
success story of dsp varsha patel
sucsuccess story: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) ने राज्य सेवा परीक्षा-2024 का फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिया है। जिसमें सतना-मैहर जिले के 4 युवाओं को सफलता मिली है। 3 डीएसपी व 1 लेखा अधिकारी बने है। इन्हीं में से एक हैं वर्षा पटेल। 30 साल की वर्षा की DSP बनने की कहानी बेहद ही प्रेरणादायी है। वर्षा के अलावा सतना-मैहर जिले के जो तीन अन्य युवा अफसर बने हैं उनमें भदवा के शैलेन्द्र मिश्रा (DSP), रिमारी निवासी विवेक सिंह (DSP) और इटौर गांव के आशीष पांडेय (अधिनस्थ लेखा अधिकारी) शामिल हैं।
दमोह जिले में जन्मी वर्षा पटेल 30 वर्ष की रामनगर विकासखंड के बाबूपुर निवासी संजय कुमार पटेल से साल 2017 से शादी हुई थी। ससुर सरकारी कर्मचारी थे इसलिए मैहर के सरलानगर रोड में मकान बना लिया। पति सीमेंट कंपनी में इंजीनियर थे इसलिए शादी के बाद पत्नी को एमपीपीएससी की तैयारी कराने इंदौर भेज दिया। डीएसपी बनने का सपना पूरा करने के लिए वर्षा ने जी तोड़ मेहनत की लेकिन पहले तो प्रयासों में उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद जब वो प्रेग्नेंट थी तब तीसरी बार MPPSC की परीक्षा दी। 22 जुलाई 2025 को बेटी का जन्म हुआ और बेटी के जन्म के साथ ही उनका डीएसपी बनने का सपना साकार होने लगा। इंटरव्यू का कॉल आया तो 18 अगस्त को 1 माह की बेटी को गोद में लेकर इंटरव्यू देने पहुंची और हर सवाल का जवाब दिया और अब रिजल्ट में महिला वर्ग में पहली रैंक हासिल की है।
बिरसिंहपुर तहसील के रिमारी गांव के रहने वाले विवेक सिंह की डीएसपी में 7वीं रैंक लगी है। यह उनका चौथा प्रयास है। विवेक शुरू से ही होनहार स्टूडेंट थे। पिता देवलाल सिंह ने प्रार्ट टाइम डॉक्टरी व खेतों में काम कर बेटे को पढ़ाया। विवेक ने कक्षा 1 से 5वीं गांव में 6 से 8वीं तक नईबस्ती में व 9 से 12वीं व्यंकट क्रमांक-1 में पढ़ाई की। इसके बाद यूजी दिल्ली यूनिवर्सिटी और पीजी जेएनयू दिल्ली से किया। पीजी करने के बाद वो इंदौर आए जहां MPPSC की तैयारी शुरू की। पत्रिका से बातचीत में विवेक ने बताया कि पेट काटकर मां-पिता ने पढ़ाया है। दिन रात मां ने खेतों में काम किया। पिता ने पार्ट टाइम डॉक्टरी की लेकिन कभी भी उन्हें पढ़ाई से भटकने नहीं दिया। अब विवेक के डीएसपी बनने से परिवार का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है।
मैहर जिले के अमरपाटन तहसील के भदवा गांव के रहने वाले शैलेन्द्र मिश्रा MPPSC क्लियर कर डीएसपी बने हैं। उन्होंने रीवा के जेएन सिटी कॉलेज से माइनिंग इंजीनियरिंग की। ग्रेजुएशन के बाद वर्ष 2019 से राज्य सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की। अब पांचवें प्रयास में उन्हें सफलता हासिल हुई है। पत्रिका से बातचीत करते हुए शैलन्द्र सिंह ने बताया कि असफलताओं से हताश होने के बजाय हर बार और ज्यादा मेहनत की। अब डीएसपी बनकर उन्होंने ये साबित कर दिया है के लगन और धैर्य से बड़ी मंजिल हासिल की जा सकती है। गांव के साधारण परिवेश से निकलकर शैलेन्द्र का डीएसपी बनना युवाओं के लिए प्रेरणास्पद उदाहरण है। उन्होंने यह दिखा दिया कि निरंतरता और आत्मविश्वास से हर सपना पूरा किया जा सकता है।
रैगांव विधानसभा के इटौरा गांव के रहने वाले आशीष पाण्डेय पिता उमेश कुमार वित्त विभाग में अधीनस्थ लेखा सेवा अधिकारी बने है। चौथे प्रयास में उन्होंने पहली रैंक हासिल की है। उनकी कक्षा 6 से 12 की पढ़ाई नागौद क्षेत्र के रहिकवारा स्थित पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय से हुई। गरीबी के कारण माता-पिता के पास प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे क्योंकि पिता गुजरात में रहकर प्राइवेट नौकरी करते है। घर की स्थिति देख आशीष ने सतना के डिग्री कॉलेज से बीएससी व गणित से एमएससी की। कोचिंग करने के लिए पैसे नहीं थे तो सेल्फ स्टडी की और अब अपनी मेहनत व लगन से अफसर बन गए हैं।
Published on:
13 Sept 2025 08:49 pm
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