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विंध्य के पहले क्रांतिकारी थे तिलंगा ब्राह्मण, फ्लाईओवर का नामकरण इन्हीं के नाम पर करने की मांग

फ्लाइओवर का नामकरण तिलंगा के नाम करने की उठी मांग, विंध्य के पहले क्रांतिकारी तिलंगा को फांसी से बचाने रणमत सिंह हुए थे बागी

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Story of Tilanga Brahmin first Revolutionary in vindhya region

Story of Tilanga Brahmin first Revolutionary in vindhya region

सतना। कोठी में अमर शहीद ठाकुर रणमत सिंह की प्रतिमा के अनावरण का लेकर क्षेत्रवासियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। सांसद भी लगातार गांव-गांव भ्रमण कर इस कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा लोगों को कार्यक्रम में शामिल होने की अपील कर रहे हैं। इधर, अमर शहीद जिस तिलंगा ब्राह्मण को फांसी से बचाने अपने साथियों के साथ बगावत का रास्ता चुना था, उनके नाम से रीवा रोड के निर्माणाधीन फ्लाइओवर का नामकरण करने की मांग भी उठनी शुरू हो गई है।

ये है मामला
इतिहासकार अख्तर हुसैन निजामी के अनुसार 1857 की क्रांति का बिगुल बजने के साथ ही क्रांतिकारी कुंवर सिंह रीवा राज्य में पहुंच क्रांति का आह्वान कर लौटे गए थे। इस आह्वान पर रीवा राज्य के सिपाही तिलंगा ब्राह्मण ने रीवा राज्य में क्रांति का उद्घोष कर दिया था। रीवा में क्रांति की चिंगारी को दबाने के लिए तत्कालीन पॉलीटिकल एजेंट लेफ्टिनेंट आसबर्न ने तिलंगा को गिरफ्तार कर लिया।तिलंगा को बचाने के लिए बघेल सरदार लाल रणमत सिंह, श्यामशाह, धीरसिंह व पंजाब सिंह ने गिरफ्तारी का खुलकर विरोध किया और आसबर्न के बंगले को घेर लिया। किसी तरह जान बचा कर भागे आसबर्न ने महाराजा रघुराज सिंह से इन सरदारों को नौकरी से बर्खास्त कर राज्य से निकालने का आदेश जारी करवा दिया। तब रणमत सिंह सहित अन्य सरदारों ने आपस में निर्णय लिया कि जो ब्राह्मण गिरफ्तार हुआ है वह फांसी पाएगा। क्षत्रिय धर्म है कि ब्राह्मण को बचाएं। इसके बाद तिलंगा की रिहाई में जुट गए।

रीवा में क्रांति की शुरुआत
इतिहासकार बताते हैं कि रीवा में क्रांति की शुरुआत के साथ ही तिलंगा ब्राह्मण मैहर से रीवा आया था और खुलेआम विरोध में शामिल हुआ था। जिस पर उसे जेल भेज दिया गया था और दूसरे दिन फांसी होनी थी। उसे जेल भेज दिए जाने पर रणमत सिंह अपने साथियों के साथ के साथ जेल पर धावा बोल दिया था और तिलंगा को मुक्त करवा लिया था। इधर राज्य निकाला मिलने पर रीवा राज्य के ज्यादातर क्षत्रिय ठाकुर रणमत सिंह से जा मिले। इसके बाद रणमत सिंह के नेतृत्व में मध्यभारत में क्रांति ने उग्ररूप धारण कर लिया।

नौगांव छावनी में भी हमला बोला
उन्होंने अंग्रेजों की नौगांव छावनी में भी हमला बोला। इसके बाद अंग्रेजों की इलाहाबाद छावनी में सैनिकों से लूटपाट की। घटना के बाद पूरी अंग्रेज सेना इनके पीछे पड़ गई। इस दौरान साथी पंजाब सिंह की गिरफ्तारी के बाद वे रीवा महाराजा रघुराज सिंह के पास पहुंचे। संधि के प्रस्ताव के बाद वे एक गुप्तस्थल पर छिपे थे। तभी अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अन्य इतिहासकारों का मत है कि दीवन दीनबंधु के प्रयास और रीवा महाराजा की इच्छा पर रणमत सिंह ने 12 मार्च 1860 को शामत खां के साथ आसबर्न के सामने समर्पण कर दिया। जिस पर उन्हें गिरफ्तार कर बांदा जेल भेज दिया गया जहां बाद में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई।

सोशल मीडिया पर उठी मांग
कोठी में ठाकुर रणमत सिंह की प्रतिमा उद्घाघटन के साथ ही सोशल मीडिया में विंध्य के पहले क्रांतिकारी तिलंगा ब्राह्मण के नाम पर फ्लाईओवर का नामकरण करने की मांग तेजी से उठने लगी है। इसके साथ ही एक मांग पत्र गृह मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपने का निर्णय लिया गया है।