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हमें दूसरों से नहीं अपनों से खतरा है: भागवत

संघ प्रमुख ने कहा कि आवाम और सरकारें रानी दुर्गावती के जीवन चरित्र और सत्ता संचालन व्यवस्था से सीख लें

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हमें दूसरों से नहीं अपनों से खतरा है: भागवत

We are in danger not from others but from our own people: Bhagwat

सतना। संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने मझगवां के बाल्मीकि परिसर में वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा अनावरण करते हुए देश की आवाम एवं सरकारों को उनके जीवन चरित्र, सत्ता संचालन की व्यवस्था और शौर्य से शिक्षा लेने की नसीहत दी। उन्होंने देश की मौजूदा परिस्थितियों का जिक्र इशारों ही इशारों में करते हुए कहा कि हमें दूसरों से ज्यादा खतरा अपनों से हैं। जब-जब देश को नुकसान हुआ है तब-तब निजी और छोटे स्वार्थ ही कारण रहे हैं।

मझगवां स्थित कृष्णादेवी बालिका आवासीय विद्यालय के महर्षि बाल्मीकि परिसर स्थित वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा का संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अनावरण किया। रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने कहा कि जिन महापुरुषों के कारण आज हम आजादी के 75 वर्ष पूरे कर पा रहे हैं उन महापुरुषों की नक्षत्र वाटिका में रानी दुर्गावती का नाम पहला है। कहा, कट्टरपंथी आक्रमण की जब लहर चली लेकिन रानी दुर्गावती के शौर्य पराक्रम से इस इलाके को स्पर्श नहीं कर सकी। उनके बलिदान के बाद भी अंग्रेजों के राज के जाने तक स्वतंत्रा की जो ज्वाला वे यहां सुलगा तक गईं थी वह निरंतर जलती रही है। इस पूरे इलाके की विशेषता यह रही कि आपसी विवाद को समेट कर विदेशियों के विरुद्ध सतत संघर्ष किया और कभी उनकी उनकी शरण में नहीं गए। इसका कारण रानी दुर्गावती जैसी वीरांगना रहीं। अगर घर के अंदर भेद नहीं होता तो वे कभी हारती नहीं। उनसे एक सबक सबको सीखना चाहिए कि अपने छोटे स्वार्थों के कारण देश हित को धक्का नहीं लगना चाहिए। रानी दुर्गावती दूसरों की वीरता के कारण नहीं हारीं बल्कि उनके साथ विश्वासघात हुआ। लेकिन उदारता की सीमा से कहीं बाहर जाकर उन्होंने अपनों का ख्याल रखा। उन्होंने किसी को मृत्युदंड नहीं दिया, ओहदे से नहीं हटाया। यह विवेक हम भारतवासियों का है। हम सबको साथ लेकर चलेंगे तो हमारे सामने खड़े रहने की ताकत किसी में नहीं है। लेकिन अंदर के भेदिये जब टांग खींचते हैं तब हम गिर जाते हैं। ये हमारे इतिहास का सबक है। रानी दुर्गावर्ती के युद्ध तकनीकि का अध्ययन आज भी मिलिट्री करती है।

मुस्लिमों ने भी दिया दुर्गावती का साथ

संघ प्रमुख ने कहा कि दुर्गावती के शासन में गोडवाना समृद्ध साम्राज्य बना। जहां उन्होंने उन्नत खेती के उपाय किए तो विद्वानों साहित्यकारों को बुलाकर प्रजा का ज्ञान विवेक बढ़ाया। उनका समदर्शी प्रशासन था। तब के आंक्रांता इस्लाम मानने वाले थे लेकिन दुर्गावती के साथ लड़ने वाले और बलिदान देने वाले मुस्लिम भी थे। उन्होंने सबको साथ लेकर चलने का संदेश दिया। उनका विवाह भी सामाजिक समरसता का उदाहरण था।

जनता को खुश रखने वाला नियम है धर्म

भागवत ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है लेकिन हम सब एक हैं। मिलकर देश को समृद्ध बनाना है। विदेशी आंक्राताओं ने अपनी व्यवस्थाएं हम पर थोपीं। हमारे यहां के राजा रक्षक थे। वे जनता को खुश रखने वाले नियम बनाते थे जिसे धर्म कहते हैं। वह पूजा पद्धति से भेद नहीं करते थे। जो कमाई होती थी उसका 80 फीसदी खर्च करते थे।

वनवासी जंगल के रखवाले

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि वनवासी जंगल के रखवाले थे। समाज की आवश्यकता पूरी करते थे। लेकिन जंगल को लूटने से बचाते रहे। हमें फिर उस तरफ जाना होगा। कहा, हम जाएंगे, इसके लिए सामान्य लोग प्रयास करेंगे उसमें हम साथ देंगे। इस प्रकार की नीतिगत दिशा देने में हम साथ रहेंगे। सच्ची स्वतंत्रा, सबका बंधुभाव और सबकी एकता को कायम रखते हुए राष्ट्र को आगे बढ़ाने जो कुछ होगा संघ समाज के साथ चलेगा और साथ लेकर चलेगा।

