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टेक होम राशन गड़बड़ी : आंगनबाड़ी में जो पंजीकृत नहीं उनके नाम से भी बांटा राशन

सीएजी ने पकड़ी अनियमितता, प्रदेशस्तरीय टेक होम राशन गड़बड़झाले के तार सतना-रीवा से भी जुडे़..

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सतना. प्रदेश स्तर पर महिला एवं बाल विकास विभाग में महिलाओं और बच्चों को राशन बांटने में व्यापक पैमाने पर गड़बड़झाला सामने आया है। मध्यप्रदेश के एकाउंटेंट जनरल ने टेक होम राशन में गड़बड़झाले की जो रिपोर्ट तैयार की है उसके तार सतना और रीवा जिले से भी जुड़े हैं। रिपोर्ट ने बड़े स्तर पर धोखाधड़ी, तथ्यों को बदलना, फर्जी लाभार्थियों के नाम पर की गई गड़बड़ी को उजागर किया है और वृहद जांच की अनुशंसा की है। रिपोर्ट में अप्रैल 2018 से मार्च 2021 तक टेक होम राशन (टीएचआर) में की गई अनियमितताओं का खुलासा किया है। इसके लिए बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और स्कूल नहीं जाने वाली किशोरियों को दिए जाने वाले राशन वितरण में फर्जीवाड़ा पकड़ा है। इसको लेकर अब जिम्मेदारों में हड़कम्प मचा है।

पंजीकृत एक भी नहीं
सीएजी की टीम ने सतना और रीवा की 6-6 आंगनबाडिय़ों में जाकर भौतिक सत्यापन किया। इनके पंजीयन रजिस्टर के अनुसार दोनों जिलों में एक भी स्कूल से बाहर की किशोरी पंजीकृत नहीं थी, लेकिन सीडीपीओ ने 2018 से 21 तक आंगनबाडिय़ों को जो पैकेट भेजना बताया उनकी संख्या सतना और रीवा में 2420 व 3514 रही। उधर, आंगनबाडिय़ों में जो पैकेट रिसीव हुए वे सतना और रीवा में 1553 व 3514 रहे। इसी अवधि में एमआईएस में पंजीकृत लाभार्थियों की संख्या सतना व रीवा में 5692 व 7130 दिखाई गई। जिसके विरुद्ध जिन लाभार्थियों को लाभ देना बताया गया उनकी संख्या सतना व रीवा में 1062 व 1615 रही। मामले में अनुशंसा की गई है कि संबंधित अधिकारियों की विजिलेंस जांच कराई जाए।

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रीवा प्लांट में भी हुआ बड़ा खेल
टेक होम राशन का प्लांट रीवा में लगाया गया था। यहां भी बड़ा फर्जीवाड़ा पाया गया। रिपोर्ट के अनुसार रीवा प्लांट में 9052 मीट्रिक टन का उत्पादन दिखाया गया है। इसके लिए आवश्यक कच्चा माल 4,432 मीट्रिक टन चाहिए था, लेकिन वास्तव में जो कच्चा माल उपयोग किया गया वह 3,824 मीट्रिक टन रहा। इस तरह यहां 607 मीट्रिक टन कच्चे माल का अंतर उपयोग और आवश्यकता में पाया गया। अनुशंसा की गई है कि विभाग ऐसे अधिकारियों की जांच करे जो फर्जी और अधिक उत्पादन दिखाने में सहायक थे और उन पर जिम्मेदारी तय हो।

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8 करोड़ का कागजी ट्रांसपोर्टेशन
बड़े पैमाने पर टीएचआर का कागजों में परिवहन हो रहा था। जांच में पाया गया कि जिन्हें ट्रक बताकर ट्रांसपोर्टेशन दिखाया गया उनमें से कई दोपहिया वाहनों के नंबर निकले। सतना में इस तरह गैर परिवहन वाला टीएचआर 607 मीट्रिक टन रहा जिसकी कीमत 3.79 करोड़ रही।

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