
पालीघाट पर नन्हे घड़ियाल। पत्रिका फाइल फोटो
सवाईमाधोपुर। चंबल नदी में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पालीघाट पर विकसित की गई हैचरी से आज नन्हे घड़ियालों को प्राकृतिक आवास में रिलीज किया जाएगा। वनविभाग से मिली जानकारी के अनुसार जुलाई 2025 में यह हैचरी विकसित की गई थी। इस रियरिंग सेंटर में 30 घड़ियाल हैचलिंग्स को वैज्ञानिक पद्धति से पाला गया। अब इन्हें वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा चंबल नदी में छोड़ेंगे।
बता दें कि सवाईमाधोपुर जिले में पालीघाट पर पर्यटन की संभावनाओं को राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से बताया था। इसके लिए अभियान चलाकर 13 जनवरी 2024 के अंक में गंगा नदी के बाद सबसे अधिक घड़ियाल चंबल में, विकास की जरूरत शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। साथ ही यहां नेचुरल ब्रीडिंग का भी उल्लेख किया था। इसके अलावा 12 फरवरी 2025 के अंक में घड़ियाल अभयारण्य बन रहा पर्यटन का दूसरा हब शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसके साथ ही यहां घड़ियालों के संरक्षण की मांग भी लगातार खबरों के माध्यम से रखी जा रही थी।
सवाईमाधोपुर जिले में रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान की पर्यटन के चलते राष्ट्रीय पटल पर पहचान है। लेकिन नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की गाइडलाइन के चलते कई बार पर्यटकों को टिकट नहीं मिल पाते। ऐसे में वन विभाग की ओर से राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य को जिले के दूसरे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य किया गया है। पालीघाट पर बोटिंग सुविधा शुरू की गई है और अब नेस्टिंग व हैचरी का भी विकास किया गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार नेस्टिंग और हैचरी के निर्माण से घड़ियालों को संरक्षण तो मिलेगा ही, साथ ही उनके जीवनचक्र पर शोध कार्य को गति मिलेगी। इससे पर्यावरणीय अध्ययन और जैव विविधता संरक्षण को भी बल मिलेगा। जानकारी के अनुसार गंगा के बाद चंबल में सर्वाधिक घड़ियाल पाए जाते हैं। इसी कारण वर्ष 1978 में राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमाओं पर फैले क्षेत्र में राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य की स्थापना की गई थी।
चंबल पालीघाट पर हैचरी विकसित की गई है। वनमंत्री गुरुवार को यहां पांच माह के घड़ियालों को चंबल में छोड़ेंगे।
-रामानंद भाकर, डीएफओ, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर
Updated on:
13 Nov 2025 12:52 pm
Published on:
13 Nov 2025 12:47 pm
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