27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कांग्रेस को अपनों ने दिया झटका, अविश्वास प्रस्ताव गिरना तय

फ्लोर टेस्ट के पहले ही कांग्रेस का हिट विकेट एक पार्षद ने तो लिख कर जता दी प्रस्ताव पर असहमति, तीन गायब रहे

5 min read
Google source verification
avishwas

सतना। नगर निगम अध्यक्ष राजेश चतुर्वेदी के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव फ्लोर टेस्ट के पहले ही औंधे मुंह गिर गया। हस्ताक्षर सत्यापन के पहले दिन कलेक्टर ने जिन 9 पार्षदों को बुलाया गया था उनमें से तीन तो पहुंचे ही नहीं। हद तो यह हो गई कि एक पार्षद जिनके हस्ताक्षर अविश्वास प्रस्ताव के पत्र पर थे, वे कलेक्टर के सामने हस्ताक्षर सत्यापन के दौरान प्रस्ताव पर सहमत न होते हुए स्पष्ट अंकित कर दिया कि वे इससे असहमत है। इस तरह कांग्रेस सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के पहले ही हिट विकेट हो गई और अब हस्ताक्षर सत्यापन की औपचारिकता ही शेष रह गई है। इस प्रस्ताव को फ्लोर पर लाने के लिए एक तिहाई अर्थात 15 पार्षदों का समर्थन चाहिए था, लेकिन पहले दिन ही 4 पार्षदों का समर्थन नहीं मिलने से संख्या बल तय आंकड़े से नीचे आ गया है।

बुलाए थे 9 पार्षद, पहुंचे 6

कांग्रेस द्वारा 9 सितंबर को 18 कांग्रेसी पार्षदों का हस्ताक्षरित अविश्वास प्रस्ताव पत्र सौंपे जाने के बाद कलेक्टर अनुराग वर्मा ने अध्यपेक्षा की कार्यवाही प्रारंभ की। जिसमें हस्ताक्षर प्रमाणीकरण के लिए 18 पार्षदों में से 9 पार्षदों को शुक्रवार तथा 9 पार्षदों को शनिवार को उपस्थित होने के लिए पत्र जारी किया। तय समय 3 बजे से लगभग आधे घंटे विलंब से कांग्रेस के अपेक्षित 9 में से 6 पार्षद ही अपने समर्थकों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे। इनमें नेता प्रतिपक्ष रावेंद्र सिंह मिथलेश, कृष्णकुमार सिंह, अमित अवस्थी, कमला सिंह, शहनाज बेगम और तिलकराज सोनी शामिल रहे। शेष अनुपस्थित तीन पार्षदों में वार्ड 12 की पार्षद माया देवी कोल जहां गुरुवार को भोपाल में भाजपा की सदस्यता लेने के बाद महाकाल के दर्शन करने उज्जैन गई हुईं है। इनके अलावा वार्ड 5 की पार्षद सुषमा तिवारी और वार्ड 16 की पार्षद सुनीता चौधरी कलेक्टर के सामने नहीं पहुंचीं।

वीडियो रिकार्डिंग के बीच किया गया प्रमाणन

सभी पार्षदों के पहुंचने के बाद कलेक्टर अनुराग वर्मा ने सभी पार्षदों को एक-एक करके अपने कक्ष में बुलाया। इस दौरान उन्हें एक प्रारूप दिया जा रहा था। जिसमें जानकारी अंकित करने कहा गया था। इस पूरे घटनाक्रम की वीडियो रिकार्डिंग भी करवाई जा रही थी। सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष मिथलेश सिंह पहुंचे। उन्होंने हस्ताक्षर प्रमाणीकरण प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद अन्य सभी अपेक्षित पार्षदों ने भी प्रमाणीकरण प्रक्रिया में हिस्सा लिया।

