हुआ कुछ यूं कि सन् 98 में शंकरलाल तिवारी बृजेन्द्रनाथ पाठक के स्थान पर अपने लिए टिकट मांग रहे थे। पर, टिकट भाजपा के एक अन्य नेता मांगेराम गुप्ता को मिली। वे पार्टी के लिए फंडिंग का काम करते थे और पार्टी के जिलाध्यक्ष भी रह चुके थे। मांगेराम को टिकट मिलते ही शंकर समर्थकों ने हनुमान चौक स्थित एक धर्मशाला में तुरत-फुरत बैठक बुलाई। इसमें शिवबालक सिंह, पूर्व मंत्री रामहित गुप्त के पुत्र केशव भारती, पूर्व भाजपा नगर अध्यक्ष अनंत गुप्ता, लाल प्रमोद प्रताप सिंह एवं किसान मोर्चा के नेता ददोली पाण्डेय शामिल हुए। दो व्यापारी नेता रामावतार चमडिय़ा और हरीश कुकरेजा भी शंकरलाल के सक्रिय समर्थक थे।
बैठक में पार्टी पर टिकट बेचने का गंभीर आरोप लगाते हुए शंकरलाल तिवारी को बागी उम्मीदवार बनाए जाने और उन्हें जिताने की जोर-शोर से कसमें खाईं गईं। अंतत: दो-चार दिन के भीतर शंकरलाल तिवारी निर्दलीय उम्मीदवार बन गए, जिनका चुनाव चिह्न बरगद था। इस चुनाव के परिणाम शंकरलाल के पक्ष में तो नहीं रहे पर उन्होंने भाजपा उम्मीदवार मांगेराम गुप्ता की जमानत जब्त करा दी। एक अन्य प्रभावशील व्यापारी नेता घनश्याम गोयल भी उस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार थे और वे तीसरे नंबर पर रहे। चुनाव के दौरान बागी शंकरलाल और उनके समर्थकों को पार्टी से निकाल दिया।
निष्कासित नेता लोकतांत्रिक भाजपा बनाकर यत्र-तत्र सभाएं करते घूमने लग। शंकरलाल तिवारी ने अपनी पार्टी में शिवबालक सिंह को जिलाध्यक्ष बनाया, अनंत गुप्ता को नगर अध्यक्ष। वे चुनाव में ताकत दिखा ही चुके थे , अब उन्होंने अपने समर्थकों को संगठित करना शुरू कर दिया। लोभाजपा ने 2000 के मेयर के चुनाव में विनोद जायसवाल को उम्मीदवार बनाया पर वे प्रभाव नहीं दिखा सके। मेयर के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार जीता और भाजपा फिर हार गई। तक भाजपा को आभास हुआ कि शंकरलाल की टोली सिरदर्द बनती जा रही है।
इस बीच पूर्व समाजवादी नेता रामानंद सिंह ने सेतु का काम करते हुए खासमखास कुशाभाऊ ठाकरे को शंकरलाल की वापसी के लिए राजी कर लिया। 2003 के विस चुनाव में उनकी टिकट के साथ वापसी हुई। टिकट मिली और उसी चुनाव में उमा भारती की लहर चलने से शंकरलाल 25 हजार से अधिक वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार सईद अहमद से जीत गए। तबसे उनके विधायक बनने का क्रम जारी है। हालांकि आसन्न चुनाव में अगर शंकरलाल तिवारी को टिकट मिलती है तो उन्हें पहली बार अपनी ही पार्टी के बागी नेता पुष्कर सिंह तोमर का सामना करना पड़ेगा।