
खतरनाक हो रहा जंगली बबूल (फोटो- पत्रिका)
-महेश कुमार जैन, दीनबंधु वशिष्ठ
सवाईमाधोपुर/जयपुर: कहावत है कि बोए बाग बबूल के तो आम कहां से होए… अर्थात आपके आसपास बबूल के पेड़ लगे हुए हैं तो फल और छाया कैसे मिल सकते हैं…। अमरबेल की तरह जूली फ्लोरा या कहो जंगली बबूल न केवल रणथम्भौर बल्कि शहरों व गांवों की आबादी तक में जड़ें जमा चुका है।
यह जल, जमीन और जंगल तीनों को उजाड़कर खतरनाक होता जा रहा है। कुल मिलाकर जैव विविधता भी इसकी जकड़ में आ रही है। रणथम्भौर बाघ परियोजना में सूखे क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाने और मिट्टी का कटाव रोकने के उद्देश्य से लगाया गया जूली फ्लोरा यहां के क्रिटिकल टाइगर हेबीटेट क्षेत्र में कैंसर की तरह फैल रहा है।
ताजा आंकड़ों के अनुसार, यह रणथम्भौर बाघ परियोजना के करीब 8 से 10 फीसदी क्षेत्र में घना हो चुका है। ये जूली फ्लोरा न केवल स्थानीय वनस्पति को नष्ट कर रहा है, बल्कि बाघ एवं अन्य वन्यजीवों के लिए भी संकट बन चुका है।
गहरी जड़ें जमा चुका जूली फ्लोरा अब पर्यावरणीय के लिए भी खतरा बन चुका है। यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह राजस्थान की पारंपरिक वनस्पति, पशुपालन और जैव विविधता को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
वन्यजीव विशेषज्ञ धर्मेंद्र खाण्डल ने बताया कि जूली फ्लोरा का बीज मेक्सिको का है। मेक्सिको के वनस्पति विशेषज्ञ इसको पहले इंग्लैंड लेकर गए। वहां पर इसे क्यू बॉटनिकल गार्डन में लगाया गया था। इसके बाद इसे भारत के जंगलों में लगाने का काम शुरू किया गया था। जानकारी के अनुसार, इसे लगाने का उद्देश्य मिट्टी के कटाव और रेगिस्तानी क्षेत्र को रोकने के साथ ही जमीन को उपजाऊ बनाना था, लेकिन हकीकत इसके उलट हो गई।
वन विभाग के अनुसार, भरतपुर संभाग में रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के करीब 10 हजार 400 हेक्टेयर क्षेत्र में, धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व के करीब 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में एवं घना पक्षी अभयारण्य के 800 हेक्टेयर वन क्षेत्र में जूली फ्लोरा फैला हुआ है। वहीं, बूंदी के रामगढ़ विषधारी और कोटा के मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व सहित पश्चिमी राजस्थान के आबू पर्वत, कुंभलगढ़, डेजर्ट नेशनल पार्क, अरावली सहित प्रदेश के अन्य अभयारण्यों में जूली फ्लोरा फैला है।
-स्थानीय वनस्पतियों को नष्ट कर पौधों की वृद्धि रोक देता है।
-इसकी जड़ें 30 मीटर तक गहराई तक जाती हैं और भूजल को तेजी से चूसती हैं।
-इससे पशु चारे का संकट बढ़ा है, खासकर रेगिस्तानी क्षेत्रों में।
-यह मिट्टी की उर्वरता कम कर देता है और बायोडायवर्सिटी नष्ट करता है।
जंगली बबूल किसी भी क्षेत्र में फैलकर वनस्पति को नष्ट कर देता है। इसलिए हर जगह इसके उन्मूलन के प्रयास किए जा रहे हैं। हर जगह इसे जड़ से निकालकर उसी जगह ग्रास लैंड डवलप की जा रही है। इसके पौधे को जड़ से निकालने के बाद और ग्रास लैंड विकसित करने पर भी चार से पांच साल तक रख-रखाव की आवश्यकता होती है।
-अनूप के आर, सीसीएफ, रणथम्भौर बाघ परियोजना
Published on:
22 Jul 2025 12:28 pm
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