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दुनिया में आज ही के दिन लगा था सदी का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण

longest solar eclipse: सूर्य ग्रहण को देखने के लिए लोग काफी उत्साहित थे 123 साल बाद लगा था सबसे लंबी अवधी वाला सूर्य ग्रहण

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Deepika Sharma

Jun 22, 2019

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दुनिया में आज ही के दिन लगा था सदी का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण

नई दिल्ली। सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय पृथ्वीearth आैर पूरी प्रकृतिnature में अजीब तरह की हलचल होेने लगती है। यही ग्रहण अगर सदियों बाद लगे, तो उसके बारे में उत्सुक्ता आैर बढ़ जाती है। एेसी ही एक खगोलीय घटना 2009 में हुई थी। ये पूरी दुनिया के लिए यादगार पल थे। दरअसल इस दिन सदी का सबसे लंबा सूर्य ग्रहणSolar eclipse लगा था। इसे भारत समेत दुनिया के कई देशों में देखा गया था। खास बात यह रही कि 123साल बाद एेसी घटना हुई थी। वैज्ञानिकों ने इसे 'द मॉन्स्टर' नाम दिया था।

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2009 में आज ही के दिन भारत सहित विश्व की कई जगहें पर पृथ्वी 'द मॉन्स्टर' सूर्य ग्रहण के साए में थी। यह सूर्य ग्रहण गुजरातGujrat के शहर सूरतSurat , बिहारBihar की राजधानी पटनाPatna , वाराणसी Varanasi , कुरुक्षेत्रKurukshetra , इलाहाबाद, बड़ोदरा, इंदौर, भोपालBhopal , दार्जिलिंग, डिब्रूगढ़, भूटान और बांग्लादेश में सबसे पहले देखा गया।

पूरा विश्व इस सूर्य ग्रहण को लेकर काफी उत्साहित था। जब पूरी सृष्टि को प्रकाश देने वाला सूर्य खुद चांद के आंचल में छुप जाए, ऐसा नजारा लोगों को करीब 123 साल बाद देखने को मिला था।

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इस विशाल सूर्य ग्रहण का नाम 'द मॉन्स्टर' अमरीकी वैज्ञानिकों ने रखा था। जर्मन ट्रैवल एजेंसी एक्लिप्स सिटी के फेडेरिको वार्ड मायर का कहना है यह एक मील का पत्थर है, हम में से कोई तब तक दोबारा इस घटना को देखने के लिए शायद ही जिंदा रहे।

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आमतौर पर सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की अवधि कुछ समय के लिए ही रहती है, लेकिन द मॉन्स्टर सूर्य ग्रहण की समयावधि साढ़े 3 घंटे से भी ज्यादा की रही।

भारत और चीन जैसे देशों में सूर्य ग्रहण का अधिक महत्व है, भारत में सूर्य ग्रहण के दौरान स्नान करना अच्छा माना जाता है, वहीं चीन में सूर्य ग्रहण को तबाही का संकेत समझा गया है।

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सूर्य की परिक्रमा के दौरान सभी ग्रहों के साथ-साथ पृथ्वी और चांद भी चक्कर लगाते हैं। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच से चांद गुजरता है, तो पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी रुक-रुककर आती है जिसे सूर्य ग्रहण कहते हैं। एेसा वाकया लोग को हैरान कर देता है, क्योंकि इस दौरान चंद्रमा और पृथ्वी अपनी ऑर्बिट यानी कक्षा में लगातार परिक्रमा कर रहे होते हैं।