
इस भीम कुंड की गहराई वैज्ञानिक भी नहीं माप पाए, जानें क्या है इसका रहस्य
नई दिल्ली।भारत ( INDIA ) एक ऐसा देश है जो अपनी अद्भुत कला, संस्कृति (culture ), अध्यात्म और अनूठी भौगोलिक संरचना के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। इतना ही नहीं यहां का इतिहास (history )अपने आप में कई रहस्यों से भरा हुआ है। ऐसे ही एक रहस्य से भरी जगह है भीम कुंड। इसकी गहराई का आकंलन आज तक कोई नहीं कर पाया है। वैज्ञानिक (scientist ) भी इसकी गहराई के रहस्यों को समझने में नाकाम रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार- वैज्ञानिकों ने भीम कुंड की गहराई नापने के लिए अपनी टीम को पानी( water ) के अंदर भेजा। लेकिन वे इस प्रयोग में सफल नहीं हो पाए। बता दें कि यह कुंड मध्यप्रदेश( madhya pradesh ) के छत्रपुर जिले के बजना गांव में है। यह कठोर चट्टानों के बीच गुफा में स्थित है।
प्राचीन समय से ही यह जगह साधना का प्रमुख केंद्र रही है, लेकिन वर्तमान में यह कुंड टूरिस्ट (tourist )और रिसर्च (reasearch )का केंद्र बन गया है। इसके बारें में स्थानीय लोगों का मानना है कि भीम कुंड एक शांत ज्वालामुखी है।
इतिहास
पौराणिक कथाओं में इस जल कुंड को नारदकुंड और नील कुंड के नाम से भी जाना जाता है। भीम कुंड का पानी इतना पारदर्शी है कि भीतर तक का नाजारा आसानी से देख सकते हैं। इसके पानी की तुलना मिनरल वाटर से की जाती है। यही वजह है कि भीम कुंड अपने आप में ही अद्भुत माना जाता है। जो अपने भीतर कई रहस्य समाए हुए है।
रहस्य
- जब इस रहस्यमय जलकुंड की खबर विदेशी मीडिया तक पहुंची तो एक इंटरनेशनल चैनल की टीम वैज्ञानिकों की टीम को यहां लेकर आई। इस जलकुंड की गहराई नापने के लिए कई प्रयोग किए, लेकिन सफल नहीं हो पाई।
- बताया जाता है कि अगर कोई व्यक्ति पानी में डूब जाता है तो उसका शरीर पानी में तैरने लगता है लेकिन इस भीम कुंड में डूबे हुए व्यक्ति का शरीर मौत हो जोने के बाद ऊपर नहीं आता।
- स्थानीय लोगों के अनुसार- यह रहस्यमय कुंड आने वाली आपदा या अनहोनी के संकेतों को आसानी से भांप लेता है। जब भी कोई आपदा आने वाली होती है तो इसके पानी का स्तर बढ़ जाता है। भूकंप और सुनामी के संकेतों का भी पता चल जाता है।
- स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि इसका पानी कभी कम नहीं होता। वैज्ञानिक इस पानी के स्रोत का पता अब नहीं लगा पाए हैं।
- कई बार प्रशासन ने भी इसमें से पाइप लाइन लगाकर पानी को बाहर निकाला, लेकिन पानी के स्तर में कोई कमी नहीं आई। जब गोताखोर एक बार फिर 80 फीट नीचे भीम कुंड में गए, तो वहां जल की तेज धाराएं मिलीं। जिसका लिंक समुद्र से जुड़ा है। वैज्ञानिकों के अनुसार- भीमकुंड का पानी लगातार बदलता रहता है, लेकिन यह कभी खाली नहीं होता।
Updated on:
10 Jun 2019 12:52 pm
Published on:
09 Jun 2019 07:27 pm
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