
satna - tiger hunting
सतना. सरभंगा के बाघ के हत्यारे वन विभाग की अभिरक्षा से फरार हो चुके हैं। वो भी एक नहीं, बल्कि तीनों आरोपी फरार हैं। वन विभाग की माने, तो बुधवार-गुरुवार दरम्यानी रात वे रोशनदान की जाली तोड़कर फरार हुए हैं। लेकिन, स्थिति-परिस्थितियों पर नजर डालें, तो ये संभव नहीं दिखता है। वन विभाग की कहानी सच से कोसों दूर है। बिना किसी की मदद के शिकारी भागनें में कामयाब नहीं हो सकते थे। लिहाजा, ये मामला शिकारियों के भागने से ज्यादा भगाने का लग रहा है। लेकिन, अधिकारी पूरे प्रकरण पर पर्दा डालने में लगे हुए हैं। जिसके चलते आनन-फानन में छोटे कर्मचारियों को निलंबित व सेवा समप्ति की कार्रवाई कर दी गई है। लेकिन, किसी भी बड़े अधिकारी की जिम्मेदारी नहीं तय की गई है।
वन विभाग की आधी-अधूरी कहानी
12 मई को सरभंगा के डुडहा नाले के पास करंट लगाकर बाघ का शिकार किया गया था। मामले में वन विभाग ने तीन आरोपी रज्जन कोल, राजेश उर्फ धीरू मवासी व ज्वाला सतनामी को गिरफ्तार किया था। जिन्हे कोर्ट में पेश करते हुए रिमांड पर लिया था। सभी आरोपियों को मझगवां रेस्ट हाउस के कमरें में बंद कर के रखा गया था। इनकी निगरानी के लिए मैथली शरण पटेल वन रक्षक बीट गार्ड चिताहरा, यादवेंद्र द्विवेदी वन रक्षक बीट गार्ड भरगवां, रामकृष्ण पांडेय वन रक्षक बीट गार्ड पटना, जंगी प्रसाद वर्मा स्थायी वनकर्मी मझगवां, महेंद्र प्रसाद सिंह स्थायी वनकर्मी की ड्यूटी लगाई गई थी। देर रात आरोपियों ने कमरे का रोशनदान तोड़ा और अंधेरे का फायदा उठाते हुए फरार हो गए।
अदने कर्मचारियों पर गाज, बड़ों को राहत
घटना की सूचना मिलने के बाद डीएफओ राजीव मिश्रा ने मझगवां रेस्ट हाउस पहुंचकर रेंज के अधिकारियों से पूछताछ की। संबंधित कमरे सहित आसपास का निरीक्षण किया। उसके बाद प्रथम दृष्टया निगरानी में तैनात तीन कर्मियों को निलंबित कर दिया, वहीं दो संविदाकर्मियों की सेवा समाप्त करने का आदेश दे दिया। लेकिन, इस मामले में रेंजर, डिप्टी रेंजर जैसे अधिकारियों की जिम्मेदारी तय नहीं की गई। जबकि वारदात के दिन से ही जिम्मेदारी तय हो जानी चाहिए थी। लेकिन, महकमा लगातार बचाने में लगा हुआ है।
एफआइआर कराने सुबह पांच बजे पहुंचे थाने
बाघ के शिकार के आरोपियों को भागने की भनक वनकर्मियों को रात करीब 3-4 बजे के आस-पास लग गई थी। जिसके बाद रेंज के अधिकारियों को सूचना दी गई। आला अधिकारियों को सूचना देने व एफआइआर कराने को कहा गया। जिसके चलते कर्मचारी सुबह पांच बजे ही मझगवां थाने पहुंच गए, जहां शिकारियों के अभिरक्षा से गायब होने की लिखित शिकायत दी गई।
संदिग्ध है मामला
आरोपियों के खुद के स्तर पर भागने को लेकर स्थिति संदिग्ध दिख रही है। कारण है कि कमरे के अंदर से रोशनदान की ऊंचाई करीब 9.5 फीट है, वहीं बाहर के हिस्से से ऊंचाई करीब 16 फीट है। ऐसे में पौने चार वर्ग फीट के रोशन दान से कोई व्यक्ति खुद को बाहर निकालकर छलांग लगा दे और भाग जाए, संभव नहीं लगता है।
वन विभाग की पांच बड़ी चूक
आरोपियों की निगरानी में तैनात कर्मचारियों का कहना है कि रात 2 बजे तक आरोपी कमरें में बंद थे, सुबह करीब 3 बजे आरोपी भाग गए। सवाल उठता है कि मात्र एक घंटे के अंदर रोशनदान की जाली निकाल लेना और गायब हो जाना संभव नहीं है।
- संबंधित कमरा रेस्ट हाउस का मीटिंग रूम था। जिसमें 6 रोशनदान है। आरोपियों के रखने से पहले सुरक्षा पहलुओं की जांच क्यों नहीं की गई।
- आरोपियों से पूछताछ के लिए कमरें अधिकारियों के बैठने के लिए तीन कुर्सियां रखी गई थी। सवाल उठता है कि जब पूछताछ खत्म हो गई थी। तो कमरें से कुर्सियां बाहर क्यों नहीं की गईं।
- बिना हथियार के रोशनदान के लकड़ी के फ्रेम से लोह की जाली कैसे निकाला जा सकता है। कमरें में कोई हथियार था या आरोपियों को उपलब्ध कराया गया। क्योंकि जाली निकलने पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
- सभी आरोपियों को बाघ का शिकारी बताया गया है। वे पहले भी वन्य जीवों का शिकार कर चुके हैं। ऐसे शातीर आरोपियों को रेस्ट हाउस के कमरें में बंद किया गया था। तो रेंजर स्तर के अधिकारी की ड्यूटी क्यों नहीं लगाई गई। बीट गार्ड जैसे कर्मचारियों के हवाले सुरक्षा रखी गई।
Published on:
17 May 2019 06:00 am
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