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महापौर ने शहर को स्मार्ट बनाने में गुजार दिए पांच साल, खुद का वार्ड आज भी बदहाल

ऐसे हैं वार्ड 4 के हालात... सड़क, पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रही वार्ड की जनता

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ऐसे हैं वार्ड 4 के हालात

ऐसे हैं वार्ड 4 के हालात

सतना. जिन महापौर के कार्यकाल में शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला, घर-घर पानी पहुंचा, पांच साल में एक हजार करोड़ से अधिक के विकास कार्य हुए, उनका अपना वार्ड आज भी विकास की बाट जोह रहा है। जी हां, शहर की प्रथम नागरिक महापौर ममता पाण्डेय पांच साल तक शहर की सूरत बदलने के कार्य में जुटी रहीं लेकिन विकास की इस अंधी दौड़ में उनका अपना वार्ड बहुत पीछे छूट गया। जिस वार्ड में स्वयं महापौर एवं निगमायुक्त का निवास हो, वह निगम प्रशासन के लिए कितना महत्वपूर्ण होगा इसका अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है पर गुरुवार को जब इस वार्ड 4 की कॉलोनियों का भ्रमण कर विकास कार्यों का जायजा लिया तो बदहाल सड़कों को देखकर यकीन ही नहीं हुआ कि यह निवर्तमान महापौर का वार्ड है।

गांव से बदतर पौराणिक टोला के हाल
चित्रकूट रोड और रेलवे लाइन के बीच सिविल लाइन चौराहे से लेकर बगहा पेट्रोल पंप तक बसे वार्ड चार में विकास सिविल लाइन में अफसरों की कॉलोनी तक सिमट कर रह गया है। इस वार्ड की सबसे पुरानी बस्ती पौराणिक टोला हरिजन बस्ती को देखकर एेसा लगता ही नहीं कि यह शहर की कोई कॉलोनी है। बस्ती तक पहुंचने के लिए आज तक पक्की सड़क नहीं बन पाई है। कॉलोनी में नाली और स्ट्रीट लाइट भी नहीं। बस्ती की हालत किसी गांव से कम नहींं। चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि जिस जलावद्र्धन योजना से पूरा शहर पानीदार हो गया, पौराणिक टोला की जनता उस योजना के लाभ से भी वंचित है। नगर निगम प्रशासन घर-घर पानी पहुंचाने का दावा कर रहा है लेकिन 100 से अधिक घरों की इस बस्ती में आज तक पानी की पाइपलाइन ही नहीं बिछी। बस्ती में पेयजल के लिए सिर्फ एक हंैडपंप लगा है। उसके बंद होते ही बस्ती के लोग एक किलोमीटर दूर से पानी लाकर प्यास बुझाने को मजबूर हो जाते हैं।
महापौर भी नहीं धो पाईं अवैध कॉलोनी का दाग

वार्ड ४ में बसी ५० फीसदी कॉलोनियां निगम के दस्तावेज में अवैध दर्ज हैं। वार्ड से महापौर चुने जाने के बाद स्थानीय रहवासियों ने उम्मीद लगाई थी कि अब उनकी कॉलोनी का अवैध होने का दाग धुलेगा। महापौर वार्ड का विकास कराएंगी लेकिन पांच साल में महापौर भी अपने वार्ड की अवैध कॉलोनियों को वैध नहीं करा सकीं। निगम प्रशासन व महापौर के बीच खींचतान का खामियाजा वार्ड की जनता को विकास से वंचित रहकर भुगतना पड़ा।

जनता का दर्द सभी की फोटो
चुनाव के समय नेता आते हैं, विकास के बड़े-बड़े सपने दिखाकर चले जाते हैं लेकिन जीतने के बाद कोई झांकने नहीं आता। यह बस्ती सबसे पुरानी है। हमने बीस साल में चार पार्षद चुने पर हमारी बस्ती के लिए किसी ने कुछ नहीं किया। इस बार महापौर से उम्मीद थी लेकिन वे भी पांच साल सिर्फ विकास के सपने दिखाती रहीं।

हिरनिया बाई, पौराणिक टोला वार्ड ४

पूरा शहर पानीदार हो गया पर हमारी बस्ती में आज तक पाइपलाइन नहीं बिछी। पूरी बस्ती में पेयजल के कोई प्रबंध नहीं हैं। बस्ती के लोग एक किमी दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं। पानी एवं सड़क बनवाने के लिए महापौर से लेकर पार्षद तक से गुहार लगाई, लेकिन आज तक मिला कुछ नहीं।
दुइजी चौधरी, पौराणिक टोला वार्ड ४

यह महापौर का वार्ड है लेकिन हालात गांव से भी बदतर हंै। जब वार्ड की महिला महापौर बनी तो उम्मीद जगी थी कि वार्ड का विकास होगा, हमारी बस्ती के दिन भी बहुरेंगे लेकिन समय बीतने के साथ उम्मीदें टूटती गईं। महापौर ने पांच साल में हमारी बस्ती में एक रुपए का कार्य नहीं कराया।

सुमित्रा, निवासी वार्ड 4

पूरा शहर स्मार्ट हो गया लेकिन हमारी बस्ती में एक सड़क तक नहीं बनी। बारिश के मौसम में कॉलोनी तालाब बन जाती है। घुटनों तक कीचड़ में चलकर लोग मुख्यमार्ग तक पहुंचते हैं। कॉलोनी में न सड़क है न पानी की व्यवस्था। कहने के लिए यह महापौर का वार्ड है, स्थिति गांव से भी बदतर है।
प्रेमकांत यादव, पौराणिक टोला वार्ड ४
पार्षद बोली

पांच साल में जितना हो सका वार्ड में विकास कार्य कराए। वार्ड की ४० फीसदी कॉलोनियां अवैध हैं। इनमें सड़क एवं नाली का निर्माण कराने सैकड़ों पत्र नगर निगम प्रशासन को लिखे पर निगम प्रशासन ने निर्माण कार्य नहीं कराए। पौराणिक टोला हरिजन बस्ती में जमीन विवाद के कारण पाइपलाइन भी नहीं बिछ पाई। हमने इस कॉलोनी के विकास के लिए हर संभव प्रयास किए, निगम प्रशासन से मदद न मिलने के कारण सफलता नहीं मिल पाई।
शांति तिवारी, वार्ड पार्षद


हकीकत

वार्ड- 4
आबादी 5500

मतदाता 3602
पुरुष 1893

महिला 1709
विकास की स्थिति

50 फीसदी कॉलोनियां बदहाल