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खूंटी पर यात्री सुरक्षा, बदमाशों के हवाले ट्रेन सफर

सतना-इलाहाबाद रेलखंड: तीन साल में तीन बड़ी वारदातों ने खोली यात्री सुरक्षा की पोल

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Here is an hour-long 45-minute express train completed by 10 kilometer

यहां एक घंटे 45 मिनट में एक्सप्रेस ट्रेन से पूरी हुई 10 किलोमीटर की दूरी

केस-1

तिथि- 11 मई 2019

घटना - गोरखपुर से दुर्ग को जाने वाली नवतनवा एक्सप्रेस को अल सुबह हथियारबंद अज्ञात बदमाशों ने निशाना बनाया। यात्रियों के साथ लूटपाट की गई। एक महिला को ट्रेन से नीचे फेंका दिया गया। ट्रेन की गति कम होने से महिला को गंभीर चोट नहीं आई। इस दौरान आधा दर्जन यात्रियों से लूट हुई। यात्री सुरक्षा सवालों के घेरे में है।


केस-2
तिथि - 3 सितंबर 2018

घटना - चेन्नई से पटना की ओर जा रही गंगा कावेरी एक्सप्रेस को पनहाई स्टेशन के बीच डकैतों ने शिकार बनाया। सिग्नल के पास नकाबपोश डकैतों ने रात लगभग सवा एक बजे सिग्नल रेड व चेन पुलिंग कर बीस लाख की डकैती डाली थी। विरोध करने वाले एक दर्जन यात्रियों को चाकू व असलहों की बट से पीट कर घायल किया गया था। बदमाशों को बाद में पकड़ा गया। लेकिन, यात्री सुरक्षा सवालों को घेरे में थी।

केस-3
तिथि - 18 जनवरी 2016

घटना - हथियारबंद डकैतों ने टिकरिया रेलवे स्टेशन पर गोलियां चलाते हुए तोडफ़ोड़ की। इस दौरान रेलकर्मी को पीटते हुए उसे धमकी भी दी गई थी। कॉलोनी में भी डकैतों ने तांडव बरपाया। उल्लेखनीय है कि इस वारदात से तीन दिन पहले ट्रेन में मारपीट व लूट की वारदात हुई थी। ट्रेन के साथ-साथ स्टेशन सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए थे।

केस-4
तिथि - 29 जनवरी 2016

घटना - मानिकपुर में महानगरी एक्सप्रेस में बम मिलने के हड़कंप मच गया। दूसरे दिन बम को डिस्पोज किया गया। घटना ने साबित कर दिया कि अपराधी रेलवे की कितनी भी कड़ी सुरक्षा को मात दे सकता है। इस वारदात को गंभीरता से लेते हुए केंद्र की सुरक्षा और जांच एजेंसियों ने आपराधिक षड्यंत्र रचने वालों का पता लगाना शुरू किया। कई लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन आज तक अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।


सतना. यात्री सुरक्षा को लेकर रेलवे के बड़े-बड़े दावे होते हैं। लेकिन, तीन साल की चार बड़ी घटनाएं केस के रूप में उदाहरण हैं। ये सभी दावों की पोल खोलती हैं। बदमाशों की पहुंच सीधे यात्री की सीट तक है। वे बड़ी से बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद फरार होने तक में सफल हो जाते हैं। बाद में जांच व गिरफ्तारी की खानापूर्ति चलती रहती है। सतना-इलाहाबाद रेलखंड में यात्री सुरक्षा की बातें खुंटी पर टंगी हुई हैं। यात्रियों का सफर संकट से कम नहीं है। वे भगवान भरोसे ही यात्रा कर रहे हैं। रेलवे के दावे कागजी व बेमानी हैं। रेलवे के जिम्मेदार सुरक्षा और संरक्षा के तमाम उपाय कर लें, लेकिन अपराधी उनकी व्यवस्था पर हर बार चोट कर निकल जा रहे हैं। रेल, रेलवे ट्रैक और स्टेशन सभी को अपराधी अपना निशाना बना रहे हैं। इन सब के बीच कहा जा रहा कि रेल संपत्ति और यात्रियों के साथ रेल विभाग से जुड़े कर्मचारियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, लेकिन होने वाले अपराध के रूप में नतीजा हम सब के सामने है।

संवेदनशील रेलखंड, फिर भी लापरवाही

रेलवे की नजर से देखा जाए तो सतना-इलाहाबाद रेलखंड ट्रेन संचालन व सुरक्षा दोनों के मद्देनजर संवेदनशील है। मेला आदि के दौरान अलर्ट भी जारी होते रहते हैं। इसके बावजूद सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती जाती है। इसका फायदा अपराधी उठाते हैं, सुरक्षा और संरक्षा में सेंध लगाने से नहीं चूकते। इन सबके लिए जिम्मेदार हैं, रेलवे के वे अफसर जो कमजोर मुखबिर तंत्र के साथ सुरक्षा का दिखावा कर रहे हैं।