प्रजा से संवाद करने वालों को दिया संदेश

संघ प्रमुख ने रानी दुर्गावती के स्वाभिमानी चरित्र, देशभक्ति, शौर्य, धैर्य, जन-जन के प्रति उनका अपनेपन, समाज को एक सूत्र में बांध कर विकास को आगे बढ़ाने की प्रवृत्ति को याद रखने की नसीहत दी। कहा, अध्येता इसका अध्ययन करें, प्रजा से संवाद करने वाले इन सब बातों का प्रचार करें। सभी लोग उनका जीवन चरित्र आत्मसात करें। हम सब को स्वाभिमान के साथ अपने लिए नही अपनो के लिए जीना है। यही उदाहरण नाना जी ने प्रस्तुत किया है।

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संतो का किया पूजन

प्रतिमा अनावरण समारोह में संघ प्रमुख की मौजूदगी में चित्रकूट के संतों का पूजन किया गया। इस अवसर पर प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर, पंचायत राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल, सांसद गणेश सिंह, सतना महापौर योगेश ताम्रकार, रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ला, कुलपति ग्रामोदय विश्वविद्यालय प्रो भरत मिश्रा, भाजपा जिलाध्यक्ष सतीश मिश्रा, कलेक्टर अनुराग वर्मा, एसपी आशुतोष गुप्ता, सीईओ जिला पंचायत डॉ परीक्षित राव ,आयुक्त नगर निगम राजेश शाही भी उपस्थित रहे।

नारायण कुटी पहुंचे भागवत

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक डॉ मोहन भागवत शनिवार की सुबह भोपाल से सतना पहुंचे। यहां उन्होंने कृष्ण नगर स्थित संघ कार्यालय नारायण कुटी पहुंच कर संघ कार्यकर्ताओ से मुलाकात की। कुछ समय संघ कार्यालय में ठहरने के बाद वे मझगवां के लिए रवाना हुए।

पहुंचे सद्गुरु चिकित्सालय

मझगवां कार्यक्रम के बाद संघ प्रमुख चित्रकूट स्थित सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट पहुंचे। यहां उन्होंने ट्रस्ट के चेयर मैन विशद मफतलाल से मुलाकात की। रात्रि विश्राम उन्होंने सद्गुरु परिसर में किया।

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भागवत की सुरक्षा के लिए जैमर के साथ बुलेट प्रूफ कार
जेड प्लस सुरक्षा पाने वाले पहले गैर राजनीतिक व्यक्ति संघ प्रमुख मोहन भागवत लगातार त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे में रहे। रेलवे स्टेशन में जब वे उतरे तो उनके चारों ओर सीआईएसएफ कमांडो का घेरा था। कुल 20 कमांडों का दल उनके साथ था जो उन्हें पूरा प्रोटेक्शन दे रहा था। स्टेशन से जब उनका काफिला संघ कार्यालय नारायण कुटी के लिए निकला तो इसमें भी सख्त सुरक्षा प्रावधान थे। काफिले के आगे किसी भी वाहन को चलने की अनुमति नहीं थी। भागवत के वाहन के ठीक आगे जैमर वाहन था। जो किसी भी मोबाइल नेटवर्क या फ्रीक्वेंसी आधारित हमलों को निष्प्रभावी करता है। यह वाहन जैसे ही गुजरता था वैसे ही उसके 100 मीटर के दायरे के सभी मोबाइलों का नेटवर्क गायब हो जाता था। उनके सतना दौरे की सुरक्षा व्यवस्था 45 कमांडों का दल देख रहा था। इसमें कुछ प्रत्यक्ष तौर पर सामने थे कुछ बैकअप के रूप में काम कर रहे थे। कमांडो एमपी5 व एके-47 के साथ ग्लॉक पिस्टल से लैस थे। साथ ही एक कमांडों सूटकेस के आकार में एक बुलेट प्रूफ शील्ड लेकर चल रहा था जो आपात स्थिति में खुल कर फैल जाता है जिससे गोली अंदर नहीं जा पाती है।भागवत के आने के एक दिन पहले ही सुरक्षा दस्ता सतना पहुंच गया था और एक निजी विद्यालय में रुका था। सतना आने के साथ सबसे पहले भागवत के रूट और कार्यक्रम स्थल की एएसएल (एडवांस सिक्योरिटी लाइजनिंग) की गई। इसके साथ ही इनके मिलने वालों के पूरे नाम आदि की सूची ली गई। तय किया गया कि किस व्यक्ति का किस दूरी तक प्रवेश होगा।