनी उम्र के बच्चों से उसका वजन एक तिहाई है। बच्ची का शुगर लेबल 10 गुना ज्यादा पाया गया है। पीकू में बच्ची का इलाज प्रारंभ कर दिया गया है।
''मामला गंभीर है। इस पर पूरी जानकारी ली गई है। इस मसले पर ठोस कदम उठो जाएंगे। जांच के दौरान सेवाओं में कमी पाए जाने पर संबंधित कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही भी की जाएगी।'' - अनुराग वर्मा, कलेक्टर
''एसीएस ने जांच के निर्देश दिए हैं। हम सोमवार को सतना पहुंचेंगे। पूरी गंभीरता से मामले की जांच की जाएगी। पूरी पारदर्शिता के साथ साफ सुथरी जांच होगी। जांच के बाद ही कुछ कह पाएंगे।'' - राजपाल कौर, एडिशनल डायरेक्ट महिला बाल विकास विभाग
Updated on:
05 Sept 2022 10:58 am
Published on:
05 Sept 2022 10:45 am
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