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कुप्रबंधन का शिकार हो गया सतना का ‘युवराज’

सरभंगा में बाघ की मौत का मामला: कदम दर कदम बरती गई लापरवाही

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satna - Tiger's death case in Sarbanga: step by step, negligence

satna - Tiger's death case in Sarbanga: step by step, negligence

सतना. सरभंगा में शिकारियों ने जिस बाघ को करंट के फंदे में फांस कर मार डाला, उसको लेकर वन विभाग सहित पूरे जिले में हड़कंप मचा है। लेकिन, बाघ की मौत को लेकर वन विभाग के अधिकारी पल्ला नहीं झाड़ सकते। उनके कुप्रबंधन के चलते ही युवा बाघ मारा गया है। जिम्मेदारों ने कदम दर कदम लापरवाही बरती है। यह बाघ के लिए जानलेवा साबित हुई। जानकार भी मानते हैं कि ये लापरवाहियां अपने आपमें गंभीर हैं। अगर वारदात से पूर्व कुछ सुरक्षात्मक कदमों को लेकर लापरवाही नहीं बरती गई होती, तो संभवत: बाघ जीवित होता।


पांच बड़ी चूक, जो बनी मौत का कारण
1. पहली चूक

आसपास के ग्रामीणों और वनकर्मियों ने बताया कि बाघ ने चार दिन पहले सरभंगा आश्रम के घोड़ामुखी मंदिर के पास बैल का शिकार किया था। घटना शाम करीब ७ बजे की थी। लोगों ने देखा भी था। वन विभाग को भी जानकारी दी थी। लेकिन, अधिकारियों ने ग्रामीण व बाघ के बीच सुरक्षात्मक दूरी बनाने का काम नहीं किया। बाघ के मूवमेंट की मॉनीटरिंग में भी लापरवाही बरती गई। यह बाघ के लिए घातक हुआ।

2. दूसरी चूक

वन चौकी की गाड़ी करीब डेढ़ माह पहले सतना बनने आई थी। उसमें सुधार होने के बाद गाड़ी को वापस नहीं भेजा गया। बल्कि सतना रेंजर अरुण कुमार शुक्ला के हवाले कर दी गई। यानी, विगत डेढ़ माह से बिरसिंहपुर क्षेत्र में वन क्षेत्र में गश्ती भगवान भरोसे है। कहने को मझगवां रेंजर को आवंटित वाहन से गश्ती की जा रही थी, अब हादसे के बाद मामले को दबाने का प्रयास जारी है।

3. तीसरी चूक

गश्ती में लापरवाही बरती गई। वारदात के बाद जिन ग्रामीणों को पकड़ा गया, उनको लेकर बात सामने आई है कि वे अक्सर वन क्षेत्र में सांभर, जंगली ***** आदि का शिकार करते रहे हैं। वे बाघ का शिकार करने नहीं गए थे बल्कि हमेशा की तरह सांभर के लिए फंदा लगाए थे। अगर, वन अमला ईमानदारी से गश्ती करतातो वे पहले ही पकड़े जाते। लेकिन, स्थानीय वन अमला गंभीर ही नहीं रहा।


4. चौथी चूक

सरभंगा के जंगल क्षेत्र में चार बाघों के होने की बात हमेशा से सामने आई। कारण था कि पन्ना की बाघिन ने इस क्षेत्र को टेरीटरी बनाया था और अपने तीन शावकों के साथ रहती थी। लेकिन, इनकी मॉनीटरिंग को बेहतर करने के लिए स्थानीय वन विभाग ने कभी ठोस कदम नहीं उठाया। पन्ना टाइगर रिजर्व के भरोसे रहे। बाघिन के स्थाई डेरा के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम लौट गई। इसके बाद गिनती के कर्मचारियों के भरोसे बाघों की रखवाली हो रही थी।

5. पांचवीं चूक

सरभंगा के आस-पास का पूरा क्षेत्र जंगल से घिरा हुआ है। अक्सर स्थानीय ग्रामीण मवेशी चराने, लकड़ी काटने या शिकार करने के लिए जंगल में प्रवेश कर जाते हैं। इनके जंगल प्रवेश पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। उल्टा स्थानीय छोटे कर्मचारियों से मिलीभगत करते हुए जंगल क्षेत्र में लकड़ी काटने व खनन का काम तक होता रहा है।