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93 किमी. और दो घंटे में लूट गई नवतनवा एक्सप्रेस

बदमाशों ने वारदात से पहले की थी ट्रेन की रैकी

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Displaced farmers did not get jobs in Rewa-Satna railway line

Displaced farmers did not get jobs in Rewa-Satna railway line

सतना. ट्रेन नवतनवा एक्सप्रेस 18202 शनिवार अल सुबह मानिकपुर से रवाना होते ही लूट का शिकार हो गई। ट्रेन के दो स्लीपर कोच एस 12 व 13 में हथियारबंद बदमाशों ने तांडव मचाया और आधा दर्जन यात्रियों के साथ लूट की। सुलेखा घोष नामक एक महिला को भी ट्रेन से नीचे फेंक दिया। इस पूरी वारदात से रेल यात्रियों में दहशत है। वहीं स्थानीय जीआरपी व आरपीएफ मामले को मामूली बताने में लगी हुई है। जबकि सूत्रों की मानें तो यात्रियों ने जीआरपी के सामने जो बयान किए वो खौफनाक घटना से कम नहीं था। हथियारबंद बदमाशों ने यात्रियों को नींद से जगाकर हथियार लहराते हुए डराया और लूट-पाट की। यात्रियों की मानेें तो बदमाशों ने ट्रेन की बकायदा रैकी की थी। हर बोगी में जा-जाकर स्थिति का जायजा लिए और अनुकूल स्थिति वाले कोच में वारदात को अंजाम दिया। बताया जाता है कि नवतनवा एक्सप्रेस शनिवार रात करीब 1.32 मिनट पर छिवकी स्टेशन पहुंची। यहीं से कुछ अज्ञात बदमाश टे्रन के स्लीपर कोच में चढ़े। उसके बाद वे अलग-अलग बोगियों में जाकर हालात का जायजा लेने लगे। ट्रेन 93 किमी का सफर कर 1.56 घंटे में मानिकपुर स्टेशन सुबह 3.28 मिनट पर पहुंची। करीब पांच मिनट रुकने के बाद ट्रेन मानिकपुर से सतना के लिए रवाना हुई। तब तक बदमाश ट्रेन की रैकी कर चुके थे और अपनी लोकेशन तक ले चुके थे। उसके बाद लूटपाट शुरू हुई। यात्रियों के साथ-मारपीट के साथ-साथ डराने धमकाने का काम भी हुआ। जिस महिला ने विरोध किया उसे ट्रेन से नीचे धक्का दे दिया। इससे दहशत फैल गई और यात्री चुप्पी साध गए। उसके बाद बदमाश चलती ट्रेन से कूदकर फरार हो गए।


खुटहा में रोकी गई ट्रेन
वारदात के बाद यात्रियों ने जीआरपी व आरपीएफ के कर्मियों को खोजने का प्रयास किया लेकिन कोई नहीं दिखा। उसके बाद टीटी व अन्य स्टाफ को खोजने का काम शुरू हुआ। खुटहा के पास गार्ड को ट्रेन में लूट की भनक लगी और उन्होंने ट्रेन रुकवा दी। उसके बाद ट्रेन से नीचे फेंकी गई महिला को लाया गया और ट्रेन आगे रवाना हुई। ट्रेन सुबह 4.55 पर सतना पहुंची।

दहशत में महिला व बच्चे

वारदात के बाद पूरी ट्रेन में हंगामा खड़ा हो गया। अधिकतर यात्री जग गए थे। सभी के चेहरे पर दहशत दिख रही थी। सबसे ज्यादा खराब स्थिति बच्चे और महिलाओं के साथ थी। खुटहा से सतना तक कोई भी जिम्मेदार यात्रियों को दिलासा नहीं दे सकता था कि स्थिति सामान्य हो चुकी है। डरने की कोई बात नहीं, बदमाशों को पकडऩे के प्रयास होंगे।


मामले को दबाने का प्रयास
रेलवे के जिम्मेदार पूरे मामले को दबाने में लगे हुए हैं। सीधे तौर पर घटना के 24 घंटे बाद भी किसी की जिम्मेदारी नहीं तय की गई है। संबंधित रेलखंड में सुरक्षा मापदंडों की समीक्षा तक नहीं हुई है। सामान्य वारदात मानते हुए सभी चुप्पी साधकर बैठ गए हैं।