और इस तरह हुआ खेला

पहले से ही तय संख्या बल से कम की संख्या में पहुंचे कांग्रेस पार्षद दल को झटका तब लगा जब वार्ड 2 की पार्षद शहनाज बेगम ने कलेक्ट्रेट की सीढि़यां उतरने के बाद बताया कि उनसे कन्फ्यूजन हो गया। गलती से मैने अविश्वास प्रस्ताव के प्रारूप में असहमत लिख दिया है। यह सुनते ही कांग्रेस खेमे को सांप सूंघ गया। आनन फानन में शहनाज बेगम को वापस लाकर कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां संशोधन की अनुमति मांगी गई। लेकिन कलेक्टर ने नियमों का हवाला देते हुए ऐसा करवाने से इंकार कर दिया। इसके बाद भी कांग्रेस खेमे ने पार्षद शहनाज बेगम का शपथ पत्र तैयार करवा कर कलेक्टर के समक्ष पहुंचे। प्रक्रिया विहीन होने की वजह से कलेक्टर ने इसे लेने से इंकार कर दिया। जिस पर कलेक्ट्रेट की आवक जावक में इसे देकर रिसीव करवाया गया।

असहमति पर शहनाज को कलेक्टर ने चेताया था

जानकारी के अनुसार पार्षद शहनाज बेगम ने जब अविश्वास प्रस्ताव के तय प्रारूप में हस्ताक्षर प्रमाणीकरण के बाद प्रस्ताव पर अपनी असहमति लिखी तो कलेक्टर ने इसे देखने के बाद उन्हें बताया कि आपने प्रस्ताव पर असहमति जताई है। इसे सुन कर शहनाज ने हामी भरी। इसके बाद वे बाहर आ गईं। लेकिन बाहर आने के बाद भी उन्होंने असहमति पर चुप्पी साधे रखी।

कलेक्टर ने अनुपस्थितों के लिए दिया था मौका

जानकार के अनुसार कांग्रेस ने संपर्क से बाहर चल रहे पार्षदों के लिए समय चाहा था। जिसमें कलेक्टर ने यह फेवर चाहा था कि संबंधित कुछ पार्षद अभी शहर में नहीं है। लिहाजा उन्हें अगले दिन आने का मौका दिया जाए। कलेक्टर इस पर भी सहमत हो गए थे और कहा था कि इस संबंध में उनका आवेदन दिलवा दें। अगले दिन उनका प्रमाणीकरण करवा लेंगे। लेकिन शुक्रवार को जब कांग्रेस पार्षद दल हस्ताक्षर प्रमाणीकरण के लिए पहुंचा, तो नेता प्रतिपक्ष अनुपस्थित तीन पार्षदों की ओर से आवेदन लेकर कलेक्टर के समक्ष पहुंचे। इसमें 10 दिन का समय चाहा गया था। कलेक्टर ने इस पत्र को स्वीकार करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि किसी पार्षद की ओर से किसी दूसरे पार्षद का आवेदन नहीं लिया जा सकता है। अगर संबंधित पार्षदों का आवेदन है तो प्रस्तुत करें। इस तरह कांग्रेस इस रियायत का भी लाभ लेने में असफल रही।

अब औपचारिकता शेष, अगले दिन पेश होंगे 9 पार्षद

मप्र के इतिहास में पहली बार स्पीकर के खिलाफ पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव फ्लोर टेस्ट के पहले ही गिर गया। शुक्रवार को जिस तरीके से कांग्रेस के अपने ही 4 पार्षदों का सर्मथन प्रस्तुत करने असफल रही है, यह उसकी बड़ी हार मानी जाएगी। अब अगले दिन सभी 9 पार्षद अपना समर्थन दे भी देते हैं तो भी फ्लोर टेस्ट की स्थिति नहीं बन पाएगी क्योंकि एक तिहाई संख्या जुटाने में कांग्रेस पहले दिन ही असफल हो गई है। हालांकि शनिवार को अवकाश के दिन भी कलेक्टर कार्यालय खोला जाएगा और पार्षदों के हस्ताक्षर सत्यापित किए जाएंगे। लेकिन दूसरे दिन प्रस्तुत होने वाले पार्षदों में वार्ड 44 की पार्षद अर्चना गुप्ता पहले ही भाजपा ज्वाइन कर चुकी हैं। लिहाजा उनके भी कलेक्टर के समक्ष आने की संभावना कम ही है। हालांकि अब यह देखने वाली बात होगी कि दूसरे दिन कांग्रेस अपने कितने पार्षदों का समर्थन हासिल कर पाती है।

