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भारतीय वैज्ञानिकों ने किया ऐसा अविष्कार, मच्छर के जरिए ही होगा मच्छरों से फैलाई गई बीमारियों का इलाज

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और वेक्टर कंट्रोल रिसर्च सेंटर (VCRC) ने एक खास बैक्टीरिया से संक्रमित मच्छरों को विकसित किया है जो डेंगू-चिकनगुनिया के संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद करेंगे।

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ICMR-VCRC develops special mosquitoes to control Dengue, Chikungunya

ICMR-VCRC develops special mosquitoes to control Dengue, Chikungunya

भारत में बारिश के मौसम में हर साल डेंगू-चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए लोगों को सलाह दी जाती है कि घर पर पानी न जमने दें। साफ-सफाई पर ध्यान दें। मच्छरदानी लगाकर सोए। इन सावधानियों के बरतने के बावजूद बारिश के मौसम में अस्पतालों में डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों की भीड़ लगी रहती हैं। ऐसे में अब वैज्ञानिकों ने देश में डेंगू-चिकनगुनिया को नियंत्रित करने के लिए नए प्रकार के मच्छर को विकसित किया है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वेक्टर कंट्रोल रिसर्च सेंटर (VCRC) ने विशेष मादा मच्छरों को विकसित किया है। ये मादा, नर मच्छरों के साथ मिलकर ऐसे लार्वा पैदा करेंगे जो डेंगू-चिकनगुनिया को खत्म कर देंगे। क्योंकि इनके अंदर इन बीमारियों के वायरस नहीं रहेंगे। जब वायरस रहेंगे नहीं तो इनके काटने से इंसान संक्रमित नहीं होंगे। इन मच्छरों का नाम एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) रखा गया है। बता दें, दुनियाभर में मच्छरों द्वारा फैलाये जाने वाली बिमारी से हर साल दुनिया में करीब 4 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसमें सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते हैं।

VCRC के डायरेक्टर डॉ. अश्विनी कुमार ने बताया कि विकसित किए गए मच्छर, डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छरों की हर कोशिका पर बैठकर अपना घर बनाएंगे, और फिर ये मच्छर धीरे-धीरे डेंगू जैसे वायरस को कंट्रोल करेंगे। अश्विनी कुमार बोले कि रिसर्च में इस बात का पता चला कि बैक्टीरिया से संक्रमित होने पर मच्छर डेंगू फैलाने में सक्षम नहीं होते। विशेषज्ञ ऐसे मादा मच्छरों को छोड़ेंगे जो नर मच्छरों के संपर्क में आकर इस तरह के लार्वा पैदा करेंगे जिसमें वायरस नहीं होगा।

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जानकारी के मुताबिक साल 2017 में ICMR और VCRC ने इस तकनीक पर काम करना शुरू कर दिया था। इस रिसर्च के लिए ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी से वोल्बाचिया बैक्टीरिया की दोनों प्रजातियों के करीब 10,000 अंडे भारत लाए गए। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इन अंडों को फोड़कर एडीज एजिप्टी प्रजाति के मच्छरों को संक्रमित भी किया गया। इस तरह की रिसर्च पहले से चल रही थी। चार साल तक इस रिसर्च पर काम करने के बाद ICMR और VCRC के शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट ICMR की एक्सपर्ट कमिटी को दी है। वहीं इस एक्सपेरिमेंट का प्रैक्टिकल यूज के लिए सरकार से मंजूरी मिलना बाकी है।

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