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satna: एफडी की राशि हड़प गए भूमि विकास बैंक

परिसमापक से ऐसी हड़पी गई राशि और उपभोक्तायों की जानकारी पंजीयक सहकारी संस्थाएं ने तलब की

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satna: एफडी की राशि हड़प गए भूमि विकास बैंक

satna: BHUMI VIKAS BANK grabbed the amount of FD

सतना. भूमि विकास बैंक जिसे बाद में जिला सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के नाम से जाना गया, अपनी अनियमितताओं के कारण बर्बाद हो चुके हैं। ये बैंक 2016 से परिसमापन (बाइंड अप) के दायरे में आ चुके हैं। इन बैंकों में जमा राशियों को अमानतदारों (राशि जमा करने वालों) को वापस करने की प्रक्रिया प्रारंभ है। इसके लिये परिसमापक नियुक्त कर दिये गये हैं। सहायक पंजीयक सहकारिता को परिसमापक की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन पाया जा रहा है कि सतना, पन्ना, सीधी, शहडोल सहित 13 जिलों के बैंकों में फिक्स डिपाजिट (सावधि निक्षेप) जमा करने वालों को अब भुगतान नहीं किया जा रहा है। इसकी शिकायत उच्च स्तर पर पहुंचने पर अब पंजीयक सहकारी संस्थाएं म.प्र. संजय गुप्ता ने सभी परिसमापकों को इस संबंध में पत्र लिख जानकारी तलब की है।

नहीं भेजी एफडी की राशि

2016 से जब इन बैंकों को बंद करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई तो इन बैंकों के खजाने में जमा राशि को राज्य स्तर पर मंगा लिया गया। लेकिन इस दौरान कई बैंकों में जिला स्तर पर खेल करते हुए तत्कालीन अधिकारियों ने यह राशि राज्य के शीर्ष बैंक को नहीं भेजी। अब यही खेल परेशानी का सबब बन गया है। इसको लेकर पंजीयक सहकारी संस्थाएं म.प्र. ने परिसमापकों को बताया है कि जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों ने फिक्स डिपाजिट की पूरी राशि मध्यप्रदेश राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक को पूरी तरह से नहीं सौंपी है। जिस कारण राशि जमा करने वाले अमानतदारों को शीर्ष बैंक से राशि देने में दिक्कतें हो रही हैं। विशेष तौर पर सतना सहित 13 जिलों (पन्ना, सीधी, शहडोल, बैतूल, खंडवा, खरगौन, झाबुआ, मंदसौर, झाबुआ, शाजापुर, ग्वालियर, दतिया, छिंदवाड़ा, सागर) से बड़े पैमाने पर इसकी शिकायतें मिल रही है। यहां के लोग अपनी राशि पाने भटक रहे हैं।

खातों का मिलान करने के निर्देश

अब परिसमापकों को कहा गया है कि वे फिक्स डिपोजिट के खातों का नये सिरे से मिलान करके यह देखें कि जिला स्तर से राशि शीर्ष भूमि विकास बैंक को भेजी गई है या नहीं। अगर यह राशि शीर्ष स्तर पर नहीं भेजी गई है तो ऐसे एफडी के भुगतान की जिम्मेदारी जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक की होगी। जिसके लिये तत्कालीन बैंक महाप्रबंधक और अन्य संबंधित कर्मचारी जिम्मेदार माने जाएंगे, जिन्होंने यह राशि शीर्ष बैंक को नहीं भेजी है।

मांगा दोषियों का ब्यौरा

पंजीयक सहकारी संस्थाएं संजय गुप्ता ने परिसमापकों से जिला स्तर पर लंबित फिक्स डिपॉजिट राशि का विवरण अमानतदारों की संख्या से साथ तलब किया है। साथ ही यह भी जानकारी चाही है कि उस वक्त बैंक में तत्कालीन प्राप्तकर्ता अमानतदार प्रबंधक कौन पदस्थ था। इससे लंबित राशि की वसूली की जाएगी। यह जानकारी 31 मार्च तक चाही गई है।

इसलिये डूबे बैंक

भूमि विकास बैंक जिन्हें कालान्तर में जिला सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के नाम से जाना गया में बड़े पैमाने पर घोटाले किये गये है। यहां जमाकर्ताओं की राशि को मनमानी तरीके से ऋण के नाम पर बैंक कर्मियों और अधिकारियों ने अपने करीबियों को बेशुमार राशि देते गए। लेकिन इस राशि की वसूली के लिए न तो कोई प्रयास किये गये और नहीं इस राशि का सही तरीके से हिसाब रखा गया। नतीजा यह हो गया की ज्यादातर राशि बैंक की डूब गयी। हालात यहां तक हो गये कि बैंकों के पास संचालन तक के लिए पैसा नहीं बचा। जिन्होंने बैंकों में विश्वास कर राशि जमा कर रखी थी या फिक्स डिपॉजिट खोल रखा था उन्हें तक वापस करने के लिए बैंक के पास रुपये नहीं थे। इसको देखते हुए सरकार ने प्रदेश की सभी भूमि विकास बैंकों को 2016 में बंद करने का निर्णय लेते हुए इनके परिसमापन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।