कलेक्टर जारी करेंगे परिणाम

दूसरे दिन शेष बचे 9 पार्षदों के हस्ताक्षर प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कलेक्टर अध्यपेक्षा का परिणाम जारी करेंगे। जिसमें यह बताया जाएगा कि कितने पार्षदों ने हस्ताक्षर प्रमाणित करते हुए अपनी सहमति प्रस्ताव के समर्थन में दी है और कितने और कौन पार्षद प्रस्ताव के समर्थन में नहीं रहे। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि इस स्थिति में फ्लोर टेस्ट के लिए विशेष अधिवेशन बुलाया जाएगा या नहीं।

सुबह कांग्रेस ने खेला था यह दांव

चूंकि कांग्रेस को शुक्रवार की सुबह ही इस बात के संकेत लगभग मिल गए थे वे फ्लोर टेस्ट के लिए वांछित 15 पार्षदों का समर्थन हासिल नहीं कर पाएगी। लिहाजा कांग्रेस की ओर से एक अंतिम दांव खेला गया था। इसमें शहर अध्यक्ष मकसूद अहमद और कुछ पार्षद अध्यपेक्षा की प्रक्रिया पर ऐतराज का पत्र लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। कलेक्टर की अनुपस्थित में इन्होंने डिप्टी कलेक्टर एलआर जांगड़े को पत्र सौंप कर हस्ताक्षर प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पर ऐतराज जताया। पत्र में कहा गया कि अधिनियम में कहीं भी ऐसा प्रावधान नहीं है कि पार्षदों को वन टू वन बुलाकर हस्ताक्षर प्रमाणीकरण कराया जाए। इसलिए इस प्रक्रिया को तत्काल रोक कर फ्लोर टेस्ट के लिए नगर निगम का विशेष सम्मिलन बुलाया जाए। लेकिन कांग्रेस ने इसे आपत्ति के रूप में प्रस्तुत न करते हुए जिला प्रशासन के लिए राह आसान कर दी। महज एक पत्र लिख कर विरोध जताया। अगर आपत्ति के रूप में आवेदन प्रस्तुत किया जाता तो जिला प्रशासन को इनको सुनना पड़ता और या तो इसे खारिज किया जाता या स्वीकार किया जाता।

कामयाब रहे भाजपा के फ्लोर मैनेजर

अविश्वास प्रस्ताव के पेश होने के बाद भाजपा के फ्लोर मैनेजर तेजी से सक्रिय हो गए थे। हस्ताक्षर सत्यापन के दिन जो स्थिति देखने को मिली उससे यह तो साबित हो गया कि भाजपा के फ्लोर मैनेजर अपनी रणनीति में कामयाब रहे। लेकिन कांग्रेस को इससे तगड़ा झटका लगा है और अविश्वास प्रस्ताव की नींव रखने वालों की बड़ी हार साबित हुई है।

" पहले दिन तय प्रक्रिया के अनुसार कांग्रेस पार्षद दल समक्ष में पहुंच कर प्रक्रिया में भाग लिया है। अगले दिन भी यह प्रक्रिया जारी रहेगी। इसके बाद तय किया जाएगा कि क्या स्थिति बनती है। प्रक्रिया पूरी होने तक कुछ भी नहीं बताया जा सकता है।" -अनुराग वर्मा, कलेक्टर

----